बीकानेर। “साहित्य में नूतन रचना कर्म” विषय पर संगोष्ठी श्री संगीत भारती बीकानेर में रखी गयी । कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सखा संगम के अध्यक्ष एन.डी.रंगा ने कहा कि पुरातन रचनाकर्म अपनी जगह बहुत अच्छा था लेकिन उसके अनुपात में इस समय जो सृजन हो रहा है वह भी काबिले तारीफ है । इससे बीकानेर को गर्व है । कार्यक्रम में मुख्य अतिथि समालोचक उमाकांत गुप्त ने कहा कि सोशल मीडिया के जमाने में सृजन कहीं छुपा नहीं रहता । स्थानीय लेखक जो रच रहे हैं वह बडा सारगर्भित और उच्च है ।

परिणाम स्वरुप ये रचनाएं बीकानेर से बाहर पुरस्कृत भी हो रही है ।कार्यक्रम में सखा संगम की तरफ से उमाकांत गुप्त को माल्यार्पण, शॉल. सम्मान पट्टिका, सम्मान पत्र और साहित्य नागेश्वर जोशी, आर.के शर्मा, ब्रजगोपाल जोशी ऋषिकुमार अग्रवाल ने भेंट कर अभिनन्दन किया गया ।

सम्मान के पश्चात सखा संगम के चेयर पर्सन चन्द्रशेखर जोशी ने कहा कि यह संस्था उमाकांत गुप्त का सम्मान कर स्वयं गौरवांवित हुयी है । संगोष्ठी में सशांकशेखर जोशी ने बीकानेर पर लिखी अपनी रचना चोखो है म्हारो है, है जिसो म्हारो है, मुझसे अब पहले सी रगवत न मांग मेरे दोस्त, मुहब्बत धुल चुकी है तेरी यादों की बारिश में । सफेदी गाल पर चस्पा, आंखों से नूर गायब है ।

उम्र की खिश्ते बिक चुकी हैं बस रुह वाली । कराहते हैं कूल्हे तो कभी हड्डियां चरमराती है । संयोजन करते हुए कवि-कथाकार राजाराम स्वर्णकार ने अपनी राजस्थानी कविता- म्हारी कविता/ अन्यावां सूं भचभेडा कर आगे आवै/ चिन्नी सीÓक नहीं घबरावै/ भूंडी कुचमादी सतावां रा/ विषदंत उखाडै/ दे धन्धूणी पटक पछाडै / म्हारी कविता सुनाकर नयी कविता की बानगी प्रस्तुत की । डॉ.मुरारी शर्मा ने सभी के प्रति आभार माना ।