पंडितजी की स्मृति में भागवत कथा
जीवन का चक्र चलता रहता है और परिवर्तन संसार का नियम है। हमें वैराग्य-भक्ति व सांसारिक गृहस्थ जीवन आदि सभी को मर्यादापूर्वक निभाना चाहिए। हर उम्र के साथ जीवन की शैली बदलती जाती है।
भागवत कथा का यह संदेश कथा वाचक पं. पुरुषोत्तम व्यास ने भागवत कथा सप्ताह के दौरान श्रद्धालुओं के समक्ष बताया। पं. व्यास ने बताया कि भागवत ही एक ऐसा माध्यम है जिसके श्रवण से जीवन को मर्यादित करने व न्यायिक बनाने की सीख मिलती है।
आयोजक विमला देवी पारीक ने बताया कि समाजसेवी स्व. लक्ष्मीनारायण पारीक ‘पंडितजीÓ की पुण्यस्मृति में वैद्य मघाराम कॉलोनी स्थित निवास स्थान पर भागवत कथा सप्ताह चल रहा है। पारीक ने बताया कि वैशाख माह में भागवत कथा श्रवण का महत्व होता है तथा पुण्यात्मा की स्मृति में ऐसे आयोजन से जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति मिलती है। कथा का समय दोपहर 1:30 से शाम 4:00 बजे तक भागवत कथा एवं शाम 5 से 7 बजे तक भजन-कीर्तन का रहता है।