बीकानेर। व्यंग्यकार श्री आत्माराम भाटी के प्रथम व्यंग्य संग्रह ‘परनिंदा सम रस कहुं नाहिं’ का गरिमामय लोकार्पण प्रज्ञालय संस्थान, बीकानेर द्वारा स्थानीय महाराजा नरेन्द्र सिंह ऑडिटोरियम में सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर समारोह की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार श्री लक्ष्मीनारायण रंगा ने कहा कि ”व्यंग्य में करूणा भी होती है और हास्य भी होता है। हास्य और व्यंग्य के साथ प्रासंगिक विषयों को इस संग्रह में रोचक भाषा के साथ उठाया गया है।” उन्होंने कहा कि ”आत्माराम भाटी ने जो विषय अपने व्यंग्य संग्रह में उठाये हैं वो हमारे दैनिक जीवन से सरोकार रखते हैं।” कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ व्यंग्यकार श्री भवानीशंकर व्यास ‘विनोद’ ने कहा कि ”संग्रह की रोचकता उसके नये भाषिक उपयोग के कारण और भी बढ गयी है। बत्तीस व्यंग्यो में जिन विषयों को समाहित किया गया है वे न केवल रोचक है बल्कि देसी बोली के उपयोग से उनमें नवीन रस को महसूस किया जा सकता है।
” मुख्य वक्ता के रूप में अपने उदबोधन में वरिष्ठ समालोचक डॉ.उमाकांत गुप्त ने कहा कि ”व्यंग्य सामाजिक सरोकार की सबसे बडी विधा है। व्यंग्य में दृष्टि की व्यापकता के साथ तीखापन होना आवश्यक तत्व है। व्यंग्य के लिये लेखक की स्थिति, परिस्थिति तथा उसके आवरणों को देखने की संवेदनात्मक नजर चाहिये और आत्माराम भाटी सहज, सरल और सीधी बात कहने के त्रिकोण में व्यंग्य निपजाते हैं।” इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि कवि-कथाकार एवं व्यंग्यकार डॉ.नीरज दईया ने कहा कि ”आत्माराम भाटी के व्यंग्य स्थानीय भाषा से पोषित शब्दावली और जन-जीवन की सांस्कृतिक दृश्यावली के कारण पाठकों को प्रभावित करते रहे हैं। विविध संदर्भो और घटनाओं पर केन्द्रित संग्रह की अनेक रचनाओं में लेखक की सहजता-सरलता और सरसता निस्संदेह ध्यानाकर्षित करती है।” राजस्थानी भाषा के वरिष्ठ् साहित्यकार “श्री कमल रंगा” ने स्वागत उदबोधन देते हुए कहा कि ”यह बीकानेर की धरा के लिये गौरव का विषय है कि व्यंग्य जैसी विधा में एक नये हस्ताक्षर आत्माराम भाटी की पहली पुस्तक प्रकाश में आई है। अपने खेल लेखन से देश भर में अलग पहचान बनाने वाले श्री आत्माराम भाटी इस विधा में भी सफलता के नये मानदण्ड स्थापित करेंगे।” इससे पूर्व कार्यक्रम के आरम्भ में व्यंग्यकार आत्माराम भाटी का परिचय देते हुए युवा साहित्यकार संजय पुरोहित ने कहा कि देश भर की पत्र पत्रिकाओं में आत्माराम भाटी के एक हजार से अधिक लेख अब तक प्रकाशित हो चुके हैं। साथ ही उन्होंने व्यंग्य संग्रह के एक व्यंग्य ‘मुझे पुरस्कार नहीं चाहिये’ का वाचन भी किया।
