बीकानेर । सम्भाग के सबसे बड़े राजकीय डूंगर महाविद्यालय में गुरूवार को महात्मा गांधी के भारत छोड़ो आंदोलन से संबंधित विशिष्ट तिथि 8 अगस्त 1942 को लेकर विचार गोष्ठी रखी गयी। कार्यक्रम प्रभारी डॉ. नन्दिता सिंघवी ने बताया कि कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जैन पी.जी. महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य एवं भारत स्काउट गाइड बीकानेर मण्डल के पूर्व मुख्य आयुक्त प्रो. एल.एन.खत्री तथा विशिष्ट अतिथि राजकीय महाविद्यालय बज्जु के प्राचार्य प्रो. बजरंग सिंह राठौड़ एवं इंजीनियर श्री दामोदर शर्मा रहे। अध्यक्षता डॉ. शालिनी मूलचन्दानी ने की। सर्वप्रथम अतिथियों द्वारा गांधीजी के चित्र पर माल्यार्पण किया गया एवं उनका प्रिय भजन वैष्णवजन गाया गया।

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इस अवसर पर बोलते हुए प्रो. जैन ने कहा कि गांधीजी ने सत्य के 169 प्रकरणों का उल्लेख करते हुए कहा कि गांधी ने कभी भी सत्य का साथ नहीं छोड़ा। उन्होनें बताया कि 1857 के बाद होने वाले आन्दोलनों में 1942 का भारत छोड़ो आंदोलन सबसे गंभीरतम था। यह बात तत्कालीन गवर्नर जनरल ने भी स्वीकार की। अंग्रेज समझ गये थे कि अब भारत छोडऩा ही एकमात्र विकल्प हैै।

प्रो. जैन ने विद्यार्थियों से वृक्षारोपण, जल प्रबंधन एवं स्वच्छता अपनाने की अपील की। इस अवसर पर अपने उद्बोधन में विशिष्ट अतिथि प्रो. राठौड़ ने गांधीजी के लोकतांत्रिक विकेन्द्रीकरण का महत्व बताया और गांधी के किसी एक गुण को अपनाने पर बल दिया। इंजी. दामोदर शर्मा ने सर्वे भवन्तु सुखिन: श्लोक के माध्यम से देश में एकता और भाईचारे को बनाये रखने का आह्वान किया। डॉ. मैना निर्वाण ने भारत छोड़ो आंदोलन की घटनाओं, परिस्थितियों और महत्ता को विस्तार पूर्वक बताया। विद्यार्थी हितेश शर्मा ने गांधीजी पर स्वरचित कविता पाठ प्रस्तुत किया तथा छात्रा सुमन शर्मा ने मेरा मुल्क मेरा वतन गीत प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ. नन्दिता सिंघवी ने इस आंदोलन पर स्वरचित कविता पाठ प्रस्तुत किया। अध्यक्षता करते हुए डॉ. शालिनी मूलचन्दानी ने वर्तमान तनावपूर्व वातावरण में गांधी के सत्य, अहिंसा और सत्याग्रह की प्रासंगिकता प्रतिपादित की। डॉ. एस.एन. जाटोलिया ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में डॉ. साधना भण्डारी, डॉ. विक्रमजीत, डॉ. सुशील यादव, डॉ. अनिल बारिया, डॉ. सुनीता गोयल और डॉ. सुधा सिंह आदि उपस्थित रहे।

विचार गोष्ठी के पश्चात् एन.एस.एस. और स्काउट के स्वयं सेवकों ने रैली निकाली जिसका नेतृत्व प्राचार्य डॉ. सतीश कौशिक, डॉ. राजेन्द्र पुरोहित, डॉ. विजय ऐरी, डॉ. ओमप्रकाश आदि संकाय सदस्यों ने किया।

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