बीकानेर । झुग्गी-झौंपड़ियों में रहकर और मेहनत-मजदूरी करके जैसे-तैसे जीवन यापन करने वाले माता-पिता को इस बात का यकीन ही नहीं हो रहा है कि उनके बच्चे भी अब स्कूल जा पाएंगे। गरीबी और शिक्षा के अभाव ने उनके जीवन को अंधकारमय कर दिया, लेकिन जिला कलक्टर आरती डोगरा की पहल और बाल अधिकारिता विभाग के प्रयासों से उनके अंधेरे जीवन में प्रकाश की किरणें नजर आने लगी हैं और माध्यम बना है बाल अधिकारिता विभाग द्वारा बाल संरक्षण इकाई (सीडब्ल्यूसी) और चाइल्ड लाईन के संयुक्त तत्वावधान् में चलाया जाने वाला ‘स्ट्रीट टू स्कूल’ अभियान।
अभियान के तहत झुग्गी-झौंपड़ियों एवं कच्ची बस्तियों में रहने वाले ऐसे 295 बच्चों का चिन्ह्ीकरण किया गया है जो गरीबी और संरक्षण के अभाव में या तो कभी स्कूल नहीं जा पाए या फिर परिस्थितियों ने उनकी पढ़ाई बीच में छुड़वा दी। ऐसे बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से पुनःजोड़ने के लिए ‘स्ट्रीट टू स्कूल’ अभियान नई उम्मीद के रूप में सामने आया है। विभाग द्वारा इन बच्चों को पहचान दिलाने के लिए ‘आधार’ योजना के तहत उनका पंजीकरण किया जा रहा है तथा रोडवेज बस स्टेण्ड के पास, चाइल्ड लाइन कार्यालय परिसर में तीन दिवसीय विशेष शिविर आयोजित कर मौके पर ही विभिन्न स्कूलों के आवेदन पत्रा भरवाए जा रहे हैं।
विभिन्न क्षेत्रों में किया सर्वेक्षण
बाल अधिकारिता विभाग द्वारा सीडब्ल्यूसी और चाइल्ड लाईन के सहयोग से दिसम्बर में समता नगर, बसंत विहार के पीछे, दूरदर्शन कार्यालय के पास, पवनपुरी और नाल सहित विभिन्न क्षेत्रों की झुग्गी-झौपडियों का सर्वे किया गया। इस दौरान 90 परिवारों के 295 ऐसे बच्चों का चिन्ह्ीकरण किया गया, जो या तो कभी स्कूल गए नहीं या उन्होंने स्कूल बीच में छोड़ दी। ‘स्ट्रीट टू स्कूल’ अभियान के तहत इन बच्चों को पुनः स्कूल भेजा जाएगा। इन सभी बच्चों के परिजनों को 2 से 4 फरवरी तक आयोजित शिविर के लिए सूचित किया गया है। पहले दिन 12 बच्चों के स्कूल जाने के फॉर्म मौके पर ही भरवाए गए।
इन स्कूलों में मिलेगा दाखिला
बाल अधिकारिता विभाग की सहायक निदेशक कविता स्वामी ने बताया कि जिला कलक्टर के निर्देशानुसार झुग्गी-झौंपड़ियों के आस-पास की सरकारी स्कूलों का चयन इन बच्चों के दाखिले के लिए किया गया है। इनमें राउमावि एवं राउप्रावि इगानप, राउप्रावि चौतीना कुआं नं.1, राप्रावि नगर निगम के पीछे, राप्रावि नं.11 एवं राप्रावि इंद्रा कॉलोनी सम्मिलित हैं। आवश्यकता के अनुसार स्कूलों की संख्या में और इजाफा किया जाएगा। उन्होंने बताया कि तीन दिवसीय शिविर के दौरान इन स्कूलों के प्रतिनिधि मौजूद रहेंगे तथा बच्चों के फॉर्म भरवाकर, उन्हें स्कूलों में दाखिला देंगे।
बच्चों में दिखा स्कूल जाने का उत्साह
स्कूलों में पंजीकरण के दौरान जहां अभिभावकों के चेहरे पर खुशी साफ देखने को मिली वहीं बच्चों में भी इसके प्रति उत्साह था। घरेलू परिस्थितियों के कारण पढ़ाई बीच में छोड़ देने वाली नौ वर्षीय किरण ने बताया कि वह पढ़-लिखकर अध्यापिका बनना चाहती है और दूसरों के जीवन से अशिक्षा का अंधकार मिटाना चाहती है। इसी प्रकार छह वर्ष की निशा और संवाई राम, पांच वर्ष के अमित, दस वर्ष की मांछी के अलावा संजय, जितेन्द्र राव, कंचन, अरूण, मनोज आदि ने भी नियमित रूप से स्कूल जाने और पढ़ने का वादा किया।
‘आधार’ से मिलेगी पहचान
