मधु आचार्य की सात कृतियों ‘मधु सप्तक’ का लोकार्पण
बीकानेर । बीकानेर सृजन साधना की निरंतरता के फलस्वरुप अब छोटी काशी नहीं वरन बडी काशी के रुप में पहचानी जायेगी । साहित्यकार मधु आचार्य का रचना संसार उनके जीवनानुभवों से रचा बसा है । मधु आचार्य संवेदनशील व्यक्तित्व के धनी है और यही वजह है किआचार्य की रचनाओं में संवेदनशीलता का प्रमाण मिलता है । यही संवेदनशीलता मानव होने की प्रमुख कसौटी है । यहाँ कहना था दिल्ली से आए वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.परिचयदास का । हिन्दी व भोजपुरी के चर्चित साहित्यकार मधु आचार्य की सात कृतियों के विमोचन अवसर पर मुख्य अतिथि के रुप में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे । नट साहित्य-संस्कृति संस्थान की ओर से धरणीधर रंगमंच पर समाजसेवी रामकिशनदास आचार्य की अध्यक्षता में हुए विमोचन समारोह ‘मधु सप्तक, के दौरान बोलते हुए डॉ. परिचयदास ने कहा कि मधु आचार्य की रचनाएँ जीवन जीने का ढंग सीखाती है । उन्होंने कहा कि हमारी भाषाएं राजस्थानी और भोजपुरी मान्यता के लिए संघर्ष कर रही है । हमारी भाषाएं हमारी संपदाएं हैं । समारोह के दौरान समारोह अध्यक्ष पूर्व सरपंच रामकिशन आचार्य ने कहा कि बीकानेर साहित्य-सृजन में सदैव अग्रणी और श्रेष्ठ उपस्थिति दर्ज करवाता रहा है । यहां के साहित्यकार सृजन की साधना करते हैं ।
इस अवसर पर मधुआचार्य आशावादी ने कहा कि सृजन जीवन का एक हिस्सा है, जीवन और जीवन से जुडे तमाम सरोकारो6 की अनुभूतियों को सृजित कर शब्दों में ढालना सुकून की अनुभूति करवाता है । मधु आचार्य ने इस मौके पर कहा कि बीकानेर साहित्य सृजन की तपोभूमि है । सुखद बात ये है कि यहां के सभी वरिष्ठ साहित्यकारों का सानिध्य और मार्गदर्शन सदैव प्राप्त होता रहा है । मधु आचार्य ने लोकार्पित काव्य संग्रह से चुनिन्दा कविताओं का वाचन भी किया । नट साहित्य-संस्कृति संस्थान की ओर से आयोजित विमोचन समारोह में आशावादी के कहानी संग्रह जीवन एक सारंगी, व्यंग्य संग्रहगई बुलट प्रुफ में, कविता संग्रह श से शायद शब्द तथा रेत से उस दिन मैने पूछा, बाल उपन्यास चींटी से पर्वत बनी पार्वती, बाल कथा संग्रह सुनना,गुनना और चुनना तथा बाल कविता संग्रह लिखो अपनी खुद कहानी का विमोचन मंच सहित प्रकाशक डॉ.प्रशांत बिस्सा की उपस्थिति में किया गया ।
कृति पर पत्र वाचन करते हुए साहित्यकार डॉ. नीरज दइया मने कहा कि सृजनकार की कृति जीवन एक सारंगी की कहानियों में जीवन का यथार्थ रचा गया है । दइया ने मधु आचार्य के काव्य संग्रह ‘रेत से उस दिन मैने पूछा’ पर कहा कि कवि ने ममत्व भरा काव्य प्रस्तुत किया है। यह काव्य संग्रह मानवीय संवेदनाओं और आत्म संवाद को सामने रखने का बेहतरीन प्रयास किया है । ‘श से शायद शब्द पुस्तक पर कहा कि कवि ने कल और आज केसाथ ही इस भ्रमणशील धरा तथा आकाश की सघनता को सामने रखा है ।