निर्जला एकादशी : लक्ष्मीनाथ मन्दिर में लगा मेला, हजारों ने लगाई धोक

 

निर्जला एकादशी : लक्ष्मीनाथ मन्दिर में लगा मेला, हजारों ने लगाई धोक
निर्जला एकादशी : लक्ष्मीनाथ मन्दिर में लगा मेला, हजारों ने लगाई धोक

बीकानेर। श्री लक्ष्मीनाथ मन्दिर में आज निर्जला एकादशी के पावन पर्व पर मेला लगा तथा हजारों लोगों ने इस मेले में मन्दिर पहुंचकर भगवान लक्ष्मीनाथ जी के दर्शन करके धोक लगाई। श्री लक्ष्मीनाथ मन्दिर विकास एवं पर्यावरण समिति के सचिव सीताराम कच्छावा ने बताया कि प्रातः 5 बजे से ही दर्शनार्थियों का मन्दिर आना शुरू हो गया, जो दोपहर 2 बजे तक निरन्तर चला तथा शाम को भी दर्शनार्थियों की भीड रही। महिलाऐं एवं पुरूष अपने हाथों में मटकियां, पंखी, ओले, सैंवई तथा आम लेकर मन्दिर पहुंची। समिति के श्रीरत्न तम्बोली, विनोद महात्मा, धीरज जैन, शालिनी महात्मा, गणेश भादाणी, पुखराज अग्रवाल, अनिल सोनी, ताराचन्द सोनी ने दर्शनार्थियों को लाईन लगाकर दर्शन कराने में सहयोग प्रदान समिति की ओर से निःशुल्क जूता-चप्पल सेवा केन्द्र पर तनीशा महात्मा, कोमल महात्मा, राधेश्याम मोदी, मूलचन्द पंवार, भैरूरतन

अग्रवाल ने सेवाऐं प्रदान की। वहीं समिति की ओर से खोया-पाया केन्द्र में दयानिधि तिवाडी, महेन्द्र सोनी, हरि सोनी, चन्द्रपाल,शिवशंकर कुशवाहा ने सेवाऐं प्रदान की। जल सेवा एवं ठण्डाई सेवा में सुनील पंवार, ललित सोनी, बाबू पंवार, कालू आदि ने सेवाऐं प्रदान आज तीन दर्शनार्थियों की सोने की चैन मन्दिर परिसर में तोड़ने की घटना हुई, जब महिलाओं ने शिकायत की तब मन्दिर परिसर को तुरन्त खाली कराया गया तो तीनों चैन मन्दिर के अन्दर मिल गई, जो उन्हे लौटा दी गई। वहीं दो महिलाओं के कान के झुमके टूटने की जानकारी मिली, एक महिला का चांदी का छल्ला गिर गया था जो मिलने पर वापस लौटाया गया। पांच बच्चे अपने परिजनों से बिछड़ गये थे, उन्हे परिजनों से मिलाया गया।

निर्जला एकादशी का महत्व

निर्जला एकादशी को भीम एकादशी भी कहते है। पाण्डवों द्वारा सभी 24 एकादशी के व्रत किये जाते थे लेकिन भीम भोजन के शौकीन थे तथा वे अपनी भूख को रोक नहीं पाते थे तब उन्होने अपने दादा तथा महाभारत के रचयिता वेदव्यास से पूछा कि मुझे बिना व्रत किये इन सभी 24 एकादशी के लाभो को कैसे प्राप्त किया जा सकता है, तब उन्होने भीम को निर्जला एकादशी का व्रत करने की सलाह दी तथा उन्हे बताया कि एक निर्जला एकादशी का व्रत करने से उन्हे 24 एकादशी का लाभ होगा। निर्जला एकादशी में बिना पानी के व्रत किया जाता है इसमें केवल चरणामृत के रूप में पानी का प्रयोग किया जा सकता है।