बीकानेर। जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ के गच्छाधिपति आचार्यश्री जिन मणिप्रभ सूरिश्वरजी म.सा. की आज्ञानुवर्ती प्रवर्तिनी वरिष्ठ साध्वीश्री शशि प्रभा म.सा. के सान्निध्य में पर्युषण पर्व तहत कल्पसूत्र के प्रसंगानुसार जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्मोत्सव भक्ति के साथ मनाया गया। रांगड़ी चैक के सुगनजी महाराज के उपासरे, ढढ्ढा कोटडी, तपागच्छीय पौषधशाला, उदयरामसर आदि स्थानों भगवान महावीर के गर्भकाल में उनकी जननी त्रिशला माता को स्वप्न में दिखाई दिए 14 स्वप्नों की झांकी प्रदर्शित की गई तथा बोलियां लगाई गई।
परमात्मा को ÓÓ त्रिशला नंदन वीर की जय बोलो महावीर कीÓ आदि नारों के साथ श्रावक-श्राविकाओं ने भगवान के पालने को झुलया। उदयरामसर में साध्वीवृृंद के सान्निध्य में भगवान महावीर के जन्म संबंधित नृृत्य नाटिका प्रस्तुत की गई। इंद्र-इंद्राणी व अन्य स्वरूपों को धारण कर नृृत्य नाटिका में पात्रता निभाई। नृृत्य नाटिका के समय रिमझिम वर्षा होने से प्रसन्नता व भक्ति भाव की लहर जाग उठी।
ढढ्ढा कोटड़ी में प्रवर्तिनी साध्वीश्री शशि प्रभा म.सा. की 75 वां हीरक वर्षगांठ भी शुक्रवार को तप, त्याग, जाप के साथ मनाई गई। अनेक श्रावक-श्राविकाओं ने 75 दिन आयम्बिल करने, 75 दिन ब्रह्मचर्य का पालन करने, खरतरगच्छ युवा परिषद ने पर्युषण के दौरान बुर्जुग, लाचार व बीमार श्रावक-श्राविकाओं को उनके निवास पर जाकर पूजा व देव दर्शन करवाने, मंदिरों में पवित्रता के लिए श्रमदान से स्वच्छ बनाने आदि का संकल्प दोहराया। खरतरगच्छ युवा परिषद के पदाधिकारियों, उपस्थित श्रावक-श्राविकाओं नेे साध्वीश्री शशि प्रभाजी म.सा. के यशस्वी, तेजस्वी और जिन शासन देव की सर्वश्रेष्ठ प्रभावक के रूप स्वस्थ रहते हुए पांच महाव्रतों के श्रेष्ठ पालना स्वयं करते हुए जैनधर्म की प्रतिष्ठा को बढ़ाने की प्रार्थना परमात्मा से जयकारों की।
साध्वीश्री का वंदन व अभिनंदन किया गया। वरिष्ठ गायक सुनील पारख ने Óशशि प्रभाजी उपकारी, नतमस्तक दुनियां सारी, जन्मोत्सव पर नगर में खुशियां छाई भारी सुनाया। उपस्थित श्रावक-श्राविकाओं ने भक्ति रचना के साथ स्वर से स्वर मिलाकर गुरुवर्या की वंदना की। खरतरगच्छ महिला परिषद, बालिका मंडल, सामयिक मंडल व व्यक्तिगत स्तर पर श्रावक-श्राविकाओं ने गीतिका और भावों के माध्यम से तथा खरतरगच्छ युवा परिषद के अध्यक्ष राजीव खजांची व मनीष नाहटा ने साध्वीश्री शशिप्रभाजी के साधना की प्रतिमूर्ति बताते हुए मंगलमय जीवन की कामना की। साध्वी सौम्यगुणा व अन्य सहवृति साध्वियो ंने भी शशिप्रभाजी को विदूषी जिन शासन की साधिका बताते हुए वंदना की।
साध्वीश्री शशि प्रभा म.सा. ने प्रवचन में कहा कि हमें जिन शासन देव की प्रभावना व प्रतिष्ठा के लिए समर्पित भाव से कार्य करना चाहिए। दुर्लभ मानव जीवन में जिन शासन में जन्म लेना पुण्य का कार्य है। जैन धर्म के मर्म को समझते हुए आत्म व परमात्म की प्राप्ति के प्रयास करें। साधना, आराधना व भक्ति के साथ कर्मबंधनों से बचते हुए मोक्ष की मार्ग की ओर बढ़े तथा जन्म मरण के बंधन से मुक्त बनें।
सुगनजी महाराज के उपासरे, ढढ्ढा कोटड़ी उदयरामसर आदि स्थानों पर कल्पसूत्र के वाचन विवेचन के प्रसंगानुसार भगवान महावीर का जन्मोत्सव धूमधाम से भक्ति भाव से मनाया गया। साध्वीवृृंद ने त्रिशला माता के स्वप्न में दिखाई 14 वस्तुओं की लौकिक व आध्यात्मिक विशिष्टता बताई। स्वप्नों की झांकी प्रदर्शित की गई व बोलियां लगाई गई। नाहटा चैक के भगवान आदिनाथ व शांति नाथजी सहित विभिन्न मंदिरों में विशेष अंगी की गई तथा नाल की दादाबाड़ी में पूजा व प्रसाद का आयोजन हुआ।