बीकानेर। जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ के गच्छाधिपति आचार्यश्री जिन मणिप्रभ सूरिश्वरजी म.सा. की आज्ञानुवर्ती प्रवर्तिनी वरिष्ठ साध्वीश्री शशि प्रभा म.सा. ने गुरुवार को ढढ्ढा कोटड़ी में प्रवचन में कहा कि सांसारिक कार्यों के साथ आत्म रक्षा करना अनिवार्य है। भाव व दृृष्टि को सही बनाना है और संसार में रहते हुए विरक्ति रखते हुए आत्म कल्याण के लिए प्रयास व पुरुषार्थ करें।

garden city bikaner
उन्होंने जैन आगम के तत्वार्थ सूत्र के श्लोक जगद्कार्य स्वभावो च संवेग वैराग्यार्थम् सुनाते हुए कहा कि जगत में रहते हुए मन-बुद्धि को वैराग्य में लगावें। वक्त और उम्र प्रतिपल-प्रतिक्षण बदल रही है। जब ढलने लगी उम्र आप कैसे होने लगे । वीतराग परमात्मा की ओर से दिए गए जिन शासन व उनके बोलों को जीवन मेंं उतारे तथा बदलती, ढलती उम्र से प्रेरणा लेकर जागृृत बने व अपने जीवन मेंं वैराग्य के स्थान दें। सांसारिक कार्य, कर्तव्य पूरा करते हुए वैराग्य भाव से मोक्ष मार्ग पर हम और आप अग्रसर हो सकते हैं।

साध्वीजी ने कहा कि स्वाधीनता दिवस व रक्षा बंधन पर्व के लिए हमें स्व व पर की रक्षा करनी है। बाह्य जगत में धन, परिवार, सामग्री आदि की रक्षा सभी करते है लेकिन आत्म रक्षा के लिए कोई प्रयास व पुरुषार्थ नहीं करते है। आत्म रक्षा के लिए काम, क्रोध, लोभ व मोह आदि कषायों से बचें । इस अवसर पर पश्चिम बंगाल के बोलपुर से आएं वरिष्ठ श्रावक निर्मल कोठारी का श्रीसंघ की ओर से अभिनंदन किया गया और सरिता खजांची के 22 दिन की तपस्या की अनुमोदना की गई।


पूर्व में साध्वीश्री सौम्य गुणाा जी.मसा. ने प्रवचन में कहा कि आत्म रक्षा के लिए कषायों का त्याग करें । पर्व हमें जागने, अपने आप में चेतना लाने का संदेश देते है। पर्वों के लोकेतर भावना को समझें तथा अपने कल्याण के लिए आत्म-परमात्म की साधना, आराधना व भक्ति करें।

You missed