जयपुर। छात्रों से रुपए लेकर फर्जी डिग्री देने के मामले में एसओजी ने गुरुवार को जोधपुर नेशनल यूनिवर्सिटी के चेयरमेन कमल मेहता को दिल्ली के एक होटल के पास गिरफ्तार किया है। मेहता को पकड़ने के लिए एसओजी की टीम दिल्ली के लिए दो दिन पहले रवाना हुई थी। पुलिस की मुस्तैदी के कारण फरार आरोपी को गिरफतार करने में सफलता मिली है। एसओजी की टीम मेहता को जयपुर ला रही है। शुक्रवार को मेहता को कोर्ट में पेश कर पूछताछ के लिए रिमांड पर लिया जाएगा। एसओजी व एटीएस के अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस आलोक त्रिपाठी ने बताया कि फर्जी डिग्री देने के मामले में जोधपुर नेशनल यूनिवर्सिटी के चेयरमेन कमल मेहता मामला सामने आने के बाद फरार चल रहे थे। गुरुवार दोपहर को पुख्ता सूचना पर टीम ने मेहता को नेहरू पैलेस स्थित ईस्ट आॅफ पैलेस के पास से गिरफ्तार कर लिया। मेहता के खिलाफ 420, 467 और 468 की धाराओं में मामला दर्ज है। फर्जी डिग्री देने के मामले में पूर्व में मनोज कुमार पारीक को जयपुर, श्याम सिंह मीणा और दर्शित अजमेरा को कोटा से गिरफ्तार किया था। उसके बाद इस मामले में कमल मेहता का नाम मास्टर माइंड के रूप में सामने आया था। खाते हो चुके हैं सीज छात्रों से लाखों रुपए लेकर फर्जी डिग्री देने के मामले में मेहता का नाम सामने आने के बाद उसके कुछ खाते एसओजी ने सीज कर दिए थे। टीम ने रिकॉर्ड खंगाला तो करीब 10 हजार डिग्रियां फर्जी देने का मामला सामने आया। बताया जा रहा है कि इस मामले में करीब आधा दर्जन लोगों की लिप्तता सामने आ रही है। ऐसे पकड़ा गया मेहता डीआईजी बीएल मीणा ने बताया कि एसओजी की टीम उस व्यक्ति पर लगातार निगाह रखे थी जो व्यक्ति कमल मेहता के लगातार सम्पर्क में था। वह व्यक्ति दो दिन पहले दिल्ली के लिए रवाना हुआ। एसओजी की टीम भी दिल्ली रवाना हो गई। टीम ने दिल्ली स्थित एसओजी की चौकी पर सम्पर्क किया। उसके बाद लगातार उस व्यक्ति पर निगाह बनाए रखी। गुरुवार दोपहर को टीम ने कमल मेहता को गिरफ्तार कर लिया। बेटी से मिल कर आया था सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कमल मेहता चंडीगढ़ निवासी अपनी बेटी से मिलने चला गया था। एक दिन पहले ही वह वहां से वापस आकर ईस्ट आफ पैलेस होटल में ठहरा था। नहीं पहुंची फाइल कमल मेहता ने कुछ साथियों के साथ मिलकर वैशाली नगर में वैशाली कॉपरेटिव बैंक की शुरुआत की। जब इस बैंक में अनियमितताएं पाई गइं तो कॉपरेटिव रजिस्ट्रार ने श्याम नगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई। इस मामले की जांच पुलिस महानिदेशक ने एसओजी को सौंप दी है लेकिन अभी फाइल कमिश्नरेट से एसओजी के पास नहीं पहुंच पाई है।