बीकानेर । पडिहार सदन बीकानेर की तरफ से सरदार अली के व्यक्तित्व-कृतुत्व पर कार्यक्रम महाराजा नरेन्द्रसिंह ऑडिटॉरियम में हुआ । कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार भवानीशंकर व्यास ने कहा कि सरदार अली पडिहार अपने कार्य के प्रति पूर्ण निष्ठावान रहे हैं इन्होंने मेरे को कहा मुझे कविता लिखनी सीखा दो तब मैने इनको कहा आप कविता लिखोगे तो मुझे फूटबाल खेलना पडेगा । लेकिन इन्होंने कविता लिखकर अपना नाम लिम्का बुक में भी दर्ज करवा लिया लेकिन मैं फुटबॉल नहीं खेल सका । इन्होंने हर विधा में सृजन का अविस्मरणीय कार्य किया है । विशिष्ठ अतिथि राजेन्द्र जोशी ने कहा मुक्ति संस्था ने इनके महती कार्य को देखते हुए नगर विरासत का सम्मान अर्पित कर नगर का गौरव बढाया । अब्दुल जब्बार बीकाणवी, नेमचन्द गहलोत ने इनके साहित्यिक, खेल के प्रति योगदान को सराहा ।
कार्यक्रम के शुरुआत में रामेश्वर बाडमेरा ने सरस्वती वन्दना प्रस्तुत की । स्वागत भाषण देते हुए कवि-कथाकार राजाराम स्वर्णकार ने पडिहार के व्यक्तित्व-कृतित्व पर विस्तार से जानकारी दी । सरदार अली पडिहार द्वारा रचित 16 पुस्तकों का लोकार्पण मंच द्वारा किया गया । इन पुस्तकों में आठ पुस्तकें राजस्थानी एवं आठ पुस्तकें हिन्दी में रचित है । सरदार अली पडिहार ने अपने सृजन से कविताएं, गीत, कहानी का पाठ किया एवं छोटे-छोटे दो नाटकों का मंचन किया ।
सखा संगम के चन्द्रशेखर जोशी, डॉ.मुरारी शर्मा, गिरिराज पारीक, मुरलीमनोहर माथुर ने माला व दुपट्टा भेंट कर सम्मान किया । अणुव्रत समिति से झंवरलाल गोलछा व साथियों ने माल्यार्पण स्मृतिचिन्ह भेंट किया । कवि चौपाल की तरफ से तुलसीराम मोदी, पुखराज सोलंकी, कैलाश टॉक, माजिद खान, अजितराज, जुगल पुरोहित, सरोज भाटी, सुवर्ण संस्कार पत्रिका की तरफ से श्रीकांत आर्य, रविकांत आर्य ने माला, शॉल, सम्मान-पत्र, साहित्य भेंट कर सम्मान किया ।
कार्यक्रम में शरल विशारद, इंजी.आशा शर्मा, गोवर्धनलाल चौमाल, नरसिंह भाटी, सरोज भाटी, मोहनलाल जांगिड, आत्माराम भाटी, एम.जहांगीर, फुटबॉल के अंतरराष्ट्रीय खिलाडी मगनसिंह राजवी, पर्वतारोही मगनसिंह बिस्सा, सुषमा बिस्सा, ब्रिगेडियर जगमालसिंह, गिरिजाशंकर शर्मा, कर्नल मोहनसिंह, सुरेश मित्तल, प्रेमनारायण व्यास, श्रीगोपाल स्वर्णकार, शीला व्यास, प्रकाश वर्मा, कृष्णा वर्मा, मधुरिमासिंह, घनश्यामसिंह, शिवनामसिंह आदि साक्षी बने । संचालन राजाराम स्वर्णकार ने किया ।(PB)