जयपुर। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्विद्यालय के डिपार्टमेंट ऑफ जर्नलिज्म के हैड डॉ पुष्पेंद्र सिंह का कहना है कि जब पहले मीडिया नहीं था तब भी फोक मीडिया मौजूद था। भविष्य में भी जब कोई मीडिया नहीं रहेगा, तब भी फोक मीडिया मौजूद रहेगा। ऐसा मीडिया जिसकी छवि आज भी साफ सुथरी है। यह डेमोक्रेटिक मीडिया है।
राजस्थान यूनिवर्सिटी में जनसंचार विभाग और मणिपाल यूनिवर्सिटी की ओर से मीडिया शिक्षकों के राष्ट्रीय सम्मेलन डा. सिंह ने यह बात कही। इसमें देश भर के मीडिया एक्सपर्ट्स हिस्सा ले रहे हैं। सिंह ने कहा एक यही मीडिया है, जिसकी पहुंच हर भाषा मेंं हर वर्ग और हर क्षेत्र में है। प्रिंट, इलेक्टॉनिक और वेब में जल्दबाजी और भेड़चाल देखी जाती है। यहां कई बार रिसर्च वर्क और क्रास चैकिंग तक नहीं होती, लेकिन फॉक मीडिया में बाकायदा रिसर्च होता है। उन्होंने फॉक मीडिया पर गहराते हुए संकट पर कहा कि आधुनिक संस्कृति का प्रभाव फॉक मीडिया पर पड़ रहा है, जो इसे बाजारू बना है।
सम्मेलन का उदघाटन माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विवि, भोपाल के कुलपति प्रो. बी के कुठियाला ने किया। अपने संबोधन में प्रो कुठियाला ने समाज में सकारात्मक बदलाव के साथ संवाद के स्वराज की जरूरत बताई और हाल के दौर में मीडिया की दुनिया में आई गिरावट पर गहरी चिंता जताई।
उन्होंने कहा कि इंटरनेट के कारण आज समूचा विश्व एक व्यापक समाज में बदल गया है। तकनीक के इस नए दौर में हमें मीडिया शिक्षण में भी आवश्यक बदलाव करने होंगे। उन्होंने मीडिया के व्यावसायिक स्वरूप का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें तब तक कोई बुराई नहीं है, जब तक कि मीडिया अपने सामाजिक सराकारों को ना छोड़े।
उन्होंने तीसरे प्रेस आयोग के गठन की मांग की और एक प्रभावी मीडिया काउंसिल बनाने की भी जरूरत बताई। सम्मेलन के विशिष्ट अतिथि और नेटवर्क 18 के प्रेसीडेंट (न्यूज) और वरिष्ठ पत्रकार उमेश उपाध्याय ने इस बात पर खुशी जताई कि आज मीडिया से भी सवाल पूछे जा रहे हैं, जो कि स्वस्थ लोकतंत्र का परिचायक है।
उन्होंने मीडिया शिक्षण और मीडिया के बीच बेहतर तालमेल की जरूरत बताई और मीडिया एजुकेशन को मीडिया के साथ जोड़ने पर बल दिया। उन्होंने सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव का जिक्र करते हुए कहा कि मीडिया के नए साधनों पर इस तरह की सामग्री शामिल की जानी चाहिए, जो लोगों की सामूहिक अवचेतना को बढ़ाए।
सम्मेलन के मुख्य अतिथि और नेशनल बुक ट्रस्ट के अध्यक्ष बलदेव भाई शर्मा ने सत्य, धर्म और न्याय को समाज की बुनियाद बताया और कहा कि पत्रकारिता इस आधारभूत संरचना को कायम रखने का एक प्रभावी माध्यम है।
उन्होंने कहा कि पत्रकारिता को लोकतंत्र का चैथा स्तंभ नहीं वरन प्रमुख स्तंभ माना जाना चाहिए। उन्होंने पत्रकारिता में भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कारों को स्थान देने का आग्रह किया और सकारात्मक पहलुओं को शामिल करने पर जोर दिया।
उन्होंने मीडिया की सामाजिक प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हुए ऊंचे जीवन मूल्यों को अपनाने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि मीडिया राष्ट्र के जीवन निर्माण का माध्यम है और बदलते दौर में में भी मीडिया को अपने दायित्व का प्रभावी तरीके से निर्वाह करना चाहिए।
कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सच्चिदानंद जोशी ने मीडिया की भूमिका का जिक्र करते हुए कहा कि मीडिया शिक्षण का दौर बेहद कठिन है और इसीलिए जय जरूरी है कि हम मीडिया से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करें। उन्होंने कहा कि अन्य शिक्षकों की तुलना में मीडिया शिक्षकों के सामने अधिक चुनौतियां हैं, क्योंकि उनके साथ समाज की अपेक्षाएं भी जुड़ी हैं।
ब्राडकास्टर्स एडिटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के महासचिव और वरिष्ठ पत्रकार एन.के. सिंह ने सामाजिक सरोकारों से मीडिया की बढ़ती दूरी पर गहरी चिंता व्यक्त की, लेकिन उन्होंने मीडिया के कामकाज में सरकारी दखल को गैर जरूरी ठहराया और कहा कि सत्ता का चरित्र प्रतिबंध में ही परिलक्षित होता है।
उन्होंने कहा कि मौजूदा दौर में मीडिया में वही सब कुछ नजर आ रहा है जो समाज से घट रहा है। उन्होंने संपादक संस्था की गरिमा और प्रतिष्ठा को फिर से बहाल करने की अपील की और कहा कि कॉर्पोरेट दौर में मीडिया के सामने यह एक अहम चुनौति है।
उन्होंने उम्मीद जताई कि संपादक की गरिमा बहाल होने के बाद समाज में भी व्यापक बदलाव नजर आ सकता है और इस तरह मीडिया समाज सुधार के लक्ष्य को हासिल कर सकता है। उन्होंने मीडिया शिक्षकों से अपील की कि वे विद्यार्थियों में बेहतर जीवन मूल्यों की समझ विकसित करें।
सम्मेलन के अध्यक्ष प्रो. डॉ. संजीव भानावत ने बातया कि इस आयोजन में उत्तरपूर्व और दक्षिण भारत के संस्थानों से जुड़े मीडिया शिक्षक भी शामिल हो रहे हैं और इससे यह उम्मीद बढ़ी है कि बदलाव की लहर बहुत दूर तक जाएगी।
उन्होंने कहा कि जन संचार केन्द्र के विद्यार्थियों को सामाजिक सरोकारों से जोड़ने के निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने इस सम्मेलन को वैचारिक महाकुंभ की संज्ञा दी और उम्मीद जताई कि तीन दिन के इस मंथन से अहम परिणाम सामने आएंगे।
सोसायटी ऑफ मीडिया इनिशिएटिव ऑफ वैल्यू, इंदौर के राष्ट्रीय संयोजक प्रो. कमल दीक्षित ने मीडिया की दुनिया में आए बदलावों की चर्चा की और पत्रकारिता में मूल्यों तथा आदर्शों में गिरावट पर चिंत जताई। उन्होंने वर्तमान दौर में मीडिया की भूमिका पर नए सिरे से विचार करने का सुझाव दिया और एक बेहतर समाज के निर्माण की दिशा में साझा प्रयास करने की अपील की।
सम्मेलन की संयोजक कल्याणसिंह कोठारी ने बताया कि सम्मेलन के दौरान 12 विभिन्न तकनीकी सत्रों में 200 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत किए जाएंगे।
स्मारिका का लोकार्पण
मीडिया शिक्षकों के राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान एक स्मारिका का लोकार्पण भी किया गया। इस स्मारिका में शोध पत्रों का सारांश प्रकाशित किया गया है। इस दौरान सम्मेलन के न्यूजलैटर ‘एआईएमईसी टाइम्स’ का लोकार्पण भी किया गया। न्यूज लैटर का प्रकाशन सम्मेलन में प्रतिदिन किया जाएगा और इसमें सम्मेलन की प्रमुख गतिविधियों को प्रकाशित किया जाएगा।
‘समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में मीडिया की भूमिका’ विषय पर आयोजित किए जा रहे इस सम्मेलन में 18 से अधिक राज्यों के 250 से अधिक प्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं। मीडिया शिक्षकों के इस सम्मेलन का आयोजन राजस्थान विश्वविद्यालय के जनसंचार केन्द्र, मणिपाल विश्वविद्यालय, जयपुर, मीडिया एडवोकेसी, स्वयं सेवी संगठन लोक संवाद संस्थान और सोसायटी आॅफ मीडिया इनिशिएटिव फाॅर वैल्यू, इंदौर के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है।
