बीकानेर । आर्य समाज के पूर्व प्रधान एवं सेवानिवृत नर्सिंग सुपरिंटेंडेंट जसकरण आर्य का देहावसान 28 दिसम्बर को हो गया। महादेव भवन गोगागेट के बाहर उन्हें सामूहिक श्रद्धांजलि / भावांजलि से नमन किया गया । कार्यक्रम में शांति यज्ञ आर्ष कन्या गुरुकुल फतूही (श्री गंगानगर) के अधिष्ठाता स्वामी सुखानन्द आचार्य के सानिन्ध्य में गुरुकुल की छात्राओं द्वारा वेद मंत्रोचार से किया गया ।
स्वामी सुखानन्दजी ने जसकरणजी के बारे में बताते हुए कहा कि सोनी समाज में एक से बढकर एक विभूतियों ने जन्म लेकर समाज का मान बढाया है । आर्य समाज रोजड के आचार्य स्व.ज्ञानेश्वरजी भी आपके समाज से बीकानेर के ही थे जिनका मैं शिष्य हूं ।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए कवि-कथाकार राजाराम स्वर्णकार ने बताया कि 28 जुलाई 1940 को लाडनूं में जन्में जसकरणजी बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के थे । पढाई में तेज होने के कारण वेदों का अध्ययन भी करने लगे । जोधपुर से नर्सिंग कॉर्स कर आप मेल नर्स के पद पर कार्य करने लगे और नर्सिंग अधीक्षक के पद से बीकानेर के पीबीएम अस्पताल से सेवा निवृत हुए ।
सेवा निवृति पश्चात आर्य समाज से जुड गए और मंत्री व प्रधान भी रहे । नगर आर्य समाज के प्रधान महेश आर्य ने भावविव्हल होते हुए कहा कि हमने एक अच्छा संस्कारवान, धैर्यवान इन्सान खो दिया है । उनके पुत्र कैलाश और भगवतीप्रसाद का जिक्र करते हुए कहा कि ये अपने पिता की तरह पूर्ण निष्ठावान कार्य के प्रति समर्पित हैं । उप प्रधान अशोक साहनी ने आर्य समाज में दिए गए योगदान पर पत्र वाचन किया ।
पूर्व प्रधान उदयशंकर व्यास, कवयित्री मनीषा आर्य सोनी, आर्य समाज पवनपुरी के मंत्री गौतमसिंह, आर्य समाज गजनेर के नवलाराम, आर्य वीर दल बीकानेर के अमित आर्य ने भी अपने विचार रखे । श्रद्धांजलि समारोह के अंत में परिवार की तरफ से उनके पुत्र और नगर आर्य समाज के मंत्री भगवतीप्रसाद ने कहा कि इस दुख की घडी में आपने इस परिवार को हिम्मत बंधाई मैं आप सभी के प्रति आभार मानता हूं ।(PB)