बीकानेर। विश्व पुस्तक दिवस पर ‘जन तक सृजन अभियान के तहत प्रकाशित साहित्य शहर के वरिष्ठ साहित्यकारों को उनके निवास पर जाकर भेंट किया गया। गायत्री प्रकाशन की ओर से संचालित ‘जन तक सृजन’ अभियान के तहत साहित्यकारों को कहानीकार सीमा भाटी के संग्रह ‘महीन धागे से बुना रिश्ता’ और कहानीकार ऋतु शर्मा के कहानी संग्रह ‘वजूद का रंग और अन्य कहानियां’ की प्रतियां लेखिकाओं द्वारा अर्पित की गई। दोनों कहानी संग्रह वरिष्ठ कवि-समालोचक भवानीशंकर व्यास ‘विनोद’, डॉ.श्रीलाल मोहता, वरिष्ठ कवयित्री-कथाकार आनंद कौर व्यास, प्रमिला गंगल, डॉ.वत्सला पांडे, वरिष्ठ रंगकर्मी आनंद वि.आचार्य, वरिष्ठ व्यंग्यकार बुलाकी शर्मा, वरिष्ठ कथाकार-कवि कमल रंगा, राजेंद्र जोशी, समालोचक डा.बी.आर.जोशी, पत्रकार अनुराग हर्ष को भेंट किए गए।
इस अवसर पर साहित्यकारों को प्रकाशन की ओर से संचालित जन तक सृजन अभियान की जानकारी भी दी गई। डॉ.श्रीलाल मोहता, बुलाकी शर्मा, आनंद वि. आचार्य और प्रमिला गंगल ने भी इस अवसर अपनी कृतियां सीमा भाटी और ऋतु शर्मा को भेंट की। प्रकाशक गायत्री शर्मा ने बताया कि जन तक सृजन अभियान के तहत 300 सदस्य बनाने का लक्ष्य हासिल कर लिया गया है और सभी सदस्यों को हर महीने साहित्य उपलब्ध करवाया जा रहा है। बीकानेर और राजस्थान के अलावा देश के कई हिस्सों में यह इस अभियान के तहत सदस्य बनाए गए हैं। हमारा उद्देश्य जन तक सृजन पहुंचाना है, लेकिन यह भी ध्यान रखा गया है कि जो पढऩा चाहे, उसी को इस अभियान में जोड़ा जाए।
शर्मा ने बताया कि इस अभियान के तहत प्रतिष्ठित कहानीकार संगीता सेठी और प्रितपाल कौर के संपादन में दो कहानी-संकलन आ रहे हैं। इसके साथ ही हिंदी प्राध्यापक और समालोचक डॉ.बी.आर.जोशी भी एक कहानी संकलन का संपादन कर रहे हैं। आशा है कि इन तीनों कहानी संग्रह में समकालीन कहानी अपने अलग-अलग तेवर के साथ सामने आएंगी और पाठकों की सराहना प्राप्त करेगी। समालोचक-कवि नगेंद्रनारायण किराड़ू के संपादन में राजस्थानी लोककथाओं का संकलन तथा अजीत राज के संपादन में राष्ट्रीय स्तर का लघुकथा-संकलन भी प्रकाशित होगा। बीकानेर के दिवंगत कवियों की कविताओं का संकलन ‘पुनरावलोकन’ शायर इरशाद अजीज के संपादन में प्रकाशित होगा। गायत्री प्रकाशन की ओर से बीकानेर साहित्य वार्षिकी पर भी काम चल रहा है। इसमें वर्ष-2017 में बीकानेर के रचनाकारों की प्रकाशित कृतियों पर समीक्षाएं होंगी। वर्ष-2017 में बीकानेर के 84 रचनाकारों की कृतियों का प्रकाशन हुआ।
‘जन तक सृजन’ अभियान के तहत स्कूलों में ‘सुनो कहानी’ कार्यक्रम भी शुरू किया जाएगा। इस कार्यक्रम में स्कूली बच्चों को प्रसिद्ध रचनाकारों की कहानियां सुनाई जाएगी और फिर कहानी पर चर्चा होगी। वरिष्ठ साहित्यकार भवानीशंकर व्यास ‘विनोद’ ने कहा इस अभियान में एक नए तरीके के कहानी आंदोलन की दस्तक है। आम आदमी को साहित्य से जोडऩे के लिए कहानी का माध्यम सटीक है। इसके लिए गायत्री प्रकाशन का प्रयास सराहनीय है। समालोचक-कवि डॉ.श्रीलाल मोहता ने कहा साहित्य के अलावा दूसरे विषयों पर भी किताबों का प्रकाशन कर आम आदमी तक पहुंचाने का यह उद्देश्य सार्थक है। आम आदमी के घर तक किताबें पहुंचेगी तो परिवार का कम से कम एक सदस्य तो पढ़ेगा ही, साहित्य के लिए यह कम नहीं है। वरिष्ठ कवयित्री प्रमिला गंगल ने कहा कि ‘जन तक सृजन’ अभियान आज के समय की मांग है। पाठक किताबों से भटक रहा है, लेकिन इस भटकाव में उसे कुछ भी हासिल नहीं हो रहा है।
अंतत: उसे किताबों की ओर ही आना होगा। वरिष्ठ कथाकार डॉ.वत्सला पांडे ने कहा कि किताबों से जीवन को एक दिशा मिलती है, क्योंकि इसमें लेखक अपने जीवन के अनुभवों को ही नहीं डालता बल्कि वह एक आदर्श की स्थापना के लिए भी प्रतिबद्ध होता है। वरिष्ठ व्यंग्यकार बुलाकी शर्मा ने कहा कि आज की पीढ़ी को पढऩे का कम शौक है। आज यह संकल्प करना चाहिए कि एक नई किताब का अध्ययन प्रारंभ करें। वरिष्ठ कथाकार कमल रंगा ने कहा कि इस आयोजन ने सही अर्थों में विश्व पुस्तक दिवस को सार्थक कर दिया है। वरिष्ठ रंगकर्मी-शायर आनंद वि. आचार्य ने किताबों से अधिक कोई भी किसी को नहीं सिखा सकता। वरिष्ठ कथाकार राजेंद्र जोशी ने पुस्तकों को खरीदकर पढऩे की प्रवृत्ति के विकास पर संतोष जताते हुए कहा कि एक समय आएगा जब हर घर की जरूरत में पुस्तकें शामिल होंगी। समालोचक डॉ.बी.आर.जोशी ने कहा कि आज के इस अंधाधुंध लेखन के दौर में शरतचंद्र से सीख लेनी चाहिए, जो हमेशा यह कहते थे कि हमें यह समझ आना चाहिए कि क्या नहीं लिखना है। पत्रकार अनुराग हर्ष ने कहा कि बालोपयोगी साहित्य भी समान रूप से आना चाहिए ताकि स्कूली बच्चों को भी साहित्य से जोड़ा जा सके। कार्यक्रम के संयोजक अजित राज ने कहा कि जन तक सृजन अभियान के माध्यम से हमारा तीन साल का संकल्प है। इस अवधि में हम घर-घर में साहित्य पहुंचाने और रचे हुए पर बात करने का माहौल बनाएंगे।