व्यंग्य संग्रह ‘गई बुलट प्रुफ में’ पुस्तक पर कहा कि व्यंग्य संग्रह जीवन से जुडा प्रतीत होता हैजिसमें व्यंग्यकार ने अपने आस-पास की दुनिया में सुधार के सरोकारों को प्रमुखता दी है । कवि कथाकार नवनीत पांडे ने आचार्य के रचे बाल कथा संग्रह ‘सुनना,गुनना और चुनना पर पत्र वाचन करते हुए कहा कि इस संग्रह में जीवन के शुरुआती दौर को श्रेष्ठ बनाने का अभिनव प्रयासबेहतरीन ढंग से किया गया है । पांडे ने कहा कि लेखक के बाल उपन्यास, बाल कथा संग्रह तथा बाल कविता संग्रह बाल साहित्य संसार में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करवायेंगे ।
समारोह में आचार्य ने अपनी कृति सुनना,गुनना और चुनना को दुर्गाशंकर आचार्य तथा शेखर आचार्य को भेंट की वहीं रेत से उस दिन मैने पूछा’ राजेश के. औझा, चींटी से पर्वत बनी पार्वती को उप महापौर अशोक आचार्य को, श से शायद शब्द कृति नदीम अहमद नदीम को, ‘गई बुलट प्रुफ में’ कृति को महेन्द्र आचार्य व कमल आचार्य को ‘जीवन एक सारंगी कृति को डॉ.उषा किरण सोनी को तथा ‘लिखो अपनी खुद कहानी को कृति बुलाकी शर्मा को भेंट की ।
कृतियों पर पत्र वाचन करने वाले डॉ>नीरज दइया तथा नवनीत पांडे को कृति व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया । वहीं सहयिगी मनीष पारीक तथा उमाशंकर व्यास का सम्मान भी मंच द्वारा किया गया । इससे पूर्व समारोह के प्रारम्भ में धीरेन्द्र आचार्य ने उपस्थित जन स्मुदाय का शब्दों से स्वागत किया वहीं सूर्य प्रकाशन मन्दिर के डॉ. प्रशांत बिस्सा ने आचार्य के रचना संसार पर प्रकाश डाला ।
मधु आचार्य पर केन्द्रित वेब साइट का हुआ लोकार्पण
विमोचन समारोह के दौरान मधु आचार्य के व्यक्तित्व कृतित्व पर केन्द्रित वेबसाइट का लोकार्पण समारोह अध्यक्ष, मुख्य अतिथि ने किया । निर्माणकर्ता वैभव पणिया स्वयं उपस्थित थे । समारोह में आचार्य के पिता शिक्षाविद विद्ध्यासागर आचार्य का आशीर्वाद सन्देश शायर आनन्द वि. आचार्य ने पढा । मंचासीन अतिथि रामकिशन आचार्य तथा डॉ. परिचयदास का सम्मान नट साहित्य-संस्कृति संस्थान ने किया । इस अवसर पर रोटरी क्लब मिड टाउन बीकानेर की ओर से आशीष चूरा,रघुवर झंवर, शेखर आचार्य, सुरेश, श्रीलाल चांडक, दीपक व्यास,वेद व्यास,विमल चांडक,अरविन्दसिंह,अजय पुरोहित आदि ने साहित्यकार आशावादी के साथ डॉ.उषा किरण सोनी, बुलाकी शर्मा,राजेन्द्र जोशी, डॉ. नीरज दइया, नदीम अहमद नदीम,डॉ. मेघना शर्मा तथा हरीश बी. शर्मा का माल्यार्पन कर साफा पहनाकर, शॉल ओढा कर, नारियल, सम्मान पत्र भेंटक़ कर सम्मानित किया । समारोह का संचालन हरीश बी. शर्मा ने किया वहीं आभार अनुराग हर्ष ने ज्ञापित किया ।
कार्यक्रम के साक्षी बने- रामेश्वर डूडी,डॉ.गोपालकृष्ण जोशी, सत्यप्रकाश आचार्य, गोविन्द मेघवाल, महेन्द्र गहलोत, महापौर नारायण चौपडा, मकसूद अहमद, डी.पी.पचीसिया, मोहन सुराणा, सरदार अली पडिहार, राजाराम स्वर्णकार,डॉ.मीना आसोपा, बी.एल.नवीन, मुरलीमनोहर माथुर, मौनिका गौड, मीनाक्षी स्वर्णकार, इरसाद अजीज, नगेन्द्र किराडू,इकबाल हुसैन, विपिन पुरोहित, संजय आचार्य वरुण, रमेश भोजक सम्रीर, आनन्द जोशी, उदय व्यास आदि