बीकानेर। अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर गुरुवार को नागरी भंडार परिसर के नरेन्द्र सिंह सभागार में शिक्षा, चिकित्सा, सामाजिक क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाली वरिष्ठ 21 महिलाओं का सम्मान किया गया।
मुख्य अतिथि डूंगर महाविधालय की पूर्व प्राचार्य डॉ. बेला भनोत ने कहा प्रतिस्पद्र्धा के युग में महिलाएं भी तेजी से आगे बढ रही है। हमें हमारे समाज की महिलाओं को आगे लाकर उनकी योग्यता को निखारना है। इससे समाज की चहूमुखी प्रगति संभव हो सकेगी। उन्होंने कहा कि महिला सशक्तिकरण के लिए स्वरोजगार एवं आत्मनिर्भर होना जरूरी है।
सामाजिक सरोकार संस्थान की डॉ. प्रभा भार्गव कहा कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरूषों से पीछे नहीं है वे हर क्षेत्र में पुरूषों के साथ कंधे से कंधा मिला कर चल रही है। महिलाओं ने देश विदेश में अपनी योग्यता से राजनीति, चिकित्सा, शैक्षणिक, खेलकूद के अलावा विभिन्न क्षेत्रों में अपना परचम लहराया है। ऐसी महिलाएं जिन्होंने अपने जीवनकाल में काफी सघर्ष किया है और अपने परिवार को समाज में विशेष पहचान दिलाई है।
अन्तरराष्ट्रीय ब्राह्मण महासंघ की प्रदेशाध्यक्ष सुनीता गौड ने कहा कि घर परिवार की देखभाल से लेकर शिक्षा, चिकित्सा, व्यवसाय के साथ देश की सरहदों की रक्षा और देश में कानून एवं व्यवस्था बनाने के लिए सेना व पुलिस में भर्ती होकर महिलाओं ने अपनी योग्यता का परिचय दिया है। समारोह में डॉ.अनुराधा पारीक, मंजूलता शर्मा, संस्था की जिलाध्यक्ष आशा पारीक ने विचार व्यक्त किए। अतिथियों का स्वागत प्रतिमला गौतम, सरिता करोड़ी, इला पारीक, निर्मला आसोपा, सोनल पारीक, रतनी आसोपा ने किया।
समारोह में अतिथियों ने शॉल, स्मृति चिन्ह, श्रीफल से स्वतंत्रता सेनानी रामनारायण शर्मा की धर्मपत्नी श्रीमती कमला देवी, सावित्री देवी शर्मा, वंदना भारद्वाज, कृष्णा व्यास, गायत्री शर्मा, डॉ. मंजु शुक्ला, सविता मानोदिया, सरोज शर्मा, अनीता कौशिक, विमला सुरोलिया को नारी शक्ति सम्मान से नवाजा गया।
समस्त मातृ शक्तियों को नमन !
जिसकी शब्दों में नहीं है परिभाषा,
नारी तुम हो सबकी आशा,
ममता का सम्मान हो तुम,
संस्कारों की जान हो तुम,
स्नेह , प्यार और त्याग की,
एकलौती पहचान हो तुम…..
कभी नाजुक फूल सी सुकुमार हो,
कभी शक्ति की अवतार हो तुम,
कभी खुशियों की संसार हो,
कभी प्रेम का आगाज़ हो तुम,
जो हुआ वो बहुत हुआ,
अब नहीं है तुमको डरना,
सुन्दर सी इस दुनिया में,
अच्छा है तुमको कुछ करना,
जब मंदिर में हो दुर्गा काली,
सड़क पर वस्तु नहीं बनना तुम,
दस्तूर समझ इस दुनिया का,
ज़ंजीर नहीं पहनना तुम,
चाहे सो जाये ये दुनिया,
कुछ कर ना पाए शासन,
तुम खुद आगे आगे बढ़ना,
नहीं बचेगा फिर कोई दुःशासन…..