शिविर के दौरान झुग्गी-झौंपड़ियों में रहने वाले बच्चों एवं उनके अभिभावकों के लिए ‘आधार’ पंजीकरण शिविर आयोजित किया गया। इन लोगों की पहचान की तस्दीक बाल संरक्षण समिति के सदस्यों द्वारा की गई। शिविर के दौरान 44 लोगों का आधार पंजीकरण किया गया। आधार पंजीकरण के साथ ही इन लोगों को विभिन्न योजनाओं का लाभ मिल पाएगा। स्वामी ने बताया कि बाल अधिकारिता विभाग द्वारा पूर्व में बालिका एवं किशोर गृह के बच्चों के ‘आधार’ पंजीकरण के लिए विेशेष शिविर आयोजित किया जा चुका है।
कार्यरत है ‘चाइल्ड हैल्पलाइन’
शिविर के दौरान बाल अधिकारिता विभाग द्वारा संचालित पालनहार, मुख्यमंत्राी हुनर विकास, शिशु गृह, राजकीय बालिका गृह, राजकीय सम्प्रेक्षण एवं किशोर गृह तथा समेकित बाल संरक्षण सहित विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी गई। स्वामी ने बताया कि बच्चों के संरक्षण एवं पुनर्वास से जुड़ी योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन के लिए चाइल्उ लाइन सेवा उपलब्ध है। इसके टोल फ्री नंबर 1098 हैं। इस अवसर पर बाल संरक्षण इकाई की अध्यक्ष डॉ प्रभा भार्गव, साहब सिंह तोमर, अनुराधा पारीक, मोइनुद्दीन कोहरी, सुमन जैन तथा उरमूल प्रतिनिधि देवाराम मौजूद थे।
बाल भिक्षुक अब जाएंगे स्कूल
एमएस कॉलेज हॉस्टल के पीछे रहने वाले बाल भिक्षु सोमवार से पहले यह भी नहीं जानते थे कि स्कूल क्या होता है और स्कूल में बच्चों को कैसे प्रवेश मिलता है? जिला कलक्टर के निर्देश पर बाल अधिकारिता विभाग, बाल संरक्षण समिति और उरमूल ट्रस्ट द्वारा कॉलेज हॉस्टल के पीछे अस्थायी आवास बनाकर रहने वाले लोगों के साथ बाल भिक्षुओं को चिन्ह्ति कर उन्हें स्वयंसेवी संस्था उरमूल के कार्यालय में लाकर उनका भामाशाह कार्ड बनाया गया। साथ ही जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा इन बच्चों को राजकीय स्कूल में प्रवेश दिलाने की कार्यवाही की गई। अब तक भिक्षा मांग रहे ये बच्चे अब शिक्षा से जुड़कर अपने जीवन में एक नई डगर पर चल सकेंगे। इन बच्चों को विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा यूनीफार्म व बैग उपलब्ध करवाए जाएंगे। ये संस्थाएं जिला कलक्टर की प्ररेणा से ऐसे लावारिस , अनाथ बच्चों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए कार्य कर रही है।
अमित और किरण जाएंगे स्कूल, मां है उत्साहित
उरमूल ट्रस्ट, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग व बाल सरंक्षण समिति की ओर से रविवार को ऐसे गरीबी और बेसहारा बच्चों का सर्वे किया गया जो विपरीत परिस्थितियां के कारण स्कूल में प्रवेश नहीं पा सके। इस सर्वे में डॉ प्रभा भार्गव सहित तीनों संस्थाओं के पदाधिकारियों ने केंद्रीय बस स्टेण्ड के पास स्थित किसान भवन के सामने बनी झुग्गी झौंपड़ियों में पहुंचकर वहां रहने वाली कमला से उसके बच्चों के बारे में पूछा तो उसने बताया कि घर की माली हालत खराब होने के कारण वह अपने साढ़े तीन वर्ष के पुत्रा अमित और पांच वर्ष की पुत्राी किरण को स्कूल नहीं भेज पा रही। इस पर संस्था के पदाधिकारियों ने कमला को बताया कि जिला कलक्टर के निर्देश पर वे यहां ऐसे ही बच्चों का सर्वे करने आए हैं और सोमवार को वे अपने दोनों बच्चों सहित उरमूल कार्यालय पहुंचे। सोमवार सुबह जब कमला अपने दोनों बच्चों के साथ उरमूल कार्यालय आई तो उसे बताया गया कि आज इन बच्चों का भामाशाह कार्ड बनेगा, जिसके बाद उन्हें स्कूल में प्रवेश दिया जाएगा और स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा उसके बच्चों को यूनीफार्म व बैग भी उपलब्ध करवाया जाएगा। यह सुनकर कमला उत्साहित और आल्हादित हो गई कि अब उसके बच्चे शिक्षा से जुडे़ंगे और एक नई मंजिल पर पहुंच माता-पिता के सपने साकार कर सकेंगे।