बीकानेर । प्रांतीय भाषाओं के सहयोग, सद्भाव और समन्वय से ही राजभाषा हिंदी मजबूत होगी तथा देश के एक सूत्र में बांधे रखने का पुनीत कार्य हिंदी भाषा द्वारा ही संभव हो सकेगा। प्रत्येक प्रांतीय भाषा का अपना प्रांत है और हिंदी ऐसी किसी भी प्रांतीय संकीर्णता से परे है इसलिए वह पूरे देश की भाषा बनने में सक्षम है। उक्त उद्गार रंगकर्मी एवं वरिष्ठ साहित्यकार मधु आचार्य ‘आशावादी’ ने आकाशवाणी केंद्र बीकानेर की हिंदी कार्यशाला एवं पुरस्कार वितरण समारोह के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि आकाशवाणी की रीति नीति में यह तथ्य उल्लेखित भी है और किसी केंद्र की सार्थकता भी इसी में निहित है कि वह अपनी स्थानीयता को एक संसधान के रूप में प्रयुक्त करते हुए उससे ऊर्जा ग्रहण करे। राजस्थान के केंद्र अगर यहां की भाषा, साहित्य और संस्कृति की बात नहीं करेंगे तो कौन करेगा। किसी भी क्षेत्र के कार्य की सार्थकता उसके स्थानिक स्वरूप के विशद और गहन उपयोग पर निर्भर करती है। हिंदी का शब्द भंडार और जीवन शक्ति का आगर पूरे भारत की क्षेत्रीय भाषाएं और साहित्य है तथा भारत की संस्कृति हमारी साझी संस्कृति है।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार बुलाकी शर्मा ने कहा कि किसी भी दिवस की अवधाणा समय सापेक्ष होती है। हिंदी के संदर्भ में पहले हिंदी दिवस मानया जाता था और बाद में हिंदी सप्ताह का आयोजन होता था। अब जब हिंदी पखवाड़ा मनाया जा रहा है तो निकट भविष्य में हिंदी माह के आयोजन देश में होंगे। उन्होंने कहा कि मुझे वास्तविक खुशी उस दिन होगी जब पूरे देश में हिंदी वर्ष मनाया जाएगा और हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में मान्यता मिलेगी। शर्मा ने कहा कि हिंदी कामकाज की भाषा है और थोड़ा बहुत जो अवरोध है वह हमारी इच्छा शक्ति से नजर आता है। यदि पूरा देश यह संकल्प कर लें कि हम हिंदी में ही राजकीय कार्य करेंगे तो यह बहुत आसन है।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता वरिष्ठ साहित्यकार राजेन्द्र जोशी ने हिंदी के विकास की व्यापक चर्चा करते हुए आकाशवाणी की लोकप्रियता और हिंदी के विकास में आकाशवाणी के अवदान को रेखांकित करते हुए कहा कि आज निसंदेह चुनौतियां है किंतु फिर भी यह माध्यम सबसे अधिक विश्वसनीय और दूर दराज के इलाकों में अपनी मजबूत पकड़ अब भी बनाए हुए है। जोशी ने राजस्थान में हुए साक्षरता एवं सतत शिक्षा अभियान के संदर्भ से चर्चा करते हुए स्थानीयता के महत्व को उजागर करते हुए आकाशवाणी को ज्ञान विज्ञान और क्रांति का अग्रदूत बताया।
कार्यक्रम के आरंभ में कार्यक्रमाध्यक्ष श्याम पंवार ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि व्यक्ति के मन में कुछ करने का हौसला और हिम्मत ही वह जजबा है जिससे सफलता मिल सकती है। आज के प्रतिस्पर्धा के युग में आकाशवाणी अपने मानव संसाधनों के बल पर सभी चुनौतियों का सामने करते हुए अपना महत्त्व बनाए हुए है।
कार्यक्रम के अध्यक्ष एस.के. मीना ने आकाशवाणी केंद्र की विभिन्न गतिविधियों और योजनाओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि तकनीति क्रांति के इस युग में आकाशवाणी बीकानेर कदम से कदम मिलाकर चल रहा है और पूरे देश में फैसे विभिन्न केंद्रों के बीच अपना विशिष्ट स्थान बनाए हुए है।
कार्यक्रम में कवि-आलोचक डॉ. नीरज दइया ने आकाशवाणी के संदर्भ में अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि आकाशवाणी ने अपने मानव संसधानों के कारण मानवीय संबंधों का विकास और विस्तार किया है। कला, साहित्य और संस्कृति के संदर्भ में जन चेतना का अद्वितीय कार्य में आकाशवाणी का योगदान भूलाया नहीं जा सकता।
आकाशवाणी में आयोजित हिंदी पखवाड़े के अंतर्गत आयोजित विभिन्न हिंदी प्रतियोगिताओं, वार्षिक पुरस्कार – नगद प्रोत्साहन पुरस्कार योजना एवं हिंदी डिक्टेशन पुरस्कार योजना के अंतर्गत विजेताओं को मुख्य अतिथि मधु आचार्य द्वारा पुरस्कार वितरित किए गए। वार्षिक नकद प्रोत्साहन पुरस्कार के अंतर्गत एस.के.सिलू, राजेश धवन, नरेन्द्र कुमार शर्मा को एवं वार्षिक डिक्टेशन पुरस्कार निदेशक (अभि.) एस.के.मीना व श्याम लाल पंवार को अर्पित कर सम्मानित किया गया। पखवाड़े के अंतर्गत विभिन्न प्रतियोगिताओं में प्रतियोगिताओं में अलग-अलग विजेताओं के अंतर्गत विजेता के रूप में प्रसारण निष्पादक सुश्री पुनित बिश्नोई एवं अशोक कुमार को, दो प्रतियोगिताओं के विजेता के रूप में प्रसारण निष्पादक बरखा थानवी, वरिष्ठ अभि. सहायक अनिल जेम्स, वरिष्ठ लिपिक जयकिशन गर्ग, कनिष्ठ लिपिक अजय कुमार तिवारी एवं वरिष्ठ तकनीकी सुनील मित्तल को पुरस्कृत-सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में प्रमोद कुमार शर्मा, संयम कुमार, असलम अली, किशन लाल जोशी, राजेंद्र चांवरिया, मनोज कुमार, मनोज कुमार पारीक, अरुण कुमार गुप्ता को भी पुरस्कृत-सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन प्रसारण निष्पादक बरखा थानवी ने किया।