पूर्व रक्षामंत्री जॉर्ज फर्नांडिस का 88 साल की उम्र में निधन हो गया है। वह काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनका इलाज चल रहा था। उन्होंने दिल्ली के मैक्स अस्पताल में आखिरी सांस ली है। वह वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे हैं। वह आखिरी समय में अल्जाइमर से पीडि़त थे। यानी उन्हें कुछ याद नहीं रहता था। उनके परिवार से जुड़े सूत्रों ने बताया कि फर्नांडिस को हाल में ही स्वाइन फ्लू हो गया था।

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एक सांसद के तौर पर उनका आखिरी कार्यकाल राज्यसभा में अगस्त 2009 और जुलाई 2010 के बीच में था। फर्नांडिस आपातकाल के खिलाफ लडऩे वाले एक बड़े योद्धा थे। 1998 से 2004 के बीच अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में उन्होंने रक्षामंत्री का पद संभाला। बिमारी के कारण वह सार्वजनिक जीवन से दूर थे। मंगलुरू के रहने वाले जॉर्ज ने 1994 में समता पार्टी बनाई थी।

आपातकाल के खिलाफ संघर्ष के दौरान उन्हें ख्याति मिली थी। वह नागरिक अधिकार कार्यकर्ता थे और उन्होंने 1977 से 1980 में मोरारजी देसाई के नेतृत्व में बनी सरकार में केंद्रीय मंत्री का पद संभाला था। 30 जून 1930 को जन्में जॉर्ज 1967 से 2004 तक सांसद रहे। वह रेल यूनियन के बहुत बड़े नेता था। उनके रक्षामंत्री रहते हुए पोखरण टेस्ट हुआ था। कारगिल युद्ध के दौरान भी वह देश के रक्षामंत्री थे। 2004 में सामने आए ताबूत कांड के बाद उन्होंने रक्षामंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि दो जांच आयोग ने उन्हें दोषमुक्त पाया था। 1975 में इंदिरा गांधी की सरकार ने देश में आपातकाल लगाया था।

हाथों में हथकड़ी, बंद मु_ी और चेहरे पर मुस्कान लिए जॉर्ज की तस्वीर काफी चर्चित है। उन्हें तत्कालीन सरकार ने बड़ौदा डायनामाइट षड्यंत्र के तहत गिरफ्तार किया था और दूसरे अन्य राजनेताओं के साथ जेल में बंद कर दिया था। उन्होंने जेल से ही 1977 का चुनाव लड़ा और बहुत बड़े अंतर से मुजफ्फरनगर सीट से जीत हासिल की थी। फर्नांडिस को याद करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्विटर पर लिखा, ‘जब हम जॉर्ज फर्नांडिस के बारे में सोचते हैं तो हमें ट्रेड यूनियन का वह नेता याद आता है जिसने न्याय के लिए लड़ाई की, वह चुनाव के दौरान बड़े से बड़े नेता को विनम्र बना देते थे। एक दूरदर्शी रेल मंत्री और एक महान रक्षामंत्री जिसने भारत को सुरक्षित और मजबूत बनाया।

सार्वजनिक जीवन में अपने लंबे वर्षों के दौरान जॉर्ज साहब अपनी राजनीतिक विचारधारा से कभी विचलित नहीं हुए। उन्होंने आपातकाल का पुरजोर विरोध किया। उनकी सादगी और विनम्रता उल्लेखनीय थी। मेरी सांत्वना उनके परिवार, दोस्तों और लाखों लोगों के साथ है जो उनके जाने से दुखी हैं। उनकी आत्मा को शांति मिले।

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