जयपुर। स्वाधीनता सेनानी स्व.अम्बालाल माथुर जी की स्मृति में आयोजित अवार्ड समारोह में 36 विभूतियों का सम्मान कर उन्हें अवार्ड प्रदान किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए न्यायाधिपतिपानाचंद जैन ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज पत्रकारिता एक चुनौतीपूर्ण कार्य हो गया है। विज्ञान व तकनीकी के विकास के बाद अब ज्यादा जिम्मेदारी से पत्रकारों को कार्य करना होगा। जनहित से ऊपर कुछ नहीं होता, इसलिए मीडिया और पत्रकारिता को जनहित के मुद्दों पर पहल करनी चाहिए। उन्हें अपने कार्य इस निपुणता से करने चाहिए जिससे लोगों में जाग्रति पैदा हो। एक न्यायपूर्ण सामाजिक व्यवस्था के लिए पत्रकारिता एक सक्षम औजार है जिसका सोच समझकर उपयोग किया जाना चाहिए। लोकमत के प्रधान संपादकअशोक माथुर ने सभी आगंतुकों का स्वागत करते हुए कहा कि पत्रकारिता केवल कागज़ पर कुछ लिखने से ही पूरी नहीं हो जाती, सक्रियता और जान आंदोलन इसके महत्वपूर्ण हिस्से हैं।
स्वाधीनता आंदोलन के समय महात्मा गाँधी का विजऩ,गणेश शंकर विद्यार्थी का इंक़लाब, शहीद भगत सिंह का लेखन हमारी आज़ादी के संग्राम में जन चेतना के आधार थे। इंसान को इंसान से लड़ाने की प्रवृत्ति के स्व.गणेश शंकर विद्यार्थी सख्त खिलाफ थे और उन्हें इसी मसले पर कुर्बानी देनी पड़ी। वर्तमान दौर में भी सक्रिय पत्रकारिता के सामने जि़न्दगी और मौत का संग्राम है। हाल ही में देखा गया है कि देश में उत्तर से पश्चिम तक देश के अनेक पत्रकारों को मार दिया गया, सैंकड़ों समाचार पत्रों को बेरहमी से कुचल दिया गया लेकिन बन्दूक चलने वालों को समझ लेना चाहिए कि गोली से विचार नहीं मरते। स्व. अम्बालाल माथुर और उनके बड़े भाई स्व.जगदीश प्रसाद दीपक ने इसी प्रकार की अलख जगाई थी। अब पत्रकारिता को व्यवसाय का दजऱ्ा देने वाले लोग ये भूल जाते हैं कि हमें स्वस्थ समाज कि आवश्यकता है। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि, अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त अर्थशास्त्री व पद्मश्रीविजयशंकर व्यास ने कहा कि पूरा विश्व इस वक़्त एक विशेष दौर से गुजऱ रहा है। ऐसी स्थिति में पत्रकारिता का कार्य सूक्ष्म और जिम्मेदारीपूर्ण हो गया है। पत्रकारों को देश को दिशा देने का दायित्व अपने हाथ में लेना होगा। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के लिए स्वतंत्र पत्रकारिता का होना अति आवश्यक है। राज्य सैनिक कल्याण बोर्ड के अध्यक्षप्रेम सिंह बाजौर ने सीमा पर लड़ रहे सैनिकों की कुर्बानी को याद करते हुए कहा कि स्वाधीनता सेनानियों ने देश को आज़ाद करवाया और सैनिक देश की रक्षा के लिए कुर्बानी दे रहे हैं। उन्होंने शहीद सैनिकों के स्मारकों के सम्बन्ध में भी जानकारी दी।
वैभव गहलोत, महासचिव, प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने कहा कि लोकतंत्र में राजनैतिक पार्टियों की अहम् भूमिका होती है, इसलिए उन्हें सही दिशा में काम करते हुए समाज सेवा में जुटे रहना चाहिए। उन्होंने स्वाधीनता सेनानी स्व.अम्बालाल माथुर को श्रद्धांजलि देते हुए उनके द्वारा किये गए कार्यों की सराहना की।गहलोत ने कहा कि हम लोकतंत्र के लिए प्रतिबद्ध हैं और देश को नई ऊंचाइयों तक पहुंचना हमारा कर्त्तव्य है। बीज निगम के पूर्व अध्यक्षधर्मेंद्र सिंह राठौड़ ने पत्रकारिता के सामने छाये संकट का हवाला देते हुए कहा कि सबको मिलकर लोकतंत्र और विकास के लिए कार्यरत रहना चाहिए। उन्होंने पर्यावरणीय संकट की ओर भी इशारा किया। स्वाधीनता सेनानी अम्बालाल माथुर को याद करते हुए उन्होंने कहा कि राजस्थान के गठन और विकास में उन्होंने अहम् भूमिका निभाई।
इस अवसर पर समाजसेविका सरिता राठौड़, श्रीमती अर्चना शर्मा, साहित्यकार श्याम महर्षि, सामाजिक कार्यकर्ताशरद जोशी, डॉ. नीलम गोयल आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये। विक्रम सिंह तारातरा,मनोज मारु,राजेंद्र सिंह राठौड़,जीतेन्द्र इत्यादि ने समारोह के आयोजन में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की।