बीकानेर। संगीत मनीषी डॉ.जयचन्द्र शर्मा जन्म शताब्दी समारोह समिति, बीकानेर के तत्वावधान में प्रतिमाह आयोजित जयंती समारोह की छठी कडी में आज श्री संगीत भारती परिसर में राजस्थानी लोक नाट्य “रम्मत” पर चर्चा की गयी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए श्री संगीत भारती के उपाध्यक्ष एवं वरिष्ठ पत्रकार लूणकरण छाजेड ने कहा कि राजस्थानी में रम्मत का शाब्दिक अर्थ खेलने से लिया जाता है । लोक नाट्यों में खेल और तमाशे शब्दों का प्रयोग किया जाता रहा है । छाजेड ने रम्मत विधा पर विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि स्तुति के साथ इसका मंचन दो भागों में किया जाता है –मंच से पूर्व कुल देवी देवताओं की स्तुति और मंच पर जाने पर गुरु या उस्ताद की वन्दना भी की जाती है ।

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छाजेड ने संगीत मनीषी डॉ.जयचन्द्र शर्मा के राष्ट्रीय स्तर पर संगीत के अवदान को देखते हुए जन्म शताब्दी वर्ष में भारत सरकार से इन पर डाक टिकट जारी करवाने हेतु विचाराधीन प्रस्ताव को भी पास किया । विषय प्रवर्तन करते हुए डॉ.मुरारी शर्मा ने कहा कि रम्मत का अर्थ रमने अर्थात खेलने से ही है । ख्याल और रम्मत की प्रस्तुति लगभग समान ही होती है। बीकानेर में मंचन ही रम्मत के अर्थ में लिया जाता है । शास्त्रीय संगीत की गायन शैलियों में ख्याल हिन्दुस्तानी संगीत पद्धति विलम्बित लय और मध्य लय में गाया जाने वाला छोटा ख्याल कहलाता है ।

इसी प्रकार ख्याल में विलम्बित लय में गायी जाने वाली रचना ‘पडी रंगतÓ तथा मध्य लय में गायी जाने वाली रचना ‘खडी रंगतÓ के नाम से जानी जाती है । लेखक अशफाक कादरी ने कहा कि डॉ.जयचन्द्र शर्मा इसी तरह सेमिनारों का आयोजन कर संगीत को जीवंत करते थे । कादरी ने कहा कि रम्मत का तात्पर्य ऐसे बन्धे बन्धाए खेल से रहा है, जिसका कथानक ऐतिहासिक, सामाजिक तथा धार्मिक रहा है । कवि-कथाकार राजाराम स्वर्णकार ने कहा कि रम्मत एक ऐसी विधा है जिसमें स्तुति करते हुए लोक मंगल की कामना की जाती है ।

बीकानेर में हिन्दी, उर्दू, बीकानेरी, राजस्थानी बोलों की रचनाओं की सहभागिता लोकरंजन का कारण बनती है । स्वर्णकार ने कहा कि रम्मत की कथा वस्तु लोक प्रचलित बात (कहानी) पर आधारित होती है रचनाकार उसमें अधिक फेर बदल नहीं कर सकता है । कार्यक्रम में लोकगायिका राजकुमारी मारु ने दीपचन्दी रम्मत ‘पन्नोÓ पन्नो रे म्हारी जोड रे/ बीकाणे रो वासी/ वीरो रे, सागी नणद रो वीर/ म्हारो कैयो न माने रे ॥ मै थानै साजन वरजियो/ ढोला उदयापुर मत जाय/ उदयापुर री कामणी रै/ थानै राखेली बिलमाय ॥ दूसरी रम्मत के बोल- जोधाणे सूं बीज मंगाय हो गोरी रा ढोला/ बीकाणै रै बागां में बायस्यां थारो राज बोल सुनाए । संस्था उपाध्यक्ष मोहनलाल मारु, शाकद्वीपीय ब्राह्मण बन्धु चेरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष आर.के.शर्मा संगीतज्ञ ज्ञानेश्वर सोनी, शरद शर्मा ने भी अपने विचार रखे । सभी के प्रति आभार चतुर्भुज शर्मा ने माना ।