नई दिल्ली। प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस की ओर से परसों रविवार को आयोजित होने जा रही ‘जनाक्रोश रैली” के बहाने जहां पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी की तो परीक्षा है ही, साथ ही नवनियुक्त संगठन महासचिव एवं राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के राजनीतिक कौशल और क्षमता की भी परीक्षा होगी। संगठन महासचिव के रूप में अशोक गहलोत अध्यक्ष राहुल गांधी के बाद दूसरे नंबर आते हैं। ऐसे में इस ‘जनाक्रोश रैली’ की सभी तैयारियों को लेकर वह केन्द्रीय भूमिका में हैं।
राहुल गांधी द्वारा कांग्रेस की कमान संभालने के बाद पार्टी की ओर से यह पहली जनरैली आयोजित हो रही है। जिसकी वह अगुवाई करेंगे। वहीं अशोक गहलोत के लिए भी यह ‘जनाक्रोश रैली’ एक राजनीतिक एवं सांगठनिक अवसर के रूप में है, जिससे वह साबित कर सकें कि राहुल गांधी ने उनके नाम का जो चयन किया है, वह गलत साबित नहीं हो। सूत्रों के अनुसार रैली की तैयारियों में जमीनी नेता होने के चलते अशोक गहलोत अपने अनुभव का भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैं।
लोकप्रियता में एक नम्बर हैं गहलोत
जाहिर सी बात है कांग्रेस जैसी दिग्गज पार्टी में सबसे बड़ा पद अशोक गहलोत का होना उनकी कार्यकुशलता व जिम्मेदार व्यक्तित्व की छवि दर्शाता है। सूत्रों की मानें तो अशोक गहलोत की लोकप्रियता सोशल मीडिया, पार्टी सदस्यों व पदाधिकारियों के साथ-साथ हर वर्ग के लोगों में अंतस तक छाई हुई है।
उन्होंने राजधानी दिल्ली एव इसके आसपास के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्षों को खासतौर से हिदायत दी है कि वहां से अधिक से अधिक लोग दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित रैली में आएं। इसमें राजस्थान समेत हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, पश्चिमी उत्तर प्रदेश जैसे राज्य शामिल हैं। गौरतलब है कि ‘जनाक्रोश रैलीÓ का आयोजन कांग्रेस द्वारा केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार की नीतियों एवं देश में बन रहे माहौल के खिलाफ 29 अप्रैल को किया जा रहा है। जिसमें बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ताओं एवं नेताओं के जुटने का दावा पार्टी की ओर से किया जा रहा है।