अपने पत्रवाचन में व्यंग्यकार आचार्य ज्योतिमित्र ने कहा कि ”व्यंग्य लेखन एक दुश्कर कार्य है। हास्य और व्यंग्य के मध्य एक हल्का सा अंतर होता है और आत्माराम भाटी ने अपने लेखन कौशल से हास्य और व्यंग्य के मध्य सामन्जस्य रखते हुए बेहतरीन रूप से विविध विषयों पर सटीक कलम चलाई है।” खचाखच भरे नरेन्द्र सिंह ऑडिटोरियम में इस संग्रह के लोकार्पण अवसर पर व्यंग्यकार श्री आत्माराम भाटी ने वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.नंदकिशोर आचार्य, डॉ.सत्यनारायण स्वामी, डॉ.मदन सैनी, डॉ.गिरिजाशंकर शर्मा, श्री सरल विशारद, श्री शमीम बीकानेरी, श्री नदीम अहमद नदीम, श्री देवीशरण शर्मा, श्री राजेन्द्र जोशी सहित साहित्यिक विभूतियों को पुस्तक की प्रति भेंट की। लोकार्पण अवसर पर व्यंग्यकार श्री आत्माराम भाटी ने आयोजन में कला, साहित्य , संस्कृति एवं समाज के विभिन्न वर्गों से बडी संख्या में पधारे सभी महानुभावों का आभार व्यक्त करते हुए अपने व्यंग्य संग्रह में से एक व्यंग्य ‘नाक की न्यूमरॉलॉजी’ का वाचन भी किया। इस पुस्तक की भूमिका भारत के सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार श्री अशोक चक्रधर ने लिखी है। भूमिका का वाचन युवा शाईर कासिम बीकानेरी ने किया। इस अवसर पर भारत के शीर्ष व्यंग्यकार श्री ज्ञान चतुर्वेदी तथा नेशनल बुक ट्रस्ट के संपादक एवं व्यंग्यकार श्री लालित्य ललित द्वारा प्रेषित शुभकामना संदेशों की ऑडियो क्लिप भी प्रस्तुत की गई। कार्यक्रम में अपनी बात रखते हुए आकाशवाणी बीकानेर की उदघोषक श्रीमती रेखा भाटी ने लेखक के पीछे के द्वंद्व पर प्रकाश डाला। इससे पूर्व अतिथियों तथा पत्रवाचक तथा भूमिका वाचक का स्वागत श्री हनुमान भाटी, श्री हनुमान गहलोत, श्री मालचंद तिवारी, श्री विद्यासागर आचार्य, सुश्री मंदाकिनी जोशी, डॉ.मंजू कच्छावा, श्री भंवर लाल भ्रमर, डॉ.रचना शेखावत, डॉ.चंचला पाठक, इंजि.आशा शर्मा, श्री रवि शुक्ल, श्री मनीष जोशी, श्री चन्द्रशेखर जोशी, श्री योगेन्र्द पुरोहित, श्री ओ पी कुबेरा, श्री नवनीत पाण्डे, डॉ.मोहम्मद हुसैन, श्री ओमप्रकाश सारस्वत, श्री गौवर्द्धन –चौमाल, श्री रवि पुरोहित, डॉ.नमामीशंकर आचार्य, श्री जाकिर अदीब, श्री आनन्द वि आचार्य, पं.शिवशंकर भादाणी, श्री पुखराज सोलंकी, श्री धूमल भाटी ने किया। इस मौके पर बडी संख्या में साहित्यागनुरागी उपस्थित थे। इनमें श्री लोकेश दत्त आचार्य, श्री अविनाश व्यास, श्री प्रदीप भटनागर, डॉ.एस.एन.हर्ष, डॉ.बसंती हर्ष, श्री भंवरलाल रत्तावा, डॉ.ब्रजरतन जोशी, श्री गुलाम मोहियुददीन माहिर, श्री अमित गोस्वामी, श्री नंदू रांकावत, डॉ.फारूख चौहान, श्री शंकर सिंह राजपुरोहित, श्री विपिन पुरोहित, श्री लीलाधर सोनी, श्री केशव बिस्सा, श्रीमती मधुरिमा सिंह, श्री घनश्याम सिंह, श्रीमती कृष्णा वर्मा, श्री किशन कुमार भाटी, श्रीमती मीनाक्षी भाटी, सुश्री सुरभि भाटी, सुश्री यामिनी भाटी, श्री मूलचंद कच्छावा, श्री ओजस्वी भाटी आदि उपस्थित थे। इसी मौके पर व्यंग्यकार श्री आत्माराम भाटी का सम्मान श्री चन्द्रेश गहलोत एवं श्रीमती सीमा भाटी तथा श्री राजाराम, श्री अजय जोशी, श्री बाबूलाल छंगाणी, श्री कैलाश टाक, श्री विप्लव व्यास, श्री वली मोहम्माद गौरी, श्री लीलाधर सोनी, श्री हनुमंत गौड द्वारा भी किया गया। प्रज्ञालय संस्थाल की ओर से आभार श्री गिरीराज पारीक ने व्यक्त किया।(PB)