गंगाशहर। संस्कारों के निर्माण की दृष्टि में इस प्रकार के संस्कार निर्माण शिविर बहुत उपयोगी है। बच्चों को शिविर में सीखे गए योगासनों महाप्राण ध्वनि आदि का प्रतिदिन अभ्यास करना चाहिए। झूठ व गुस्से से बचना चाहिए। ये उद्गार साध्वीश्री मधुरेखाजी ने संस्कार निर्माण शिविर के समापन अवसर पर व्यक्त किए। शिविर प्रात: 6:45 बजे गंगाशहर स्थित शान्ति निकेतन में प्रारम्भ हुआ।
संजू लालाणी ने योगासन के प्रयोग करवाए। ज्ञानशाला संयोजक रतन छलाणी ने प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए बताया कि इस अष्ट दिवसीय प्रात:कालीन शिविर में 129 बालक-बालिकाओं ने भाग लिया। उन्होंने बताया कि शुद्ध लेखन प्रतियोगिता के वरिष्ठ वर्ग में भारती बोथरा, व जयसूर्या प्रजापत ने प्रथम स्नेहा बोथरा ने द्वितीय तथा प्रिया प्रजापत व सुरभि सामसुखा ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। कनिष्ठ वर्ग में गुंजन चोरडिय़ा व जयकुमार नाहटा ने प्रथम, दर्शिता चौपड़ा ने द्वितीय व कीर्ति बणोट, दीक्षा भूरा, निलेश पुगलिया, भव्य भादाणी ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।
अंक स्मृति प्रतियोगिता में नेहा बोथरा ने प्रथम, धु्रव मालू ने द्वितीय तथा जयसूर्या प्रजापत ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। एकाग्रता प्रतियोगिता में वरिष्ठ वर्ग में सुरभि सामसुखा ने प्रथम, रिया दुगड़ ने द्वितीय तथा कनिष्ठ वर्ग में यश राखेचा ने प्रथम व गौरव नाहटा ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया। विजेताओं को तेरापंथी सभा के मंत्री अमरचन्द सोनी, तेयुप के देवेन्द्र डागा, ज्ञानशाला परीक्षा व्यवस्थापक हनुमानमल डोसी, महिला मण्डल मंत्री संजू लालाणी, किशोर मंडल के ऋषभ द्वारा पारितोषिक प्रदान कर प्रोत्साहित किया गया।
इस अवसर पर तेयुप मंत्री कन्हैयालाल बोथरा, महिला मण्डल अध्यक्ष मंजु आंचलिया आदि अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। समापन के अवसर पर शान्ति निकेतन से तेरापंथ भवन तक शिविर रैली का आयोजन किया गया। रैली के तेरापंथ भवन पहुंचने पर शासनश्री मुनिश्री मुनिव्रतजी ने बच्चों को मंगल पाथेल प्रदान करते हुए कहा कि ”हमें धर्म के अनुरूप आचरण करना चाहिए जिससे हम पापकारी प्रवृत्तियों से बच पाएंगे तथा हमें आत्मिक सुख प्राप्त होगा।