बीकानेर । ता थई तत इंस्ट्रीट्यूशनल ट्रस्ट मुम्बई द्वारा कांदीवली (पूर्व) में स्थित तेरापंथ भवन के प्रेक्षागृह में कथक यात्रा आयोजित की गई । भारत के प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट, चित्रकार और लेखक आबिद सुरति उर्फ ढब्बूजी के मुख्य आतिथ्य में आयोजित यात्रा में ‘भारतीय नृत्य परम्परा में शास्त्र की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए आबिद सुरति ने भारतीय नृत्यों के सात्विक एवं कल्याणकारी स्वरुप पर प्रकाश डाला । इस यात्रा में मुख्य रुप से आमंत्रित बीकानेर के संगीत व कथक गुरु डॉ.मुरारी शर्मा ने कथक के विकास में बीकानेर रियासत के योगदान पर प्रकाश डालते हुए बताया कि बनारस का जानकीप्रसाद घराना तथा जयपुर घराने की स्थापना चुरु क्षेत्र के कत्थकाचार्यों द्वारा की गई है । राजस्थान के राग मेवाडा, मीरा मल्हार, सामंत सारंग, जंगला आदि की चर्चा के साथ राग मांड में डॉ.मुरारी शर्मा ने रचनाओं की प्रस्तुति दी । कथक यात्रा की निर्देशिका एवं ट्रस्ट संचालिका अंशु पडिहार ने कथक का सम्बन्ध प्राकृतिक नृत्य, उष्णिक तांडव (वैदिक मान्यतानुसार) मिहिर नृत्य शैली से जोडते हुए इस नृत्य में सभी नृत्य शैलियों की विशिष्टता व्याप्त होने की चर्चा की । कथक यात्रा में गुरु वन्दना, ताल एक ताल, रुपक में नृत्य की पारम्परिक प्रस्तुति के अलावा राग भैरव, भैरवी, काफी, वृन्दावनी, सारंग में स्वरमालिका, खयाल, एवं तराने की अनूठी प्रस्तुति कथक यात्रा की श्रेष्ठ प्रस्तुतियां रही । अपने छात्रों के साथ नृत्यांगना अंशु पडिहार का नृत्यकौशल सभी दर्शकों द्वारा सराहा गया । ट्रस्ट की और से दोनों अतिथियों का सम्मान कथक यात्रा की निर्देशिका अंशु पडिहार ने माला, शॉल, सम्मान पत्र, बुके एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर किया ।