बीकानेर। वरिष्ठ साहित्यकार भवानीशंकर व्यास “वनोद” के व्यक्तित्व-कृतित्व पर एक संगोष्ठी उनके पवनपुरी आवास पर की गयी। यादों के झरोखे से बात रखते हुए सखा संगम के अध्यक्ष एवं समाजसेवी एन.डी.रंगा ने कहा मेरे को गुरूजी की कविताएं अब भी याद है जिन्हें मैं विदेशी धरती पर अक्सर गुनगुनाया करता हूं। सौभाग्य से आज मुझे इनके जन्मदिन पर आशीर्वाद लेने का अवसर मिला है।

शब्दरंग साहित्य एवं कला संस्थान के संयोजक अशफाक कादरी ने विस्तार से अपनी बात रखते हुए कहा कि गुरूजी एक आदर्श सोच के इन्सान है जिन्होंने साहित्य की अनेकों विधाओं में रचनाकर्म किया है। सखा संगम के ही चंद्रशेखर जोशी ने कहा कि आपके सद्प्रयासों से बीकानेर की छवि साहित्य में उत्कृष्ट रही है।

84 वें जन्मदिन पर शब्दरंग के राजाराम स्वर्णकार ने कहा कि मैंने गुरूजी से साहित्य में बहुत कुछ सीखा है। जब असहज होता हूं तो गुरूजी के पास आ जाता हूं आपसे मिलने के बाद मेरी परेशानी दूर हो जाती है और मुझे सही शब्द मिल जाते हैं जिससे मेरी रचना में और निखार आ जाता है।

संस्कृतिकर्मी राजेन्द्र जोशी ने भी अपने संस्मरण सुनाकर भाव-विभोर कर दिया। कार्यक्रम में डॉ.अजय जोशी, नागेश्वर जोशी, ब्रजगोपाल जोशी, मंजूर अली चांदवानी, वरिष्ठ रंगकर्मी बी.एल.नवीन ने भी अपन विचार रखे। कार्यक्रम में भवानीशंकर व्यास को माल्यार्पण, फूलों का गुलदस्ता, शोल आदि भेंटकर सम्मान किया गया।


भवानीशंकर व्यास ने इस आत्मीय सम्मान से अभिभूत होकर कहा कि इस आपाधापी के युग में कौन किसको याद करता है, किसके पास इतना समय है जो किसी के लिए निकाले। मगर अपने शहर में अभी तक यह मान-सम्मान का सिल-सिला चल रहा है जो अच्छी बात है। मुझे खुशी है कि आप लोग मेरे घर पधारकर मेरा सम्मान किया मेरी वर्षों पुरानी कविताओं को दोहराकर उस समय को जीवंत कर दिया। राजस्थानी की वरिष्ठ उपन्यासकार आनंद कौर व्यास ने भी अपने संस्मरण साझा किए। प्रेरणा-प्रतिष्ठान के प्रेमनारायण व्यास ने सभी के प्रति आभार ज्ञापित किया।

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