केकड़ी।(तिलक माथुर)भाजपा के वरिष्ठ दिग्गज नेता ओम प्रकाश माथुर एक ऐसी शख्सियत है जिनके नाम से ही सुखद अनुभूति होती है। ओम माथुर वे शख़्स हैं जिन्हें सियासत की रेस का भरोसेमंद घुड़सवार माना जाता है, जिन्हें खोये हुए जनाधार को हासिल करने का हुनर बखूबी आता है।
जब भी पार्टी के सामने विकट परिस्थितियां आई है हमेशा ओम माथुर ने संकट मोचक के रूप में भूमिका निभाते हुए पार्टी को विकट परिस्थितियों से उबारा है। जहां-जहां पार्टी संकट में नजर आई वहां-वहां ओम माथुर ने उन्हें दी गई जिम्मेदारी को बखूबी निभाया और संकटमोचक के रूप में अपनी कुशल कार्यशैली से पार्टी को उबारकर आशा से अधिक जीत दिलाई। राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने ओम माथुर को बीते दिन नई जिम्मेदारी सौंपी है, उन्हें झारखंड प्रदेश की कमान सौंपी गई है।
भारतीय जनता पार्टी में परदे के पीछे के बड़े रणनीतिकार कहे जाने वाले ओम माथुर अब झारखंड के चुनाव प्रभारी के रूप में बड़ी जिम्मेवारी निभा रहे हैं। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने एकतरफा जीत के माहिर ओम प्रकाश माथुर को झारखंड विधानसभा चुनाव की कमान देकर यह साफ जाहिर कर दिया कि 81 विधानसभा सीटों वाला यह छोटा राज्य बीजेपी के लिए कितना महत्वपूर्ण है। लोकसभा चुनाव में 14 में से 12 सीटों पर शानदार जीत दर्ज कराने के बाद भी पार्टी विधानसभा चुनाव को कतई हल्के में नहीं ले रही। माथुर को झारखंड में पुन: सत्ता काबिज करने की जिम्मेदारी मिली है, उम्मीद की जा रही है ओम माथुर हर बार अन्य राज्यों की तरह झारखंड में पुन: बीजेपी का झंडा फहराएंगे। राजस्थान में संगठन कौशल का लोहा मनवाने वाले ओम माथुर गुजरात, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ में बतौर प्रभारी पार्टी की जीत का डंका बजा चुके हैं।
ओम माथुर वह शख्सियत हैं जिन्हें कभी सत्ता में शामिल होने का मोह नहीं रहा और न ही किसी पद की लालसा रही। वे हमेशा ही एक आम कार्यकर्ता के रूप में संगठन के कार्यों में रुचि लेते दिखाई दिए हैं। पार्टी ने उन्हें जो भी जिम्मेदारी सौंपी उन्होंने उसे बख़ूबी निभाया है। आज भले ही वे राष्ट्रीय स्तर के टॉप टेन नेताओं में से एक हैं, मगर फिर भी अपने आप को साधारण कार्यकर्ता व आम नागरिक कहलाना पसंद करते हैं। सर्वविदित है कि ओम माथुर नरेंद्र मोदी के एकदम खास हैं। ओम-नमो की जोड़ी के किस्से हम पिछले चालीस सालों से सुनते आ रहे हैं जब दोनों ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में साथ-साथ काम शुरु किया था। दोनों की जोड़ी ने बीजेपी को आज उस शिखर पर पहुंचा दिया है जिसकी कल्पना भी नहीं की गई थी। ओम माथुर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भरोसेमंद व उनका दूसरा हाथ माने जाते हैं, जिनका लक्ष्य ही सिर्फ पार्टी और राष्ट्र के लिए समर्पण है। ओम माथुर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित अटलबिहारी वाजपेयी, भैरोसिंह शेखावत, लालकृष्ण आडवाणी जैसे दिग्गजों के भी बेहद नजदीक रहे हैं मगर उन्होंने कभी पद की लालसा नहीं रखी।
उनका नाम राजस्थान के मुख्यमंत्री व राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में भी सुर्खियों में रहा मगर वे हमेशा इन अटकलबाजियों से बचते देखे गए। प्रचारक के रूप में सेवाएं देते हुए ओम माथुर ने मारवाड़ से निकलकर अपना राजनीतिक सफर शुरू किया था जो आज राष्ट्रीय स्तर पर अपनी धमक व पहचान बनाए हुए है। ओम माथुर को महारथ हासिल है कि वो तथ्यों के आधार पर ही ठसक के साथ अपनी बात कहते हैं, चाहे सामने वाला शख्स कोई दिग्गज ही क्यों न हो। उन्हें गलत बात बिल्कुल पसंद नहीं, वे लोगों को भी इससे बचने के लिए प्रेरित करते हैं।
उनकी सियासत इतनी बेजोड़ है कि उनका लोहा विरोधी भी मानते हैं। ओम माथुर का मूल-मंत्र है कि किस्मत से कुछ नहीं होता, मेहनत से ही सफलता मिलती है। ओम माथुर राजनीति के वो सिरमौर हैं कि वे जब चाहें हवा का रुख मोड़ सकते हैं और ऐसा उन्होंने कई बार करके भी दिखाया है। उनकी कार्यशैली और सियासी धमक ऐसी है मानो जैसे बेदाग उजला दर्पण।