कोलकाता . ए भाई जरा देख के चलो , कारवाँ गुजऱ गया जैसे कालजयी गीतों के रचनाकार, कवि /गीतकार गोपाल दास नीरज के निधन की खबर आते ही कोलकाता में उनके प्रशसंकों में शोक की लहर दौड़ गई. जिस भी गीत -संगीत प्रेमी ने उनके निधन की ख़बर सुनी.उसने ही कहा -उनके जैसे अमर गीतों के रचनाकार अब जाने कहाँ मिलेंगे. नीरज ने देवानंद की फिल्मों के लिए कई गीत लिखे थे. 93 वर्षीय नीरज ने शुक्रवार को दिल्ली के एम्स में अंतिम सांस ली. पेशे से एकाउंटेंट और संगीत प्रेमी पी शीतल हर्ष ने नीरज के साथ अपनी यादों को सांझा करते हुये बताया कि 3 साल पहले जब अलीगढ़ स्थित उनके आवास पर उनसे मिलने गया था तब उन्होंने कहा था कि नदी के किनारे बैठे है न जाने कब एक लहर आयेगी और साथ बहा ले जायेगी. उन्होंने कहा -उस किनारे देव बैठा मेरा इंतज़ार कर रहा है.

दो साल पहले अलीगढ़ के नुमाइस मैदान में प्रस्तुत किये गये नाटक में नीरज ने बहादुर शाह जफ़र की भूमिका अदा की थी . शो के दौरन ही उन्हें अस्थमा का अटैक आया था. डॉक्टर ने मंच पर ही उन्हें प्राथमिक चिकित्सा प्रदान की.पंद्रह मिनट की चिकित्सा के तुरंत बाद ही उन्होंने अपने आप को वापिस अभिनय के रंग में रंग कर “शो मस्ट गो ऑन” के भाव चरितार्थ कर दिये. विशिष्ट लेखक व गीतकार संजय बिन्नानी ने कहा की हिंदी साहित्य का एक बेताज बादशाह और ख़ूबसूरत गीतों का अमर रचनाकार राजकुमार चला गया. श्री बिन्नानी ने कहा कि नीरज भुलाये नहीं जा सकते. उनके गीत युगों – युगों तक गाये – गुनगुनाये जायेंगे. गायक शिव कुमार व्यास ने कहा- रवि अर्थात सूरज की तरह कवि नीरज के गीतों ने किरणों की तरह हमारे मन के अंधेरे को हमेशा दूर किया है. उनका इस तरह चले जान , दिल को दुखा रहा है . गायक विजय ओझा ने कवि नीरज के निधन को अपूरणीय क्षति बताते हुए कहा कि जब भी बेहतरीन गीतों की बात चलेगी. नीरज ख़ूब याद आयेंगे. उनके दिल को छू जाने वाले गीत हमेशा ही उनकी याद दिलायेंगे .

गायक एस के केला निर्मल ने कहा कि नीरज के गीतों में एक अलग दर्शनशास्त्र था उनके गीतों में जीवन का सार था. माहेश्वरी संगीतालय से जुड़े संगीत प्रेमी चंद्रू दम्माणी ने कहा कि मर्माहत हूँ उनके निधन से , वे एक नायाब गीतकार थे. उनके लिखें गीत विरले ही अब सुनने को मिलेंगे. माहेश्वरी संगीतालय से ही जुड़े गायक कलाकर अमिताभ माहेश्वरी ने कहा की बाउजी श्री शंकर माहेश्वरी के साथ कई बार उन्हें सुनने का मौका मिला था. उनके गीतों में लय स्वत : ही उपजते थे. गज़़ल गायक अनिल डीडवानिया ने नीरज की गज़़ल “मायूस न हो ऐ मेरे वतन, आँसू से न धो ये लाल कफऩ” गाकर नीरज को भावभीनी श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि कई बार उन्हें सुना , अफ़सोस… अब उन्हें हम सुन नहीं सकेंगे।