OmExpress News / Om Daiya / 3 अप्रैल, 1988 को हरियाणा के हिसार जिले के दारोली में जन्मे दुष्यंत चौटाला 2014 के लोकसभा चुनाव में सबसे कम उम्र के 26 साल में संसद पहुंचने वाले सांसदों में शामिल हैं। उन्होंने हरियाणा जनहित कांग्रेस के कुलदीप बिश्नोई को 31 हजार 847 वोटों से हराया था। ओम प्रकाश चौटाला के पोते और अजय चौटाला के पुत्र दुष्यंत ने 2018 में इंडियन नेशनल लोक दल से बर्खास्त होने के बाद जननायक जनता पार्टी की स्थापना की। (Dushyant Chautala Biography)
5 साल में पूछे 582 सवाल
पार्टी स्थापना के बाद जिंद में आयोजित रैली में छह लाख लोग इकट्ठा हुए थे, जिसे हरियाणा के इतिहास में 1986 के बाद काफी बड़ी रैली बताया जाता है। कैलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी से बिजनेस एडमीनिस्ट्रेशन और मैनेजमेंट में बीएससी करने वाले दुष्यंत ने राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय से कानून में स्नातकोत्तर की डिग्री ली है। उनकी खेलों में गहरी रुचि है। स्कूली दिनों में उन्होंने मुक्केबाजी में स्वर्ण पदक जीता।
वे स्कूल बास्केटबॉल टीम के कप्तान और स्कूल हॉकी टीम के गोलकीपर भी रहे। महज 28 साल की उम्र में सांसद बने युवा दुष्यंत चौटाला संसद में पूरे कार्यकाल के दौरान सक्रिय रहे थे। वो संसद में 191 डिबेट में मौजूद रहे। चौटाला की संसद में सक्रियता इस बात से देखी जा सकती है कि उन्होंने अपने 5 साल के कार्यकाल में कुल 582 सवाल पूछ डाले। – Dushyant Chautala Biography
10 महीने में ‘बच्चों की पार्टी’ से बने ‘किंग मेकर’ – Dushyant Chautala Biography
14 साल से सियासी वनवास काट रहे पूर्व उप-प्रधानमंत्री देवीलाल के चौटाला परिवार की चौथी पीढ़ी के दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जजपा) दस महीने पहले ही अस्तित्व में आई थी, लेकिन विधानसभा चुनावों में 10 सीटें जीतकर वह ‘किंगमेकर’ की भूमिका में आ गई। सरकार बनाने में भाजपा को समर्थन देने पर वह कांग्रेस के साथ ही अपनी पार्टी के समर्थकों के भी निशाने पर हैं। उसे भाजपा की ‘बी टीम’ कहा जा रहा है।
हरियाणा की सियासत में चौटाला परिवार का कई सालों से दबदबा है। पूर्व डिप्टी पीएम चौधरी देवीलाल के परिवार में तीन पीढ़ियों पहले राजनीति के बीज बोए गए थे, जिसकी सबसे प्रभावी फसल दुष्यंत को माना जाता है। दुष्यंत के परिवार में सिर्फ पुरुष ही नहीं महिलाएं भी पीछे नहीं हैं। उनकी मां नैना सिंह चौटाला एक बेहतर नेता और निशानेबाज रही हैं तो वहीं दुष्यंत की पत्नी मेघना भी पीछे नहीं है।
परिवार की महिलाएं भी नहीं है पीछे
दुष्यंत की शादी अप्रैल 2017 में हुई थी। उनकी पत्नी मेघना अहलावत आईजी परमजीत सिंह अहलावत की बेटी हैं। मेघना मसूरी से MBA पास आउट हैं। मूल रूप से झज्जर जिले के गांव गोच्छी के रहने वाले परमजीत अहलावत का परिवार लंबे समय से गुरुग्राम में रह रहा है।
दुष्यंत के पिता अजय सिंह चौटाला इंडियन नेशनल लोकदल के वरिष्ठ नेता हैं। वो सांसद भी रह चुके हैं, इसके अलावा हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के बड़े बेटे के तौर पर भी उन्हें पहचान मिली है। अजय चौटाला के दो बेटे दुष्यंत और दिग्विजय हैं जो राजनीति में करियर बना चुके हैं। (Dushyant Chautala Biography)
मां के नाम है ये रिकॉर्ड
हरियाणा के दिग्गज सियासी परिवार से ताल्लुक रखने वाली नैना सिंह चौटाला शादी से पहले निशानेबाजी में काफी नाम कमा चुकी हैं। उनकी सियासी पारी साल 2014 में शुरू हुई थी। वे पूर्व डिप्टी पीएम देवी लाल चौटाला परिवार की वो पहली महिला हैं, जिन्होंने राजनीति में दांव आजमाया। वर्ष 2014 में पहली बार वह सिरसा लोकसभा क्षेत्र में आने वाली डबवाली विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ी और जीत भी हासिल की। शूटिंग में वो इंटर यूनिवर्सिटी में टीम का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। नैना ने स्नातक तक पढ़ाई की है।
