बीकानेर। कृष्ण हिन्दू धर्म में विष्णु के अवतार हैं। सनातन धर्म के अनुसार भगवान विष्णु सर्वपापहारी पवित्र और समस्त मनुष्यों को भोग तथा मोक्ष प्रदान करने वाले प्रमुख देवता हैं। जब-जब इस पृथ्वी पर असुर एवं राक्षसों के पापों का आतंक व्याप्त होता है तब-तब भगवान विष्णु किसी किसी रूप में अवतरित होकर पृथ्वी के भार को कम करते हैं। श्रीमद्भागवत कथा आयोजन समिति के तत्वाधान में अग्रसेन भवन में चल रही श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दौरान महाराज किशोरीलाल ने कृष्ण लीलाओं के प्रसंग सुनाते हुए कहे। उन्होंने पूतना वध, माखन चोरी लीला, ओखल बंधन लीला और गोवर्धन लीला का विस्तार से वर्णन किया।
उन्होंने कहा वैसे तो भगवान विष्णु ने अभी तक तेईस अवतारों को धारण किया। इन अवतारों में उनके सबसे महत्वपूर्ण अवतार श्रीराम और श्रीकृष्ण के ही माने जाते हैं। श्री कृष्ण का जन्म क्षत्रिय कुल में राजा यदु कुल के वंश में हुआ था। भागवत भूषण ने कृष्ण जी के जीवन गाथा का विस्तार पूर्वक विवरण कर संगतों को कृष्ण जी के जीवन लीला के बारे में बताया गया। महाराजश्री ने बताया कि माखन चोरी करने के बाद माता से शिकायत करने जाने पर अचानक खुद कृष्ण वहां से गायब हो जाते हैं।
खतरनाक राक्षसी पूतना जब कृष्ण को मारने के लिए आई तो उन्होंने सब जान लिया और देखते ही देखते उसे ढेर कर दिया। बाल रूप में कृष्ण की अठखेलियां करने के अनेक किस्से सुनाते हुए भजन गाए तो लोग झूम उठे। उन्होंने बताया कि बाल-गोपालों गोपियों के संग भगवान कृष्ण ने अपने ऐसे रूप दिखाए जिससे साथी भी हैरान हो जाते थे। कथा के दौरान छप्पन भोग का आयोजन किया गया। कथा श्रवण करने वालों में मुख्यत पवन तोदी,नरेन्द्र अग्रवाल,रेणू अग्रवल,रानी मंगल,सुरेश अग्रवाल,सतीश मंगल,मनोरमा अग्रवाल,राजकुमारी,ऋचा अग्रवाल सहित बड़ी संख्या में श्रद्वालु उपस्थित रहे।(PB)