विश्व रंगमंच दिवस पर ‘रमक-झमक’ ने किया रंगकर्मियों का सम्मान
बीकानेर। विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर मंगलवार को रमक-झमक की ओर से रंगकर्मियों का सम्मान किया गया। इस अवसर पर ‘रंगमंच: दशा और दिशा’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन भी हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार शिवराज छंगाणी थे। उन्होंने कहा कि बीकानेर की रंग परम्परा अत्यंत समृद्ध रही है।
वर्तमान पीढ़ी के हाथों में यह कला सुरक्षित है तथा युवाओं का इससे जुडऩा सुनहरे भविष्य की निशानी है। उन्होंने कहा कि आज रंगकर्म के समक्ष अनेक चुनौतियां भी हैं। ऐसे में इससे जुड़े लोगों को अधिक सचेत होने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि रंगकर्मियों का सम्मान एक सुखद पहल है। इससे नए कलाकारों को प्रेरणा मिलेगी। विशिष्ट अतिथि रतन लाल ओझा ने कहा कि रम्मत और रास जैसी परम्परागत नाट्यकलाओं ने बीकानेर को विशेष पहचान दिलाई है।
आज भी देश के विभिन्न क्षेत्रों से लोग इन्हें देखने आते हैं। संस्कृतिकर्मी लक्ष्मीनारायण ओझा ने कहा कि बीकानेर का रंगमंच एक सदी पुराना है। सुखद यह है कि रंगकर्म की स्वस्थ परम्परा आज भी कायम है। जनसंपर्क अधिकारी हरि शंकर आचार्य ने कहा कि रंगकर्म से जुड़े लोगों एवं संस्थाओं द्वारा पहल करते हुए समय-समय पर शिविर लगाए जाएं, जिससे नए रंगकर्मी तैयार हो सकें। रमक-झमक के प्रहलाद ओझा ने कहा कि बीकानेर की कला, संस्कृति तथा यहां की परम्पराएं देश और दुनिया के सामने मिसाल हैं। इन परम्पराओं को जीवंत बनाए रखना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि बतौर रंगकर्मी, मंच पर प्रस्तुति देना तथा दर्शकों को बांधे रखना बेहद चुनौतीपूर्ण है।
इन रंगकर्मियों का हुआ सम्मान
इससे पहले अतिथियों ने रंगकर्मी विपिन पुरोहित, मंजूलता रामावत, अनिता जोशी आचार्य, सुनीलम् पुरोहित, योगेश हर्ष, राजशेखर शर्मा, सुरेश बिस्सा तथा संगीतकार आर के सूरदासाणी का दुपट्टा ओढ़ाकर, स्मृति चिन्ह तथा पुस्तक भेंट कर सम्मान किया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए हरीश बी. शर्मा ने बीकानेर की नाट्य परम्परा पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर रमक झमक की लक्ष्मी देवी, रिंकू ओझा, सत्येन्द्र शर्मा, नेरसा चंग मंडली के राजेन्द्र कुमार चांडक आदि मौजूद थे।