ये तब हुआ जब साल 2009 में उनके पति तत्कालीन विधायक अजय सिंह चौटाला का घोटाले में नाम आ गया। वो जेल चले गए तो वर्ष 2014 में नैना चौटाला डबवाली विधानसभा क्षेत्र चुनाव लड़ी और जीत हासिल की। (Dushyant Chautala Biography)
आइकॉन अवॉर्ड 2019 से हुए सम्मानित
प्रदेश के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला को यूथ आइकॉन ऑफ द इयर 2019 से सम्मानित किया गया।पंचकूला के पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में यूएसए की सारागढ़ी फाउंडेशन और यूके सेना मुख्यालय के अधिकारियों के प्रतिनिधिमंडल ने संयुक्त रूप से दिया। दुष्यंत चौटाला ने दोनों संस्थाओं का आभार प्रकट किया। उन्होंने इस सम्मान को प्रदेश के युवाओं को समर्पित करते हुए कहा कि यह सम्मान केवल उनका सम्मान नहीं है, बल्कि उनके साथ प्रदेश की तरक्की में काम कर रहे हजारों लाखों युवाओं का है।
दुष्यंत ने सारागढ़ी की लड़ाई में हजारों अफगान लड़ाकों को टक्कर देने वाले 21 योद्धाओं को याद करते हुए कहा कि बॉर्डर पर अपनी पोस्ट बचाने के लिए अंतिम सास तक वीर योद्धाओं ने लड़ाई लड़ी, जिनपर उन्हें बहुत गर्व है।
उन्होंने कहा कि उन 21 योद्धाओं में से दो वीर योद्धा हरियाणा के भी थे। उन्होंने कहा कि वें आने वाली पीढि़यों तक इस वीरगाथा को पहुंचाने का काम करेंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसे वीर योद्धाओं की वीरगाथा को नई पीढ़ी से रूबरू करवाने वाली सारागढ़ी संस्था के साथ जुड़ने और उनसे सम्मानित होने का आज उन्हें सौभाग्य मिला, जिसके लिए वे उनका आभार प्रकट करते है।
वहीं डेलीगेशन द्वारा सारागढ़ी के वीर योद्धाओं की वीर गाथाओं को विभिन्न भाषाओं में देश के प्रत्येक कोने तक पहुंचाने के सुझाव पर उपमुख्यमंत्री ने कहा कि यह बहुत अच्छा सुझाव हैं। उन्होंने कहा कि इन 21 वीर योद्धा के साथ-साथ जितने भी विक्टोरिया क्रॉस रहे हैं, उनका एक अध्याय हमारे इतिहास के साथ जुड़ना चाहिए। इतिहास की पुस्तक में करना चाहिए शामिल
उन्होंने कहा कि इसके लिए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) को अपनी सभी इतिहास की पुस्तकों में इस अध्याय को शामिल करना चाहिए। इस सुझाव को वह केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री तक पहुंचाएंगे। वहीं उन्होंने कहा कि सारागढ़ी की लड़ाई में जो दो वीर योद्धा हरियाणा राज्य के थे, उनके लिए उनके गांव में मेमोरियल बनाने का प्रयास भी किया जाएगा, ताकि आने वाली पीढि़यों के लिए इस वीरता की गाथा को जिदा रखा जा सके। यह रहे मौजूद
इस अवसर पर ब्रिटिश आर्मी से ब्रिगेडियर सीलिया हार्वे, कर्नल जॉन केन्डाल, वारंट ऑफिसर अशोक चौहान, कैप्टन जगजीत सिंह सोहल, सारागढ़ी फाउंडेशन से गुरिदरपाल सिंह, ब्रिगेडियर के एस कैहलों सामाजिक कार्यकर्ता कंवलजीत सिंह गिल आदि मौजूद थे। कार्यक्रम के संयोजक सहजवीर सिंह बराड़ को विशेष प्रयासों के लिए गेस्ट ऑफ ऑनर से सम्मानित किया कया। (Dushyant Chautala Biography)
मेरी सोच हरियाणा को एक उन्नत और आधुनिक प्रदेश बनाने की है : दुष्यंत चौटाला
राजनीति में यह मैटर नहीं करता कि आप क्या सोचते हैं। आपकी सोच, आपके वर्करों और प्रदेश की जनता के साथ जुड़ी होनी जरूरी है। लगातार पांच वषों तक लोकसभा में बतौर सांसद मैंने युवाओं की आवाज उठाई और किसान-कमेरे वर्ग व मजदूरों की दुख-तकलीफों को भी केंद्र की सरकार के सामने रखा। 11 माह में प्रदेश का कोना-कोना नापा है।
मेरी सोच हरियाणा को एक उन्नत और आधुनिक प्रदेश बनाने की है। एक ऐसा राज्य, जहां हर घर में रोजगार हो। हर मरीज को समय पर अच्छा और सस्ता इलाज मिले। किसान खुशहाल हों और युवाओं को उनकी मंजिल तक पहुंचने में किसी तरह की दिक्कत न आए। – दुष्यंत चौटाला