झुंझुनूं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘बेटी बचाओ बेटी बढ़ाओ’ के विस्तार कार्यक्रम में कहा कि यदि सास कह दे कि मुझे घर में बेटी चाहिए ही चाहिए, तो बेटियों को मारने का जो पाप पीढ़ियों से हो रहा है, उसे सुधारने में छह-सात पीढ़ियां नहीं, बल्कि दो पीढ़ियां ही काफी होंगी।
मोदी ने कहा कि लिंगानुपात सुधारने के काम का नेतृत्व जब तक ‘मदर इन लॉ’ नहीं संभालती, तो इस काम को समय ज्यादा लगेगा, लेकिन जब वह इस काम को अपने हाथ में ले ले, तो काम सफलतापूर्वक जल्दी हो जाएगा। सास कहे मुझे बेटी चाहिए तो इस मिशन को सफल होने से कोई नहीं रोक सकता।
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बेटी बचाओ बेटी बढ़ाओ’ के विस्तार कार्यक्रम की शुरुआत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झुंझुनूं में बृहस्पतिवार को ‘बेटी बचाओ बेटी बढ़ाओ’ के विस्तार कार्यक्रम की शुरुआत कर इसे पूरे देश में लागू किया। साथ ही, नौ हजार करोड़ के राष्ट्रीय पोषण मिशन की भी शुरुआत की।उन्होंने कहा कि बेटियां तो घर की आन-बान-शान होती हैं। लेकिन ऐसा क्या हुआ कि वेद से लेकर विवेकानन्द तक तो सब ठीक रहा, लेकिन बाद में बेटियों की बलि चढ़ाने की कुरीति पनप गई।
18वीं शताबदी में एक गलत परम्परा ‘दूधपीती’ घर कर गई, जिसमें बेटी के जन्म होने पर उसे दूध से भरे एक बड़े बर्तन में डुबो दिया जाता था। यूं मारकर महापाप कर कहा जाता था कि हमारी बेटी दूधपीती हो गई।