ओम एक्सप्रेस न्यूज. बीकानेर। कीमती धातुओं में जितना सोना पसंद किया जाता है। उतनी चांदी भी पसंद नहीं की जाती है। यहीं वजह है कि सोने के दाम चाहे कितने ही आसमान की ऊंचाइयों को छू ले उसकी खरीद पर कभी ग्रहण नहीं लगा है। हर आदमी सोने की खरीद से पहले उसकी सही देखभाल करता है और वह उसी दुकान से सोना खरीदता है जहां पर उसे दुकानदार के प्रति विश्वास होता है। उसके बाद भी अंतिम समय तक उसे यह चिंता सताती रहती है कि उसने जिस सोने की खरीद की है। वह सौ फीसदी खरा है अथवा उसमें भी खोट मिली हुई है। फिर भी अगर बाजार में सोने की खरीद के लिए जाए तो कई महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है। सोने की खरीद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ही अधिक की जाती है। इसलिए इसकी शुद्धता पर ज्यादा ही ध्यान दिया जाता है।
किन-किन बातों पर रखे ध्यान
1- हॉलमार्क क्या है?
हॉलमार्क में ज्वैलरी की पूर्ण शुद्धता का नामक होता है। हॉलमार्क में ज्वैलरी अन्तराष्ट्रीय प्योरिटी मानको के अनुरूप होती है। यह इतना महत्वपूर्ण होता है कि इसे बीआईएस द्वारा लाइसेंसधारी ही करवा सकता है।
2- तिकोना निशान बताता है शुद्धता
असली हॉलमार्क ज्वैलरी पर भारतीय मानक ब्यूरो का तिकोना निशान होता है। उस पर हॉलमार्किंग लोगो के साथ ज्वैलरी की शुद्धता भी लिखी होती है। उसी में ज्वैलरी निर्माण का उत्पादक का लोगो को भी होता है। यह पांचों निशान होने पर ही असली हॉलमार्क मान्य होगा। हॉलमार्क में बी.आई.एस. के पाच मार्क होते है। इसमें बीआईएस का तिकोना चिन्ह, प्योरटी 916, ईयर कोड 22के, हॉलमार्क सेंटर का नाम तथा ज्वैलर का लोगो शामिल है।
3- बिना हॉलमार्क ज्वैलरी खरीदने के क्या नुकसान है?
सोने के बारे में यह आम तौर पर माना जाता है कि ग्राहक को चौबीस घंटे यह चिंता सताती रहती है कि उसने जिस दुकान से सोने की खरीद की है। उसमें कितनी सत्यता है। इस वजह से वह सावधानी से महंगी धातु को खरीदने का प्रयास करता है। फिर भी मिलावटी सोना धड़ल्ले से बिक रहा है जो जेब पर है भारी पड़ता है।क्यों कि 20 का 22 कैरेट करके बाजार में 18 कैरेट सोना 22 कैरेट हॉलमार्क बता कर बेचा जा रहा है। बिना हॉलमार्क की जानकारी वाले ग्राहकों को 18 कैरेट सोना 22 कैरेट सोना बताकर ग्राहकों से धोखाधड़ी हो रही है। कुछ ज्वैलर्स ग्राहकों की अज्ञानता का फायदा उठाकर फर्जी हॉलमार्क बताकर नकली सोना बेच देते हैं। इस प्रकार के हॉलमार्किंग पर पूर्ण रूप से शुद्धता नहीं होने पर कोई कार्यवाही ज्वैलर्स पर नहीं कर सकता।
4- मेकिंग चार्ज वसूलने का खेल
ज्वैलर्स ग्राहक से 10 से 35 प्रतिशत मेकिंग चार्ज लेते है। जबकि चार्ज की राशि बनने वाली ज्वैलरी पर निर्भर होती है। इसमें कई ज्वैलर्स 24 कैरेट के भाव लगाकर मेकिंग चार्ज लेते है जिसे गलत माना जाता है। जो ज्वैलरी प्रतिदिन बाजार से निकलती है उसी पर मेकिंग चार्ज 10 से 18 प्रतिशत जो कि 22/22 हॉलमार्क ज्वैलरी होती है उस पर उचित है उससे अधिक मेकिंग चार्ज वसूलना ग्राहक के साथ धोखाधड़ी ही है।
5- 20/22 या 24 कैरेट में ध्यान रखने योग्य बातें
20/22 का मतलब यह होता है कि 20 कैरेट ज्वैलरी दी रही है उसका कोई मानक नहीं होता है। इस पर 65 से 80 प्रतिशत शुद्धता हो सकती है क्योंकि उस पर हॉलमार्क नहीं होता। जबकि भाव 22 कैरेट से वसूलते है उस पर मेकिंग चार्ज नहीं होना चाहिए। फिर भी उस पर मेकिंग चार्ज लेकर ग्राहकों को लूटा जाता है। 24 कैरेट का मतलब 99.50 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना होता है। इस 24 कैरेट में ज्वैलरी बनती भी नहीं है। इस प्रकार से एक जागरूक ग्राहक होने के नाते 20/22 का चक्कर छोड़कर केवल पांच निशान वाली हॉलमार्क की ज्वैलरी ही लेनी चाहिए। साथ ही पक्का बिल लेना चाहिए जिसमें ज्वैलरी की शुद्धता अंकित करवानी चाहिए ताकि भविष्य में ज्वैलरी की टूट-फूट एवं डिजाइन बदलवाने में खरीदे गए स्वर्ण आभूषणों की कीमत ज्वैलरी भाव से पूरी मिल सके।