बीकानेर स्वास्थ्य एवं साहित्य संगम शाखा राष्ट्रीय कवि चौपाल की 168 वीं कड़ी व छठा सम्मान समारोह में महानुभावों का स्वागत किया गया। जिसके कार्यक्रम अध्यक्ष भवानीशंकर व्यास ”विनोद’ मुख्य अतिथि नरपत सिंह सांखला विशिष्ट अतिथि नेमीचंद गहलोत आदि मंच पर शोभायमान हुए। बीकानेर की जानी मानी वरिष्ठ कवयित्री श्रीमती प्रमिला गंगल, भाभा एटमिक रिसर्च सेन्टर के सहायक निदेशक रमेशचन्द्र पंत और शिक्षा जगत की क्रान्तिकारी श्रीमती संतोष कच्छावा, वैद्य गोपीचंद प्राणेश मांडण एवं रामेश्वर महेचा का सम्मान किया गया।


प्रारम्भ में सरस्वती वन्दना नरेश खत्री ने की…, वली मोहम्मद वली ने राजस्थानी बाल गीत ”खुब पढँूला… बाप बणूला.. या बणुला अफसर रे…, पुखराज ने ”ऐ दिल कुछ तो कर फैसला…’, सरदार अली परिहार ने ”चलता भाई तु… चलता चल, बाबूलाल छांगाणी ने ”ई महगाई रे जमाने पोथी पढना ओखो…”, लीलाधर सोनी ने ”नारी नर री खान जकी जग जायो है, नरपत सिंह सांखला ने ”मैं कविता लिखना जान चुका हूं. . वेद्य गोपीचंद प्राणेश ने ”रक्षा बन्धन पर कविता सुनाई, श्रीमती प्रमिला गंगल ने ”गीत बहो मेरे प्रीत बहो, देवी शरण शर्मा ने ”नेह के अन्तरहीन मैं अम्बर से देख रहा हूं, नेमीचंद गहलोत ने ”मुझे ऐसा दुल्हा देना भोला भंडारी, रमेश पंत ने अपने विज्ञान क्षेत्र के अनुभव को बांटे।

शकिल मोहम्मद गौर ने ”हाथ में फरसा लटकती, कन्धों पे कमान, महबूब अली ने ”हमारी रगों में खूल दोड़ता है भारत के लिए.. श्रीमती सरोज भाटी ने ”माँ में अभी तेरे कोख में हूं, हनुमन्त सिंह गौड ने ”मुझे आपसे बहतर बताने वालो, के.डी. शर्मा, एच.के. व्यास, धनश्याम सोनी आदि ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम अध्यक्ष भवानी शंकर व्यास ”विनोद ने आज के कार्यक्रम प्रतिक्रिया दी तथा आरक्षण पर ”जब से उसने आरक्षण का चक्र चलाया, मैनें सबसे उपर अपना नाम लिखवाया, मंच संचालन बाबूलाल छंगाणी व जुगलकिशोर पुरोहित ने किया।(PB)