बीकानेर। इयारीज नाम संगठन एवं बिन्नाणी कॉलेज के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आगाज गुरूवार को हुआ। इयारीज के सचिव श्री हरदेव शर्मा ने बताया कि बिन्नाणी कॉलेज के प्रांगण में हुए उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि वेटेरीनरी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. विष्णु शर्मा रहे एवं अध्यक्षता थाईलेण्ड की प्रो. टसैनी ने की। समारोह की मुख्य वक्ता राजकीय महाविद्यालय पटियाला की डा संगीता हाण्डा थीं।
कार्यक्रम के प्रारम्भ महाविद्यालय के विद्यार्थियों ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया जिसके पश्चात अतिथियों ने मां सरस्वती की प्रतिमा के आगे दीप प्रज्जवलन कर शुभारम्भ किया। डॉ. सोनू शिवा ने सभी स्वागत भाषण प्रस्तुत करते हुए मीडिया की विेशेष सराहना की। इयारीज की मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. नीलम रायसिंघानी ने कहा कि इयारीज द्वारा इस प्रकार के आयोजना का मुख्य उद्देश्य बालिका शिक्षा की दृष्टि से पिछड़े क्षेत्रों में इस प्रकार के सम्मेलन आयोजित कर शि़क्षा को बढ़ावा देना है। डॉ. रायसिंघानी ने कहा कि इयारीज द्वारा में रूस, अमेरिका, सिंगापुर, थाईलेण्ड तथा चीन आदि देशों में भी इस तथ् प्रकार के सम्मेलन आयोजित किये जायेगें। उन्होनें कहा कि सम्मेलन में प्रस्तुत शोध पत्रों का प्रकाशन इयारीज द्वारा प्रकाशित शोध ग्रन्थों में किया जाता है।
मुख्य अतिथि कुलपति डॉ. विष्णु शर्मा ने कहा कि बिन्नाणी कॉलेज में इस प्रकार का अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित होने से यहां की बालिकाओं को विश्व स्तर की शिक्षा से रूबरू होने का अवसर मिल सकेगा। उन्होनें बालिकाओं एवं महिलाओं के सशक्तीकरण हेतु इयारीज द्वारा किये जा रहे प्रयासों की प्रशंसा की। डॉ. शर्मा ने अन्तरविषयक शोधों की महती आवश्यकता पर बल दिया। उन्हानें कहा कि विज्ञान की खोजों का समाज को लाभ मिलना चाहिये। कुलपति ने अपने उद्बोधन में कहा कि दो दिवसीय इस सम्मेलन के प्रस्तावों को सरकार तक पहुंचाना चाहिये तभी वास्तव में इस प्रकार के सम्मेलनों की उपादेयता सिद्ध हो सकेगी।
बिन्नाणी कॉलेज के सचिव श्री गौरीशंकर व्यास ने महाविद्यालय की विकास यात्रा का उल्लेख करते हुए कहा कि शहर के अन्दरूनी क्षेत्रों में बिन्नाणी कॉलेज महती भूमिका अदा कर रहा है। उन्होनें इयारीज संगठन का अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन के आयोजन हेतु विशेष आभार प्रकट किया।
कार्यक्रम की मुख्य वक्ता डॉ. संगीता हाण्डा ने कहा कि तकनीक के इस युग में शिक्षा का रूप बदला है उन्होनें विद्यार्थियों से आह्वान किया कि तकनीक का उपयोग करने में कोई बुराई नहीं है लेकिन शिक्षा की पुरानी पद्धति को नहीं भूलना चाहिये। उन्होनें कहा कि शिक्षा का वास्तव में अर्थ दूसरा जन्म होता है। उन्होनें कहा कि वैश्वीकरण के इस युग में शिक्षा का महत्व और भी अधिक हो जाता है। इससे प्रत्येक देश की संस्कृति का ज्ञान होता है। डॉ. हाण्डा ने ऑनलाईन एवं दूरस्थ शिक्षा की महती आवश्यकता पर भी बल दिया।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. टैसीनी ने कहा कि थाईलेण्ड में बालिकाओं को आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनाने के प्रयास जारी हैं। उन्होनें अपने देश में पीपीपी मोड पर चल रहे बालिका शिक्षा संबंधी योजनाओं के बारे में विस्तार से बताया। उन्होनें कहा कि शिक्षा केवल क्लास रूम तक ही सीमित नहीं रहनी चाहिये वरन इसका उपयोग शिक्षा के अतिरिक्त स्वास्थ्य एवं समाज के हर वर्ग के उत्थान में होना चाहिये। आयोजन सचिव डॉ. गजानन्द ने अपने जोशीलेे उद्बोधन में कहा कि शिक्षा का मूल अर्थ जागरूकता होता है। प्राचार्य डॉ. चित्रा पंचारिया ने अपने उदबोधन में सभी अतिथियों का भावभीना धन्यवाद ज्ञापित किया।(PB)