आचार्यश्री तुलसी की मासिक पुण्यतिथि पर संगोष्ठी आयोजित
गंगाशहर। व्यक्ति के जीवन में योग्यता से ज्यादा नैतिकता का होना आवश्यक है। यह बात बीकानेर के जिला कलक्टर डॉ. नरेन्द्र कुमार गुप्ता ने आचार्यश्री तुलसी की मासिक पुण्यतिथि पर आयोजित संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए कही। उन्होंने एक कथानक के माध्यम से बेहतरीन ढंग से समझाया कि जीवन में नियमों की पालना व्यक्ति के चरित्र को प्रतिबिम्बित करती है। डॉ. गुप्ता ने कहा कि जीवन में योग्यता होना सब कुछ नहीं अगर उसके साथ नैतिकता नहीं है तो योग्यता कोई मायने नहीं रखती। इस अवसर पर जिला कलक्टर ने श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, गंगाशहर के अध्यक्ष डॉ. पी.सी. तातेड़ एवं नयी कार्यकारिणी को शपथ ग्रहण करवायी।
उन्होंने कहा कि नयी कार्यकारिणी अपने उत्तरदायित्व को बेहतरीन ढंग से निभाते हुए पहले से बेहतर कार्य करेंगे। विषय प्रवर्तन करते हुए आचार्य तुलसी शान्ति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष जैन लूणकरण छाजेड़ ने संगोष्ठी के विषय प्रशासक पुरुष आचार्य तुलसी पर बोलते हुए कहा कि आचार्यश्री तुलसी 20वीं शताब्दी के महान प्रशासक थे। उन्होंने इतने बड़े धर्मसंघ का जिस ढंग से संचालन करते हुए नयी ऊंचाइयां प्रदान की वह अनुकरणीय एवं प्रशंसनीय है। छाजेड़ ने कहा कि अच्छा प्रशासक वही होता है जो जीवन में मर्यादाओं का पालन करते हुए स्वयं अनुशासनबद्ध जीवन जीता है। आचार्य तुलसी ने ‘निज पर शासन, फिर अनुशासनÓ का उद्घोष देकर मानव जाति को अनुशासन की महत्ता बतलाई। मुनिश्री शान्तिकुमारजी ने संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए कहा कि आचार्य तुलसी ने प्रशासक के रूप में अपना दायित्व निभाया वह महत्त्वपूर्ण रहा। आचार्यश्री वज्र से अधिक कठोर, फूल से अधिक कोमल तथा जल से अधिक शीतल बनकर संघ का ही नहीं अपितु पूरे मानव जगत का नेतृत्व किया। मुनिश्री ने कहा कि आचार्यश्री जैसे महापुरुष ही सही प्रशासक होते हैं।
महापुरुष अपने शिष्य को उल्लाहना देते हैं तो करूणा भी बरसाते हैं। मुनिश्री विमलबिहारीजी ने कहा कि अपना ही वर्चस्व रहे यह सोचना सही नहीं है। हमेशा एकांकी चिन्तन घातक है। मेरा ही वर्चस्व रहे, यह नहीं होना चाहिए। हमेशा सभी के साथ मिलकर चलना चाहिए जैसे दूध में पानी कितना भी डाल दो दोनों मिलकर साथ रहते हैं। आचार्यश्री तुलसी एक कुशल प्रशासक की तरह हमेशा सभी को साथ लेकर चले आचार्य श्री अनुशासन के शिखर पुरुष थे। संगोष्ठी के दौरान श्रीमती श्रीया गुलगुलिया ने ”मुठी में सूरज ले जन्मे, नभ में अनगिन चांद उगाए कविता का काव्य पाठ किया। जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, गंगाशहर के नवनिर्वाचित अध्यक्ष डॉ. पी.सी. तातेड़ ने कहा कि जैन समाज में तेरापंथ धर्मसंघ सबसे परिष्कृत धर्मसंघ है। उन्होंने कहा कि पिछला कार्यकाल सुदृढ़ और अनुशासित रहा इसके लिए सभी सहयोगियों का आभार। डॉ. तातेड़ ने कहा कि नवनिर्वाचित कार्यकारिणी व पदाधिकारियों के साथ मिलकर सामाजिक गतिविधियों को श्रेष्ठतम तरीकों से सम्पन्न करेंगे। डॉ. तातेड़ ने कहा कि शपथ लेना एक बात है लेकिन उन नियमों को जीवन में उतारना अलग बात है। सफलता तभी मिलती है जब हम नियमों को जीवन में उतारते हैं।
आचार्य तुलसी शान्ति प्रतिष्ठान के महामंत्री जतनलाल दूगड़ ने कहा कि आचार्यश्री तुलसी सही मायने में प्रशासक थे। दूगड़ ने कहा कि नेतृत्व करने वाला व्यक्ति जैसा सोचता है उसके अनुयायी उसी तरह सोचते हैं। नेता सहस्त्रपादी होता है वह जिधर चलता है अनेक लोग उसका अनुसरण करते हैं। अत: नेता उच्च चारित्र वाला, नैतिक जीवन जीने वाला होना चाहिए। दूगड़ ने कहा कि हमें खुशी है कि तेरापंथ सभा का नेतृत्व करने वाले डॉ. पी.सी. तातेड़ नैतिक जीवन जीने वाले व्यक्ति है। दूगड़ ने कहा कि आचार्यश्री तुलसी का 22वीं पुण्यतिथि के अवसर पर आगामी 30 जून से 02 जुलाई, 2018 तक त्रिदिवसीय कार्यक्रम आयोजित होंगे। दूगड़ ने कहा कि इन कार्यक्रमों का सफलतापूर्वक निर्वहन हो सके इसके लिए कमेटियां बनाई जा रही है तथा तैयारियां जोर-शोर से चल रही है। संगोष्ठी में तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्ष मंजू आंचलिया, तेयुप अध्यक्ष आसकरण बोथरा, अणुव्रत समिति के अध्यक्ष डॉ. सुभाष घीया, टीपीएफ के अध्यक्ष एडवोकेट बच्छराज कोठारी ने भी अपने विचार रखते हुए नयी टीम को शुभकामनाएं दी। संगोष्ठी की विधिवत शुरूआत नमस्कार महामंत्र तथा तुलसी जप के सामूहिक उच्चारण के साथ हुई। मुनिश्री श्रेयांसकुमारजी द्वारा गीतिका का संगान किया गया। जिला कलक्टर डॉ. एन.के. गुप्ता का परिचय श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के मंत्री अमरचन्द सोनी ने दिया। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि डॉ. एन.के. गुप्ता को निर्वतमान अध्यक्ष शुभकरण सामसुखा ने पताका व विनोद बाफना-जेठमल बोथरा ने साहित्य व स्मृति चिन्ह भेंट करके सम्मानित किया। श्रीमती सुधा भुरा व श्रीमती सुमन छाजेड़ ने श्रीमती श्रीया गुलगुलिया को स्मृति चिन्ह एवं साहित्य भेंट कर सम्मानित किया। मंच का सफल संचालन जैन लूणकरण छाजेड़ ने किया।