बीकानेर । शहर में कोटगेट व सांखला फाटक जैसी बड़ी समस्या को दूर करने के लिए लम्बे समय से एलिवेटेड रोड तो कभी बाइपास जैसे सुझाव सामने आ रहे हैं। एलिवेटेड रोड पर तो मौजूदा वसुंधरा सरकार ने मुहर भी लगा दी है, लेकिन व्यापारियों तथा दो धड़ों में बंटे लोगों द्वारा यह प्लान अटका पड़ा है। हालांकि बीकानेर में हाल ही में दो बार आई मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने एलिवेटेड रोड कार्य शुरू करने की बात भी कही थी।
शुक्रवार को बीकानेर सिटीजन काउंसिल की ओर से एक प्रेसवार्ता का आयोजन कर रेलवे टनल प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी दी गई। प्रेसवार्ता को सम्बोधित करते हुए अमरचन्द बिस्सा ने बताया कि रोहतक, दिल्ली आदि स्थानों पर टनल परियोजना सफलतापूर्वक बरकरार है। बिस्सा ने बताया कि रेलवे बोर्ड के पूर्व सचिव तथा वरिष्ठ इंजीनियर आर.सी. चौधरी को भी इस प्रोजेक्ट के बारे में बताया गया जिस पर चौधरी ने इसे पूर्णत: फिजिबल बताया। प्रेसवार्ता के दौरान वाईके सिंह, अंकुर शुक्ला, निशांत गौड़, हनुमान शर्मा, धीरज पारीक, सत्यवीर जैन आदि उपस्थित रहे।


रेलवे टनल प्रोजेक्ट के लोकार्पण अवसर पर संवित् सोमगिरि महाराज से राजनीति में कदम रखने के बारे में पूछा गया तो सोमगिरिजी ने साफ शब्दों में कह दिया कि राजनीति मेरा क्षेत्र नहीं है लोगों की कल्पना है, लोग कुछ भी सोच सकते हैं। सोमगिरिजी ने कहा कि एलिवेटेड रोड बने, बाइपास व्यवस्था हो अथवा रेलवे टनल प्रोजेक्ट बनाया जाए इससे मेरा कोई सरोकार नहीं, बस जो भी कार्य हो वह जनहित का हो। बताया जाता है कि प्रेसवार्ता से एक दिन पूर्व जब राजनैतिक पार्टियों में यह खबर पहुंची की सोमगिरि महाराज रेल फाटकों की समस्या को लेकर कोई बड़ी बात कर सकते हैं तो हलचल मच गई थी। दोनों प्रमुख पार्टियों में यह सुरसरी मच गई थी कि कहीं रेल फाटकों की बड़ी समस्या के सहारे कुछ अलग ही काम न हो जाए।


प्रोजेक्ट के बारे में सिविल इंजीनियर रामेश्वरलाल चौधरी ने जानकारी देते हुए बताया कि इसकी शुरुआत ललगढ़ से वर्कशॉल की ओर जाने वाले ट्रेक से होगी। वर्तमान रेलवे लाइन के समानान्तर प्रथम चरण में 500 मीटर तक ओपन रैम्प रहेगा। 500 मीटर तक जमीन में ढलाने की ओर ढऩे के बाद ट्रेक भूमिगत टनल में चला जाएगा, यहां से आगे 650 मीटर की टनल अधिक गहराई न होने से कट एंड कवर पद्धति से बनेगी। वर्तमान रेलवे स्टेशन के समानान्तर 1800 मीटर तक टनल सीधी रहेगी, यहीं पर भूमिगत एक किमी लम्बे प्लेटफार्म की व्यवस्था रहेगी जहां भविष्य की 32 कोच सुपर ट्रेन के ठहराव की भी व्यवस्था आसानी से हो पाएगी। आगे 1355 मीटर तक वापस चढ़ाई शुरू होगी और वर्तमान के नागणेचीजी रेल फाटक से पचास मीटर आगे तक टीबीएम का काम होगा। घड़सीसर में जहां रतनगढ़ और मेड़ता के लिए रेलवे लाइनें अलग होती हैं उससे तीन सौ मीटर पहले भूमिगत टनल की लाइन पूरी तरह से जमीन के बाहर आ जाएगी और अगले 200 मीटर में एक के बाद एक दोनों लाइन से जंक्शन हो जाएगी।(PB)