नागौर। जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूरी पर पीपासर गांव में गुरुवार को गुरु जंभेश्वर पैनोरमा का आज आम जनता के लिए प्रायोगिक तौर पर खोल दिया गया। इस पैनोरमा में गुरु जंभेश्वर जी के 1451 में जन्म से लेकर विभिन्न आध्यात्मिक शिक्षा तथा सामाजिक सुधार में किए कार्यों को दर्शाया गया है।
बहुत ही आकर्षक रंगीन चित्रों के माध्यम से दर्शाए गए राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण के अध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत ने बताया कि आज से आमजन इस पैनोरमा को देख सकेंगे। यह पैनोरमा हमारे देश के उपग्रह आर्यभट्ट की डिजाइन पर बनाया गया है। इसके पीछे हमारा मकसद यह था कि गुरु जंभेश्वर जी के सभी नियम वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित थे और वे एक अच्छे वैज्ञानिक की तरह सभी बातों को प्रतिस्थापित किए हुए थे।
लखावत ने बताया कि आर्यभट्ट की डिजाइन पर बनी इस पेनोरमा में जंभेश्वर भगवान ने जो 29 नियम दिए थे। जिनमे से 8 नियम जैव विविधता तथा जानवरों के लिए, 7 धर्म आदेश समाज की रक्षा के लिए तथा 10 उपदेश खुद की सुरक्षा और अच्छे स्वास्थ्य के लिए है। इन सब नियमों को रंगीन और कलात्मक डिजाइन के साथ दर्शाए गए।
यहां बने चित्रों में गुरु जंभेश्वर द्वारा जल से दीपक जलाना और प्रथम शब्द वाणी का उच्चारण जांभोजी का पशु मेला, पशु प्रेम दर्शाए गए हैं। साथ ही अकाल पीडि़तों के लिए औषधीय कार्यों के बारे में भी बेहतरीन तरीके से चित्रों के माध्यम से बताया गया है कि किस तरह 1542 में जब समराथल में भयंकर अकाल पड़ा था तो क्या क्या उपाय हुए थे।
पैनोरमा में खेजड़ी का बलिदान तथा पशु पक्षियों के प्रेम का संदेश भी बखूबी दर्शाए गए हैं। एक चित्र के माध्यम से गुरु जंभेश्वर जी द्वारा शेख सद्दो बातों से गौवध रोकने के बारे में समझाइश करते हुए तथा शेख सद्दो द्वारा गौवध ना करने की प्रतिज्ञा के बारे में बताया गया है।
पैनोरमा परिसर में वन विभाग तथा पर्यावरणप्रेमी हिम्ताराम भांभू द्वारा 100 वृक्षारोपण किए गए। अध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिक विभाग के जेके चारण सहित ग्रामीणों ने विभिन्न प्रजातियों के पौधे लगाएं।
ओंकार सिंह लखावत ने बताया कि इसमें आमजन का 10 रूपये का टिकट तथा विद्यार्थियों को 5 रूपये का टिकट लेकर देखा जा सकेगा। इस पैनोरमा के निर्माण पर राज्य सरकार द्वारा एक करोड रुपये व्यय किए गए हैं।