55 हजार मंत्रों के साथ महायज्ञ, भागवत व रासलीला का भव्य आयोजन 25 नवम्बर से
बीकानेर (पवन भोजक)। यज्ञ से मन की शुद्धि होती है, यज्ञ से पर्यावरण की शुद्धि होती है और यज्ञ से यश-वैभव के साथ-साथ पापकर्मों से मुक्ति भी मिलती है। उक्त विचार यज्ञ प्रणेता श्री 108 स्वामी भरतदसाचार्यजी महाराज ने बुधवार को भीनासर के मुरलीमनोहर मैदान में आयोजित प्रेसवार्ता को सम्बोधित करते हुए कहे। स्वामीजी ने कहा कि यज्ञ शास्त्रीय विधि के अनुसार होना चाहिए तभी फल देता है। पूर्णत: विधि-विधान तथा नियमपूर्वक किए गए यज्ञ में निश्चित ही भगवान उपस्थित रहते हैं।
प्रेसवार्ता को सम्बोधित करते हुए स्वामीजी ने कहा कि इस त्रिवेणी धर्म गंगा का पुनीत उद्देश्य राष्ट्र में वैमनस्य, पारस्परिक वर्ग संघर्ष, नैतिक मूल्यों का अवमूल्यन, क्षीण हो रही मानवीय ऊर्जा को सद्मार्ग की ओर उन्मुख करते हुए सर्वे भवन्तु सुखिन: की जनकयाणकारी भावनाओं को समाज में पुष्ट बनाना है। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ में लाखों शास्त्रोक्त आहुतियां श्रीमन्नारायण के अक्षुण चरणों में समर्पित की जाएगी। 1973 में लिए इस संकल्प के साथ ही मध्यप्रदेश के कटनी से शुरुआत करके उत्तरप्रदेश और राजस्थान में 24 स्थानों पर यह आयोजन कर चुके हैं। स्वामीजी ने कहा कि बीकानेर परम श्रद्धेय रामसुखदास जी महाराज की तथा संतों की नगरी बीकानेर राजस्थान में 25वां स्थान है जहां यह आयोजन किया जाएगा। इससे पूर्व पूरे भारत में 105 जगह यह महायज्ञ किए जा चुके हैं। 106वें इस एक कुंडात्मक महायज्ञ में 55 हजार मंत्रों के साथ 55 हजार आहुतियां दी जाएंगी। साथ ही श्रीमद्भागवत कथा, भक्तमाल कथा व रासलीला का नौ दिवसीय आयोजन 25 नवम्बर से प्रारंभ होगा। प्रेसवार्ता में द्वारकाप्रसाद पच्चीसिया, बजरंग सारड़ा, किरण मूंधड़ा, श्रवण शर्मा, गोपीकिशन पेड़ीवाल, राकेश जाजू, बलदेव मूंधड़ा, दाऊलाल सारड़ा, विजय आचार्य, चंद्रप्रकाश रंगा, विक्रांत कच्छावा तथा राजीव आचार्य आदि उपस्थित रहे।
निकलेगी शोभायात्रा- श्रील्क्ष्मीनारायण महायज्ञ समिति के अध्यक्ष बाबूलाल मोहता ने बताया कि 25 नवम्बर को प्रात: 10 बजे करनाणी मोहल्ला स्थित श्री द्वारिकाधीश ठाकुरजी के मंदिर से प्रारंभ होगी जो विद्या निकेतन, गंगाशहर बाजार आदि क्षेत्रों से होते हुए मुरलीमनोहर मैदान पहुंचेगी। मोहता ने बताया कि गंगा, जमुना और सरस्वती त्रिवेणी संगम के साथ जल देवता का पूजन करके उस जल को कलश में लेकर शोभायात्रा निकाली जाएगी।
संवित् सोमगिरिजी करेंगे शुभारम्भ- महायज्ञ समिति के महामंत्री गोपाल अग्रवाल ने बताया कि पंचांग पूजन, मंडप प्रवेश के साथ ही संवित् सोमगिरिजी महाराज महायज्ञ का शुभारम्भ करेंगे तथा ब्रह्म गायत्री सेवाश्रम के अधिष्ठाता श्री रामेश्वरानन्द महाराज का सान्निध्य रहेगा। अग्रवाल ने बताया कि 26 नवम्बर को श्री लक्ष्मीनारायण भगवान की प्रतिष्ठा, पूजन व आरती, अर्णी मंथन, अग्निदेव प्राकट्य, आरती, पुष्पांजलि तथा प्रसाद वितरण का आयोजन होगा।
नौ दिन तक रहेंगे ऋषिवेश में- समिति के कोषाध्यक्ष बलदेव मूंधड़ा ने बताया कि यज्ञाचार्य पं. बालकृष्ण शास्त्री के सान्निध्य में सुखदेवदास गोपीकिशन मोहता परिवार, सींथल बाबूलाल-सुमन देवी मोहता यज्ञ के मुख्य यजमान होंगे। महाराजश्री के निर्देशानुसार नौ दिन तक यज्ञ के यजमान सपत्नीक ऋषि-मुनि वेश में तथा ब्रह्मचर्य, फलाहार करते हुए सर्वजनहिताय, सर्वजन सुखाय की भावना से रहेंगे।
यह है कार्यक्रम- समिति के बजरंग सारड़ा ने बताया कि श्रीलक्ष्मीनारायण महायज्ञ 25 नवम्बर से 3 दिसम्बर तक प्रात: 8:30 से 12 बजे तथा 2:30 से 6:30 बजे तक का समय रहेगा। सारड़ा ने बताया कि श्रीमद भागवत कथा 27 नवम्बर से 3 दिसम्बर तक प्रात: 9:30 बजे से 12:30 बजे तथा 3 से सायं 5:30 बजे तक रहेगा। कथा वाचक पं. जुगलकिशोर शास्त्री कथा वाचन करेंगे। जिनमें श्रीकृष्ण जन्मोत्सव, श्री गोवर्धन उत्सव तथा श्री रूक्मिणी विवाहोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा। कथा के मुख्य यजमान पानादेवी रामनिवास सारड़ा परिवार के राजकुमार-मंजूदेवी सारड़ा होंगे वहीं जयप्रकाश-कांता देवी सारड़ा, किरणकुमार-राधादेवी मूंधड़ा, महेन्द्र कुमार-सीमा देवी गट्टाणी भी यजमान होंगे। बजरंग सारड़ा ने बताया कि वृंदावन के राम-श्याम लीला संस्थान के कलाकारों द्वारा श्रीकृष्ण रासलीला का आयोजन 25 नवम्बर से सायं 7:30 से रात्रि 10:30 बजे तक किया जाएगा।