बीकानेर। नोखा पंचायत समिति मुख्यालय का एक छोटो सा गांव सीलवा। विगत एक दशक से भी ज्यादा अर्से से यह गांव देश और दुनिया के मानचित्र में अपनी विशेष पहचान दर्ज कर चुका है। इस पहचान के दो प्रमुख स्त्रोत हैं।
इसका देवतुल्य गोसेवी और अनन्य दानवीर संत दुलाराम कुलरिया का गांव होना और दूसरा इस सद्गृहस्थ की सुयोग्य संतति-स्वरूप भंवर-नरसी-पूनम कुलरिया का इस गांव की धूल में लौटते-लौटते श्रेष्ठ संस्कारों और असाधारण उद्यमिता के बल पर मुंबई जैसे शहर में आंतरिक सज्जा जैसे अपार प्रतिस्पर्धो व्यवसाय में उतरकर राष्ट्रीय छवि अर्जित करना।
सीलवा गांव (मूलवास) के भ्रमणोपरान्त कुलरिया परिवार से भेंट की तो ऐसा लगा ही नहीं कि वह देश-समाज के एक नामचीन और धनाढ्य परिवार से मिल रहा है। कुलरिया परिवार का प्रत्येक सदस्य अपने खान-पान, वेशभूषा और बोली-वाणी में एक खांटी राजस्थानी ग्रामीण विनम्रता की मूर्ति जैसा व्यवहार कर रहा था।
बीकानेर में आयोजित होने जा रही 11 से 16 नवंबर, 2016 तक आयोजित होने वाली राजस्थान कबीर यात्रा के साथ जुड़ाव के बारे में कुलरिया बंधुओं में अग्रज भंवर कुलरिया ने बताया की उनके पिता स्व. संत दुलाराम कुलरिया कबीर-वाणी के अनन्य भक्त-अनुयायी थे। नरसी कुलरिया ने संतजी के जीवन की अनेक घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि वे कबीर-वाणी को संसार के रोगों-मूढ़ता, मोह-माया, अहंकार आदि- की अचूक औषाधि मानते थे। उन्होंने अपने जीवन-काल में स्वयं की कबीर-वाणी के प्रचार-प्रसार के अनेक उपक्रम किए थे। नोखा के एक पाक्षिक अखबार में उन्हीं के सौजन्य से कबीर-वाणी का नियमित प्रकाशन होता रहा है। इसी को स्मरण हुए हमने राजस्थान कबीर यात्रा 2016 जैसे वृहद और जन-जन तक अपनी पहुँच बनाने वाले आयोजन के साथ जुडऩे की सहमति बिना किसी संकोच के तत्काल दे दी।
संत दुलाराम के अनुज पुत्र पूनम कुलरिया ने जानकारी दी कि नोखा के सीलवा मूलवास ग्राम स्थित संत दुलाराम कुलरिया चैरिटेबल ट्रस्ट गोसेवा समेत अनेक लोकापकारी कल्याण-कार्यक्रमों में अपनी उल्लेखनीय भूमिका निभा रहा है। यह भी सर्वविदित है कि स्व. संत दुलाराम कुलरिया अपनी सामाजिक सेवाओं के लिए राज्य स्तर पर सम्मानित भी हुए थे।