अंकुश लगाने के लिये जागरूक युवा संघर्ष समिति ने भेजा सीएम को ज्ञापन
बीकानेर। पीबीएम अस्पताल में कमीशनखोरों की जमात में शामिल ज्यादात्तर डाक्टरों ने अपने घरों में दवा की दुकानें खोल रखी है,जो इनकी ऊपरी कमाई का सबसे बड़ा जरियां है । इन दुकानों पर कमीशनखोर डाक्टरों द्वारा लिखी जाने वाली दवाओं के अलावा अन्य दवांए नहीं मिलती है और जो रोगी इन डाक्टरों के घर अपनी बीमारी की जांच-परामर्श के लिये पहुंचता है उसे घर के अन्दर बनी दुकान से दवाई लेना अनिवार्य है, क्योकि दुसरी दुकानों पर यह दवांए मिलती ही नहीं।
घरों पर दवां की दुकानें खोल कर मोटी कमाई का यह बीकानेर के चिकित्सा जगत पिछले दो दशकों से चल रहा है, कमीशनखोरी के इस फंडे से पीबीएम के सैकड़ों डाक्टर सीधे रूप से करोड़ो की काली कमाई कर रहे है और इनके खिलाफ शिंकजा कसने का जिम्मा आयकर विभाग के पास है,मगर आयकर विभाग के अधिकारी भी इनके खिलाफ कार्यवाही के मामले में पगंू बने हुए है। जागरूक युवा संघर्ष समिति के नवीन विश्रोई एवं भागीरथ चौधरी ने घरों में दवा की दुकानें खोले बैठे कमीशनखोर डॉक्टरों के खिलाफ कार्यवाही की मांग को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एवं उप मुख्यमंत्री सचिन पायलेट को ज्ञापन भेजा है।
ज्ञापन में अवगत कराया है कि कमीशनखोरी में लिप्त पीबीएम अस्पताल के ज्यादातर डाक्टरों ने अपने मकानों में दवा की दुकानें खोल रखी है। इन दुकानों में वही हाई ब्राण्डेड दवाएं मिलती है जो कमीशनखोर डाक्टर्स अपनी पर्चियों में लिखते हैं। एक अनुमान के मुताबिक पीबीएम अस्पताल के तकरीबन अस्सी फिस्सदी सीनियर डाक्टरों ने मकानों में दवा की दुकानें खोलकर करोड़ों की कमाई का फण्डा अपना रखा है।
बीकानेर में शहर में ऐसे कई डॉक्टर है जिन्होंने अपने आलिशान घरों के आगे दवा की दुकानें खोल रखी है। इनमें से ज्यादातर डाक्टरों ने रोगियों को घर पर देखने की फीस दो सौ रुपये फिक्स कर रखी है और अपनी एक पर्ची पर लिखी दवाओं के एवज में कम से कम पन्द्रह सौ रुपये कमीशन वसूलते हैं।(PB)