बीकानेर,। स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह ने कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा विश्वविद्यालय परिसर में संचालित समन्वित खेती प्रणाली इकाई का सोमवार को अवलोकन किया।
इस दौरान प्रो. सिंह ने कहा कि अधिक से अधिक किसानों को इस मॉडल से रूबरू करवाएं, जिससे किसान भी इस प्रणाली को अपनाएं। उन्हें इसका लाभ मिल सके और उनकी आय में वृद्धि हो। उन्होंने केन्द्र में स्थापित मुर्गी पालन तथा बकरी पालन इकाई का अवलोकन किया। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत 8 लाख रुपये की लागत से तैयार पशुशाला देखी तथा गो-पालन इकाई की स्थापना के लिए गायें क्रय करने के निर्देश दिए। कुलपति ने केन्द्र में बनाई गई डिग्गी, इन्क्यूवेटर का अवलोकन किया। अजोला इकाई, हरा चारा उत्पादन तथा फलदार पेड़ों को अवलोकन किया। केन्द्र पर वर्मीकम्पोस्ट तैयार करने तथा विक्रय प्रारम्भ करने के निर्देश दिए।
गत वर्ष प्रारम्भ की गई इकाई
विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशक प्रो. एस. के. शर्मा ने बताया कि केवीके द्वारा गत वर्ष जनवरी में यह इकाई स्थापित की गई। लगभग 7 बीघा क्षेत्र में स्थापित इस इकाई में सिरोही नस्ल की 34 बकरियां तथा लगभग 350 कड़कनाथ मुर्गियां हैं। लगभग एक बीघा क्षेत्र में अनार के पेड़ लगाए गए हैं। वहीं केन्द्र में नींबू, सीताफल, जामून एवं खिरनी के पौधे लगाए गए हैं। केन्द्र में पूर्णतया आर्गेनिक सब्जियोंं का उत्पादन होता है। यहां अजोला यूनिट स्थापित की गई है। पौधों को बूंद-बूंद सिंचाई पद्धति से जोड़ा गया है। उन्होंने बताया कि इस इकाई की स्थापना का मुख्य उद्देश्य किसानों को कृषि एवं पशुपालन के विभिन्न आयामों की जानकारी देना है।
केन्द्र प्रभारी डॉ. उपेन्द्र मील ने बताया कि केन्द्र में गौमूत्र एकत्रित कर पंचगव्य बनाया जाएगा तथा इसका उपयोग आर्गेनिक खाद के रूप में किया जाएगा। उन्होंने केन्द्र की विभिन्न गतिविधियों के बारे में बताया। इस दौरान प्रसार शिक्षा उपनिदेशक प्रो. सुभाष चंद्र, केवीके प्रभारी डॉ. दुर्गासिंह, डॉ. सुशील कुमार मौजूद रहे।
कुलपति ने जानी प्रसार शिक्षा की गतिविधियां
इससे पहले कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह ने प्रसार शिक्षा निदेशालय तथा कृषि तकनीक सूचना केन्द्र (एटिक) का अवलोकन किया। उन्होंने निदेशालय तथा कृषि विज्ञान केन्द्रों की विभिन्न गतिविधियों के बारे में जाना। उन्होंने कहा कि प्रसार शिक्षा निदेशालय, विश्वविद्यालय का महत्वपूर्ण अंग है। निदेशालय समयबद्ध समस्त गतिविधियां संचालित करें। उन्होंने एटिक को अधिक क्रियाशील बनाने तथा यहां आने वाले किसानों को आवश्यक मार्गदर्शन उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए। इस दौरान प्रसार शिक्षा निदेशक प्रो. एस. के. शर्मा, प्रो. जे. पी. लखेरा तथा एटिक प्रभारी प्रो. रामधन जाट मौजूद रहे।