महाकवि माघ महोत्सव 2018 की श्रृंखला में राजस्थान संस्कृत अकादमी, जयपुर व महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर वूमन स्टडीज़ के सयुंक्त तत्त्वाधान में अयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संस्कृत संगोष्ठी के समापन समारोह में विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य कर रही अग्रणी सात महिला विभूतियों को सम्मानित किया गया जिनमें रंगमंच के क्षेत्र में मंदाकिनी जोशी, वेदभाषा योगदान के क्षेत्र में अनुसूया शर्मा, महिला एवं बाल विकास के क्षेत्र में राधा विजय, विधिक क्षेत्र में अनामिका सहारण, संगीत के क्षेत्र में कल्पना शर्मा, कैलीग्राफी के लिए मीनाक्षी स्वर्णकार व पर्वतारोहण के क्षेत्र में सुषमा बिस्सा शामिल रहीं ।संगोष्ठी में सौ से अधिक पत्रों का वाचन नारी तु नारायणी विषय पर किए गए।
स्वागत भाषण देते हुए डॉ हेमंत कृष्ण मिश्र ने कहा की नारी तु नारायणी विषय को केंद्र में रखकर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी अपने आप में एक अद्धभुत आयोजन है जिससे एक सार्थक परिणाम सामने आऐंगे और इसका नेक सन्देश जन जन में तक पहुंचेगा।
सेंटर की निदेशक डॉ मेघना शर्मा ने संगोष्ठी की रिपोर्ट मंच के माध्यम से सब के समक्ष रखते हुए प्रथम व द्वितीय सत्र के सभी वक्ताओं द्वारा रखे विचारों की संक्षिप्त जानकारी देते हुए कहा की संगोष्ठी का उद्देश्य महिला सशक्तिकरण की भावना को जन जन में स्थापित करना है।उन्होंने इस संगोष्ठी में सहयोग के लिये राजस्थान संस्कृत अकादमी के साथ साथ सभी सहयोगियों का आभर व्यक्त किया । समापन सत्र में समारोह की मुख्य वक्ता डॉ चंचला पाठक ने कहा कि महिला शक्ति सदैव शक्ति स्वरूपा रही किंतु सदैव स्त्री को पीछे रखा गया, आज के युग में स्त्री सशक्त होकर आगे आने का प्रयास कर रही है और जिस दिन स्त्री सशक्त रूप से आगे आ जाऐगी उस दिन ही एक नई जागृति का आगाज़ होगा क्योंकि स्त्री हो या पुरुष आवश्यकता मनुष्यता के संचार की है , मनुष्यता के विमर्श की आवश्यकता है जिसे आज आगे बढ़ाना होगा। उनहोंने वेदभाषा की संवृद्धि संबंधी विचार मंच से रखे ।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ रामगोपाल शर्मा, प्राचार्य संस्कृत महाविद्यालय, बीकानेर ने अपने उद्बोधन में कहा की नारी तु नारायणी राष्ट्रीय संगोष्ठी के माध्यम से देश प्रदेश की सशक्त विभूतियो ने अपने विचार रखकर इस सेमीनार को ऊंचाइयां प्रदान कीं हैं और इस राष्ट्रीय संगोष्ठी से एक सार्थक सन्देश देश को प्राप्त होगा। देववाणी के माध्यम से एक नेक सन्देश देने का सार्थक प्रयास हुआ है और नारी नारायणी है तो नर भी नारायण है और दोनों एक दूसरे के पूरक है ,दोनों के बिना जगत की कल्पना अधूरी है । समारोह की विशिष्ट अतिथि अंतराष्ट्रीय आत्मरक्षा विशेषज्ञ सुश्री ऋचा गौड़ ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा की आत्म रक्षा की कला अर्थात मार्शल आर्ट हर व्यक्ति के लिए जरूरी है, यह स्वास्थ्य का भी हिस्सा है और महिलाओं को इस आर्ट से जुडऩा चाहिये । घर के बड़े अर्थात सरक्षक जनों को बेटियों को इससे जोड़कर देश को एक नई ताकत देने की आवश्यकता है और जिस दिन हर बेटी जागरूक होगी , सबल होगी उसी दिन वास्तविक महिला सशक्तिकरण होगा । उन्होने मंच से कुछ आत्मरक्षा के गुर भी सबके सामने डेमो प्रदर्शन के माध्यम से रखे ।
समारोह के दौरान आयोजन समिति के सदस्य डॉ शशि वर्मा, डॉ. सीमा शर्मा, डॉ विक्रमजीत, डॉ गौरीशंकर प्रजापत, डॉ चन्द्रशेखर श्रीमाली का सम्मान किया गया । समारोह में मंच संचालन मनीषा विश्वकर्मा ने किया , धन्यवाद ज्ञापन डॉ शशि वर्मा ने दिया। समापन समारोह में डॉ. नारायण सिंह राव डॉ शुक्लाबाला पुरोहित, दिल्ली से डॉ विदुषी शर्मा, डॉ दिग्विजय सिंह, डॉ मीरा श्रीवास्तव, डॉ अनिल कुमार छंगाणी, डॉ राजाराम चोयल, पूनम चंद शर्मा, सप्रेम जोशी, भैरु सिंह राजपुरोहित, बनवारी लाल शर्मा, राजाराम स्वर्णकार , गायत्री प्रसाद शर्मा, डॉ. राजशेखर पुरोहित, डॉ. नमामि शंकर आचार्य, डॉ. नारायण सिंह राव सहित शहर के गणमान्य जन उपस्थित रहे ।।