विश्व के 140 देशों से पहुंचे मेहमान
आबू रोड( सुधांशु कुमार सतीश) ब्रह्माकुमारीज के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय शांतिवन में आज वैश्विक शिखर सम्मेलन का आगाज हुआ। आध्यात्म, विज्ञान और पर्यावरण विषय पर आयोजित इस सम्मेलन में भारत सहित विश्व के 140 देशों से मेहमान भाग ले रहे हैं। उद्घाटन सत्र में गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने अपने वक्तत्व में मन, आध्यात्म और विज्ञान और भारतीय संस्कृति पर बात की।
उन्होंने कहा कि जीवन में बड़ा काम करने के लिए बड़ा मन होना जरूरी है। छोटे मन का व्यक्ति बड़ा काम नहीं कर सकता है। जितना बड़ा आपका मन होगा उतना ही जीवन में आनंद की मात्रा बढ़ती चली जाएगी। गिरिजाघर में केवल जाकर प्रार्थना करने से व्यक्ति आध्यात्मिक नहीं होता है। जितना वह बड़ा करता चला जाता है उतना जीवन में आध्यात्मिक ऊंचाइयों को छूता जाता है। मंदिर में पूजा अर्चना, मस्जिद में इबादत करने के साथ मन बड़ा करने की जरूरत है। जिसका मन जितना बड़ा होगा वह उतना ही आध्यात्मिक होगा। ब्रह्माकुमारीज संस्थान में बड़ा मन करने की शिक्षा दी जाती है। संस्था की मुख्य प्रशासिका दादी जानकी और दादी रतनमोहिनी जी का कितना बड़ा दिल होगा जो इतने बड़े परिवार को संभाल कर रखा है। साथ ही इतनी बहनों को साथ लेकर विश्व के 146 देशों में खड़ा कर दिया।
जो काम सरकार नहीं कर सकती वो ब्रह्माकुमारीज कर रही
गृहमंत्री सिंह ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने छोटी-छोटी बातों पर चिंता जाहिर की है। स्वच्छता हो, जैविक खेती, सौर ऊर्जा, महिला सशक्तिकरण इन सभी विषयों पर ये संस्था कार्य कर रही है। जो काम सरकार नहीं कर सकती वो ब्रह्माकुमारी संस्था कर रही है। संस्था केवल मानव ही नहीं मानवीयता, जीव-जंतुओं की भी चिंता कर रही है। 80वें वार्षिकोत्सव पर संस्था ने 80 लाख पौधारोपण कर पर्यावरण बचाने का संदेश दिया।
विज्ञान और आध्यात्म एक-दूसरे के पूरक हैं: गृहमंत्री
गृहमंत्री सिंह ने कहा कि हमारे देश के ऋषि-मुनियों ने ही शून्य का आविष्कार किया और आध्यात्म की खोज की। विज्ञान, आध्यात्म और धर्म ये एक-दूसरे के विपरीत हैं ये अवधारणा विदेशों की है। भारत की अवधारणा है विज्ञान और आध्यात्म दोनों एक-दूसरे के पूरक और एक हैं। चरक, आरोहक, सुषुप्त, आर्यभट्ट ऋषि जितने बड़े ऋषि थे उतने ही बड़े साइंटिस्ट भी थे।
यहां से दिया जा रहा विश्व शांति का संदेश: चीफ जस्टिस
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि विश्वव्यापी संगठन ब्रह्माकुमारीज द्वारा की जा रही हैं सेवाएं मानव को सही दिशा में ले जा रही हैं। संसार को जिस शांति की जरूरत है, उस वातावरण का निर्माण यहां हो रहा है। कम बोलो, धीरे बोलो, मीठा बोलो ये शब्द यहां मंत्र की तरह कार्य करते हैं। पवित्रता आत्मा की मूल संपदा है। यहां से मन, बुद्धि और कर्मों को शांति के पथ पर ले जाने के लिए आध्यात्मिकता की शिक्षा दी जा रही है। इस संस्था की पवित्रता हर मानव को आध्यात्म से परिपूर्ण करने में मदद करती है। इस संस्था की पर्यावरण संरक्षण से लेकर अन्या सामाजिक गतिविधियां काबिले तारीफ हैं। अर्जुन और श्रीकृष्ण का वास्तविक संवाद का रहस्य समझने की जरूरत है जो यहां पर स्पष्टीकरण हो रहा है। परमात्म शक्ति से स्वयं को चार्ज करने के लिए स्व के अंदर सोल पॉवर को जानना जरूरी है। (PB)