राष्ट्रीय, 15 मार्च 2025: भारत की सबसे बड़ी डिजिटल हेल्थकेयर कंपनी, मेडीबडी ने 40-50 आयु वर्ग के कॉर्पोरेट क्षेत्र के पेशेवरों में पोषक तत्वों की कमी को रेखांकित करते हुए एक अध्ययन जारी किया है। इस अध्ययन में इस आयु वर्ग के लगभग 4,400 व्यक्तियों (3,338 पुरुष और 1,059 महिलाएं) के डेटा का विश्लेषण किया गया है। इसमें स्वास्थ्य के लिहाज़ से विशिष्ट हस्तक्षेप और निवारक देखभाल की रणनीतियों की तत्काल ज़रूरत को सामने लाया गया है और ख़ास तौर पर उन पुरुषों के लिए इसकी सिफारिश की गई है जिनमें मुख्य पोषक तत्वों की कमी काफी अधिक है।

कॉर्पोरेट क्षेत्र में काम करने वाले शहरी कर्मचारियों के डेटासेट पर किए गए अध्ययन में पाया गया कि पुरुषों में विटामिन बी12 की काफी कमी है और 57.16% में यह अपर्याप्त है या इसकी कमी है। विटामिन बी12 तंत्रिका तंत्र की सक्रियता (फंक्शन) और ऊर्जा चयापचय (एनर्जी मेटाबॉलिज्म) के लिए ज़रूरी है। इस बीच, 49.9% महिलाओं में भी इसकी कमी दिखी, जो समग्र स्वास्थ्य के लिए आहार समायोजन और पूरकता के महत्व को रेखांकित करता है।

आम धारणा है कि शहरी पुरुष पर्याप्त आहार लेते हैं लेकिन इसके विपरीत, अध्ययन से पता चलता है कि आंत के स्तर पर पोषक तत्वों के कमतर अवशोषण (गट अब्ज़ॉर्प्शन), आहार के चुनाव और मुख्य रूप से शाकाहारी आहार इस व्यापक कमी में योगदान कर सकते हैं। कई अंतर्निहित कारण से इस रुझान को समझा जा सकता है:

  1. पोषक तत्वों का कम अवशोषण: बी12 युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करने वाले व्यक्तियों में भी, कमतर अवशोषण संबंधी समस्याएं, जैसे पेट में एसिड का कम उत्पादन (उम्र के साथ आम), जठरांत्र संबंधी विकार या एंटासिड और मेटफॉर्मिन जैसी दवाओं का लंबे समय तक उपयोग प्रभावी बी12 अवशोषण में बाधा डाल सकता है। एक और बड़ी वजह है, गट माइक्रोबायोम असंतुलन जिसकी वजह से पोषक तत्वों के अवशोषण का स्तर कम होता है।
  1. आहार विकल्प: कॉर्पोरेट पेशेवर, विशेष रूप से शाकाहारी या वीगन, को इसकी कमी का जोखिम अधिक होता है क्योंकि बी12 के प्राकृतिक स्रोत मुख्य रूप से पशु-आधारित खाद्य पदार्थों (मांस, मछली, डेयरी और अंडे) में पाए जाते हैं। यहां तक ​​कि डेयरी और अंडे का सेवन करने वाले लोगों को भी फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थों या सप्लीमेंट के बिना अपनी दैनिक आवश्यकताओं को पूरा करने में मुश्किल आ सकती है।
  1. गतिहीन जीवनशैली और मेटाबॉलिक तनाव: उच्च तनाव वाली कॉर्पोरेट नौकरियों में अक्सर अनियमित खान-पान की आदतें, शराब ज़्यादा पीना, निकोटीन का उपयोग होता है, जो बी12 के स्तर को और कम कर सकता है।

मेडीबडी के मेडिकल ऑपरेशन प्रमुख, डॉ. गौरी कुलकर्णी ने इन निष्कर्षों के बारे में कहा, “निवारक देखभाल दीर्घकालिक स्वास्थ्य की आधारशिला है और ये निष्कर्ष विशेष रूप से उच्च तनाव वाले कॉर्पोरेट वातावरण में कर्मचारियों के लिए प्रारंभिक हस्तक्षेप की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं। मेडीबडी लोगों को सुलभ स्वास्थ्य सेवा समाधानों के साथ सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है जो सक्रिय तंदुरुस्ती को प्रोत्साहित करते हैं। समय पर जांच, डिजिटल स्वास्थ्य ट्रैकिंग और विशेषज्ञ के नेतृत्व वाले मार्गदर्शन के ज़रिये हम स्वास्थ्य सेवा को इलाज केंद्रित नहीं बल्कि निवारक उपायों पर ज़ोर देना चाहते हैं ताकि बेहतर दीर्घकालिक स्वास्थ्य परिणाम सुनिश्चित हों।”

भारत में कॉर्पोरेट क्षेत्र के विस्तार के बीच ये निष्कर्ष व्यक्तिगत स्वास्थ्य आकलन के महत्व को रेखांकित करते हैं जो मानक मीट्रिक से परे हैं। पोषण संबंधी स्थिति और चयापचय संकेतकों (मेटाबॉलिक मार्कर) पर केंद्रित नियमित स्वास्थ्य जांच से समस्याओं को अधिक गंभीर स्थिति में परिवर्तित होने से पहले पहचानने में मदद मिल सकती है, विशेष रूप से पुरुषों के लिए, जिनके निवारक देखभाल लेने की संभावना अक्सर कम होती है।