4 अप्रैल तक चलने वाले इस सम्मेलन में 20 राज्यों के करीब 250 प्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं। सम्मेलन का आयोजन राजस्थान विवि के जनसंचार केंद्र के रजत जयंती वर्ष से जुड़े समारोह के क्रम में किया जा रहा है।
‘समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में मीडिया की भूमिका-चुनौतियां और संभवनाएं’ विषय पर आयोजित तीन दिन के अखिल भारतीय सम्मेलन के दूसरे दिन 12 तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया। इस दौरान प्रतिभागियों ने मीडिया से जुड़े अहम पहलुओं पर अपने शोध पत्र प्रस्तुत किये और श्रोताओं के सवालों के जवाब दिये।
मीडिया शिक्षकों के इस अखिल भारतीय सम्मेलन का आयोजन राजस्थान विश्वविद्यालय के जन संचार केन्द्र के रजत जयंती समारोह के क्रम में किया जा रहा है। सम्मेलन का आयोजन मणिपाल विश्वविद्यालय, जयपुर, स्वयंसेवी संगठन लोक संवाद तथा सोसायटी ऑफ मीडिया इनीशिएटिव फॉर वेल्यूज, इंदौर के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है।
सम्मेलन के अध्यक्ष प्रो. संजीव भानावत और संयोजक कल्याणसिंह कोठारी ने बताया कि सम्मेलन के दौरान शुक्रवार को विभिन्न तकनीकी सत्रों में 200 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत किए गये।
संयोजक कल्याणसिंह कोठारी ने मणिपाल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संदीप संचेती को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। साथ ही इस अवसर पर मणिपाल विष्ववि विद्यालय जयपुर के डिपार्टमेंट ऑफ जर्नलिज्म एंड मॉस कम्यूनिकेषन की और से निकाले जा रहे न्यूज लेटर एमयूजे टाईम्स का विमोचन भी एमयूजे के प्र्रेसिडेंट प्रो. संदीप संचेती, प्रो. कमल दिक्षित, प्रो. संजीव भानावत, प्रो. मृणाल चटर्जी, प्रो. उज्जवल चौधरी, वरिष्ठ पत्रकार कल्याणसिंह कोठारी ने किया। इस मौके पर एमिटी विश्वविद्यालय, मुंबई के डीन प्रो. उज्ज्वल चौधरी ने समस्त प्रतिभागियों की तरफ से आयोजकों को बधाई दी और अगले अखिल भारतीय सम्मेलन की मेजबानी करने का प्रस्ताव भी रखा। इस अवसर पर सम्मेलन के अध्यक्ष प्रो. संजीव भानावत ने चुनीन्दा शोध पत्रों को पुस्तक के रूप मंे प्रकाशित करने का आश्वासन दिया।
कांफ्रेस के दौरान पत्रकारिता की भाषा, विज्ञापन, सिनेमा, न्यू मीडिया, वेब पत्रकारिता और संचार माध्यमों से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों पर शोध पत्र पढ़े गये। तकनीकी सत्रों की अध्यक्षता देश भर से आये मीडिया शिक्षकों ने की। प्रतिभागियों ने 180 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत किए और बदलते दौर में मीडिया की भूमिका को रेखांकित किया।
मीडिया शिक्षकों के सम्मेलन का समापन शनिवार को
मीडिया शिक्षकों के अखिल भारतीय सम्मेलन का समापन शनिवार 4 अप्रैल को राजस्थान विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल में होगा। सम्मेलन के अध्यक्ष प्रो. संजीव भानावत ने बताया कि समापन समारोह के मुख्य वक्ता केन्द्रीय सूचना आयुक्त प्रो. एम. श्रीधर आचार्युलू होंगे। मणिपाल विश्वविद्यालय, जयपुर के कुलपति प्रो. संदीप संचेती, एमिटी विश्वविद्यालय, मुंबई के डीन प्रो. उज्ज्वल चौधरी और यूनिसेफ के पूर्व सलाहकार प्रो. के.बी. कोठारी समापन समारोह के विशिष्ट अतिथि होंगे, जबकि हरिदेव जोशी पत्रकारिता एवं जन संचार विश्वविद्यालय के कुलपति सनी सेबेस्टियन समारोह की अध्यक्षता करेंगे। एबीपी न्यूज के कार्यकारी सम्पादक विजय विद्रोही मुख्य अतिथि के तौर पर समारोह में शामिल होंगे।