जयपुर. राजस्थान प्रगतिशील लेखक संघ की ओर से आगामी 27 , 28 और 29 जनवरी को जयपुर में सवाई मानसिंह स्टेडियम के नजदीक यूथ हाॅस्टल में आयोजित ’समानान्तर साहित्य उत्सव’ के परिसर का नाम हिन्दी के प्रथम कथाकार चन्द्रधर शर्मा ‘गुलेरी’ के नाम पर ’गुलेरी-ग्राम’ रखा जायेगा। गुलेरी जी का जयपुर से पुराना रिश्ता रहा है और हिंदी की पहली कहानी उन्होंने लिखी थी-“उसने कहा था।”
समानान्तर साहित्य उत्सव के मुख्य द्वार का नाम उपन्यास-सम्राट मुंशी प्रेमचंद के नाम पर ’प्रेमचन्द-द्वार’ होगा। दूसरे द्वार का नाम राजस्थान के समाजवादी कवि नन्द चतुर्वेदी के नाम पर होगा। मुख्य आंगन के द्वार का नाम रानी लक्ष्मी कुमारी चूंडावत के नाम पर रखा जाएगा।
समानान्तर साहित्य उत्सव में दो मंचों पर एक साथ सत्र चलेंगे। एक मंच का नाम हिन्दी कवि गजानन माधव मुक्तिबोध के नाम पर ’मुक्तिबोध-मंच’ होगा, जबकि दूसरे मंच का नाम राजस्थान के प्रख्यात कथाकार विजयदान देथा के नाम पर ’बिज्जी की बैठक’ होगा। साथ ही राजस्थान के जनकवि हरीश भादानी के नाम पर परिसर में एक ’’नुक्कड़’’ होगा, जहाँ अतिथि लेखक अपनी रचनाओं का पाठ करेंगे।
परिसर में एक कला-दीर्घा विख्यात चित्रकार रामगोपाल विजयवर्गीय के नाम पर बनाई जाएगी, जहाँ कलाकार सजीव कला-कर्म का प्रदर्शन करेंगे।
परिसर में तीन छोटी बैठकें भी होंगी जिनके नाम राजस्थान के पक्षियों पर होंगे-“कुरजां”, “गोडावण” और “मयूर।”