राज्यपाल को दिया निमंत्रण
कुरुक्षेत्र (हरियाणा सुधांशु कुमार सतीश)। इस बार 12 साल बाद हरियाणा के कुरुक्षेत्र में महाकुंभ मेला लगने का शुभ योग बन रहा है। जानिए कब और कैसे कर सकेंगे स्नान। सदियों से सुप्त कुंभ के पवित्र योग एवं स्नान का सुभावसर श्रद्धालुओं को धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र में एक बार फिर मिलने जा रहा है। हालांकि कुरुक्षेत्र में महाकुंभ मेला लगने का योग 12 साल बाद आ रहा है। गंगा प्रदूषण प्रवाह मुक्ति मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिदानंद महाराज व सर्वमंगल अध्यात्म योग विद्या पीठ अध्यक्ष स्वामी चिदात्मन जी महाराज का कहना है कि महाकुंभ मेला एवं पवित्र स्नान का दौर कुरुक्षेत्र सहित देशभर में आठ स्थलों पर सदियों पहले सुप्त गया था ।
अब इसे जागृत करने का बीड़ा धर्मगुरुओं ने उठाया है, क्योंकि धर्मग्रंथों में प्रयाग, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक के अलावा रामेश्वरम, जग्ननाथ, द्वारिका, गंगा सागर,गुवाहटी,जानकी घाटी, सिमरिया एवं कुरुक्षेत्र में कुंभ स्नान के महत्व का उल्लेख मिलता है। उन्होंने बताया कि वैदिक पौराणिक ग्रंथों एवं ऐतिहासिक तथ्यों में आदि कुंभ स्थली कुरुक्षेत्र का भी नाम आता है,जहां इस स्थल पर अनादिकाल कुंभ स्नान का महत्व रहा है। उन्होंने धार्मिक ग्रंथों का हवाला देते हुए कहा, ? इसी कड़ी में देश के 12 स्थलों पर कुंभ की शुरुआत की गई थी।
समय, प्रकृति और परिस्थिति के कारण आठ जगहों पर महाकुंभ की परंपरा धीरे-धीरे समाप्त हो गई, लेकिन अब इन जगहों पर महाकुंभ को फिर से संत समाज इसे जागृत करने करने के लिये प्रयासरत है। उन्होंने बताया कि उनका संगठन बिहार में कुंभ को लेकर जागरुकता अभियान चला चुके हैं। उनके मुताबिक पांच दिसंबर रात के 10 बजकर 13 मिनट वृश्चिक चंद्रमा के लग्न में यह कुंभ स्नान ढाई दिन तक कुरुक्षेत्र में चलेगा। उन्होंने बताया कि यह सरस्वती की स्थली है, इस भूमि का महत्व समाज की एकता और अखंडता के साथ पुण्य की भागीदारी के लिये है। उन्होंने बताया कि कुरुक्षेत्र में दिसंबर के दौरान जो कुंभ का योग बन रहा है, वह पूरे 12 साल बाद बना है। उन्होंने बताया कि सनातन धर्म में इस कुंभ का विशेष महत्व है।
स्वामीजी ने कहा कि संगठन का प्रयास है कि इस पुण्य अवसर का लाभ भारतीय परंपराओं में विश्वास रखने वाले लोग अधिक से अधिक संख्या में उठाये। उन्होंने प्रशासन से भी इस विशेष अवसर पर व्यवस्था करने और सहयोग के लिये अपील की है। बताया गया है कि इन्हीं सुप्त जगहों में से एक बिहार के सिमरिया में महाकुंभ को जागृत किया जा चुका है, 2017 में यहां महाकुंभ का योग बनने पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थे, जबकि इस मेले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी शामिल हुये थे। उन्होंने कहा कि धर्मग्रंथों में यह भी उल्लेख मिलता है कि कुरुक्षेत्र में कुंभ मेले के दौरान यहां सरस्वती नदी में स्नान होता था,लेकिन सदियों पर पहले सरस्वती नदी लुप्त होने के कारण, कुंभ स्नान भी सुप्त हो गया, लेकिन अब इस पवित्र अवसर का लाभ कुरुक्षेत्र में सभी श्रद्धालुओं को मिलेगा। इसके लिये लोगों को जागृत किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि कुरुक्षेत्र में कुंभ जैसे पवित्र अवसर पर स्नान के लिये ब्रह्मसरोवर और सन्निहित जैसे पवित्र सरोवर है। जहां महाकुंभ के अवसर दिसंबर 2018 में स्नान करके इस पुण्य प्राप्त होगा। कुरुक्षेत्र पहुंचे उपरोक्त दोनों संतों के साथ लोकसभा टीवी के संपादक श्याम किशोर सहाय, विजय सिंह एवं अन्य लोग भी मौजूद रहे। इन्होंने ब्रह्मसरोवर और ज्योतिसर में स्नान और आचमन किया।
राज्यपाल को दिया निमंत्रण कुंभ सेवा समिति के महासचिव और लोकसभा टीवी के संपादक श्याम किशोर सहाय ने कहा की कुंभ महोत्सव के लिए हरियाणा के राज़्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य को निमंत्रण दिया गया है । इसके अलावा लाडवा विधायक डॉ पवन सैनी को निमंत्रण दिया गया है । सैनी ने इस महोत्सव के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री से बातचीत करने का आश्वासन दिया है ।
करपात्री अग्निहोत्री परमहंस स्वामी चिदात्मन जी महाराज हैं द्वादश कुंभ पुनर्जागरण प्रेरणा पुरुष। पतित पावनी मां गंगा के तट पर स्थित आदिकुंभस्थली सिमरिधाम, बेगूसराय (बिहार) में आश्रम पिछले चार दशक से उस स्थान पर है आसन ।
ऐसी मान्यता है, कि वैदिक युग में 12 स्थानों पर लगा करता था कुंभ। रूदयामलतंत्र के अध्याय रुद्रयामलोक्ताअमृतीकरणप्रयोग में श्लोक 123-128 तक इसका स्पष्ट रूप से है उल्लेख। धर्मसम्राट करपात्रीजी ने कुंभों के ऊपर लिखी अपनी प्रसिद्ध और सर्वमान्य पुस्तक ‘कुंभ पर्व निर्णय’ में 22 वें पृष्ठ पर इसका उल्लेख किया है। प्रयागराज, उज्जैन, हरिद्वार और नासिक में जागृत रही कुंभ की परंपरा। द्वारिकापुरी, जगन्नाथपुरी, गोहाटी, सिमरिधाम, गंगासगर, कुरुक्षेत्र, कुंभकोणम और रामेश्वरम में लुप्तप्राय हो गयी कुंभ की परंपरा। आठ स्थानों पर सुप्त कुंभ के पुनर्जागरण का प्रयास।(PB)