बीकानेर। एमजीएसयू के राजस्थानी विभाग द्वारा आयोजित संवाद कार्यक्रम के तहत परिसर के महर्षि विश्वामित्र भवन में वरिष्ठ राजस्थानी साहित्यकार मारवाड़ रत्न देवकिशन राजपुरोहित ने कहा कि राजस्थानी भाषा का इतिहास बहुत समृद्ध है और बीकानेर में सबसे लंबे समय तक शासन करने वाले महाराजा गंगा सिंह स्वयं अपनी रियाया से राजस्थानी (मारवाड़ी) में ही संवाद करते थे।
उन्होंने मंच से आह्वान किया कि अपनी मातृभाषा राजस्थानी को मान्यता दिलाने हेतु युवा पीढ़ी को इसके लिए पुरज़ोर ढंग से प्रयास करने की महती आवश्यकता है जिससे राजस्थानी के विद्वानों हेतु इस भाषा में अधिक से अधिक रोजग़ार के अवसरों का सृजन संभव हो सके। इससे पूर्व राजस्थानी विभाग की प्रभारी डॉ. मेघना शर्मा ने अपने स्वागत भाषण में वर्षभर में विभाग द्वारा संपादित हुई गतिविधियों से सभी को परिचित करवाते हुए कहा कि राजस्थानी भाषा का भविष्य उज्ज्वल है और विषय के विद्वानों को आमंत्रित करने के पीछे हमारा मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों के भाषा व शब्द ज्ञान में अभिवृद्धि रहा है।
डॉ. मेघना ने अपना साहित्य भी राजपुरोहित को भेंट किया। संवाद कार्यक्रम का संयोजन करते हुए अतिथि व्याख्याता डॉ गौरीशंकर प्रजापत ने देवकिशन राजपुरोहित का परिचय देते हुए विद्यार्थियों को बताया कि आप राजस्थानी भाषा के सृजन के साथ साथ मान्यता आंदोलन की अलख जगाने हेतु दिल्ली में आमरण अनशन पर भी बैठ चुके हैं। विशिष्ट अतिथि एलआईसी के हेमाराम जोशी ने भी अपने विचार साझा किए ।
अतिथि व्याख्याता डॉ नमामि शंकर आचार्य ने धन्यवाद ज्ञापन में ऐसे विद्वानों का विभाग में आगमन राजस्थानी भाषा का अध्ययन करने वाले सभी छात्र छात्राओं के लिए उत्साहवर्धन करने वाला बताया। उपस्थित विद्यार्थियों में प्रीती राजपुरोहित, प्रिया बाणियां, लोकित बिश्नोई, भावना राजपुरोहित, उमा प्रजापत, जितेश शर्मा, अनु राजपुरोहित आदि शामिल रहे।(PB)