नागौर। नागौर सूफिया कॉलेज में आज संत दुलाराम जी कुलरिया की स्मृति में आव्हान जनकल्याण सेवा समिति जयपुर के बेनर तले आज नागौर में स्वाइन फ्लू के बचाव व उपचार अभियान की शुरूआत की गई । इस अवसर पर सूफिया कॉलेज में इस विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया । जिसमें मुख्य अथिति समाजसेवी साबिर हुसैन, कॉलेज डायरेक्टर जावेद अखतर व कॉलेज के प्रिंसीपल विन्सी जिक्कु ने कॉलेज के समस्त विद्यार्थियों को स्वाइन फ्लू क्या है, उसके लक्षण तथा कैसे बचें, पर विस्तार पूर्वक व्याख्यान दिया, उन्होंने छात्रों को बताया कि स्वाइन फ्लू वायरल बुखार है, जो इन्फ्लूएंजा ॥1हृ1 वायरस से फैलता है। बारिश की वजह से स्वाइन फ्लू का वायरस और घातक हो जाता है। वातावरण में नमी बढऩे के साथ ही यह तेजी से फैलने लगता है। यही वजह है कि मौसम बदलने के साथ एकाएक इसके मामलों की बाढ़ सी आ गई है। यदि बारिश के मौसम में आपको सर्दी, खांसी और बुखार हो और यह 2-3 दिनों में ठीक न हो, तो ॥1हृ1 की जांच कराएं।


स्वाइन फ्लू के लक्षण और खुद को तथा अपने परिवार को कैसे बचाएं । इस बारे में समाजसेवी साबिर हुसैन ने बताया कि स्वाइन फ्लू के लक्षणों में बुखार,तेज ठंड लगना,गला खराब हो जाना, मांसपेशियों में दर्द होना,तेज सिरदर्द होना, खांसी आना,कमजोरी महसूस करना आदि लक्षण इस बीमारी के दौरान उभरते हैं। स्वाइन फ्लू के बचाव और इलाज क्रम में श्री हुसैन ने बताया कि स्वाइन फ्लू उन्हीं व्यक्तियों में होता है, जिनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। इसके आसान टार्गेट पहले से बीमार चल रहे मरीज, गर्भवती महिलाएं आदि होते हैं। अगर घर में कोई शख्स स्वाइन फ्लू की चपेट में आ गया हो तो, घर के बाकी लोगों को भी इससे बचने के लिए डॉक्टरी सलाह लेकर दवा खा लेनी चाहिए। स्वाइन फ्लू से बचाव ही इसे रोकना का सबसे बड़ा उपाय है।

आराम करना, खूब पानी पीना, शरीर में पानी की कमी न होने देना इसका सबसे बेहतर उपाय है। शुरुआत में पैरासिटामॉल जैसी दवाएं बुखार कम करने के लिए दी जाती हैं। बीमारी के बढऩे पर ऐंटी-वायरल दवा टैमी फ्लू और जानामीविर (रेलेंजा) जैसी दवाओं से स्वाइन फ्लू का इलाज किया जाता है। लेकिन इन दवाओं को कभी भी खुद से नहीं लेना चाहिए। वैसे सर्दी-जुखाम जैसे लक्षणों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली तुलसी, गिलोए, कपूर, लहसुन, ऐलोवियरा, आंवला जैसी आयुर्वेदिक दवाईयों का भी स्वाइन फ्लू के इलाज में बेहतर असर देखा गया है। स्वाइन फ्लू के फैलने के कारकों पर चर्चा करते हुए है बताया कि स्वाइन फ्लू का वायरस हवा में ट्रांसफर होता है और खांसने, छींकने, थूकने से वायरस सेहतमंद लोगों तक पहुंच जाता है।

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श्री हुसैन ने इस रोग के बचाव पर बोलते हुए बताया कि किसी व्यक्ति में स्वाइन फ्लू के लक्षण दिखें तो उससे कम से कम 3 फीट की दूरी बनाए रखें। स्वाइन फ्लू का मरीज जिस चीज का इस्तेमाल करे, उसे भी नहीं छूना चाहिए। बहुत जरूरत पडऩे पर मास्क का प्रयोग करके ही मरीज के पास जाना चाहिए। सार ही अगर किसी में स्वाइन फ्लू के लक्षण दिखें तो उससे हाथ मिलाने और गले मिलने से भी बचना चाहिए। स्वाइन फ्लू का टीका अवश्य लगवाए जाने की सलाह दी । टीका संक्रमण से बचाव के लिए सबसे बढिय़ा उपचार बताया । संक्रमित से मिलने पर अपने हाथों को हमेशा साबुन और पानी से करीब 20 सेकंड तक अच्छी तरह से धोएं। ये कई तरह के सामान्य संक्रमणों को रोकने के लिए सबसे बढिय़ा उपाय है।
इस अवसर पर समाज सेवी साबिर हुसैन द्वारा सेंट जिवियर्स स्कूल, मानासर, संदेश कॉलेज,डेह रोड़ तथा बासनी रोड़, नागौर स्थित सूफिया कॉलेज में उपस्थित सभी विद्यार्थियों को मास्क पहनाकर इसके बचाव को प्रेक्टिकली दर्शाया । सूफिया काँलेज निदेशक जावेद अखतर द्वारा सभी को जागरूक करनें के साथ सभी लोगों को धन्यवाद ज्ञापित किया।

स्वाइन फ्लु को लेकर जागरूकता कार्यशाला का आयोजन

नागौर। शहर के मानासर स्थित सेन्ट जिवियर्स उच्च माध्यमिक विद्यालय में शनिवार को आह्वान जन कल्याण सेवा समिति, जयपुर के संयुक्त तत्वावधान में स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए जागरूकता अभियान की कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस दौरान बच्चों को स्वाइन फ्लु बचाव के मास्क भी बांटे गए। कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए समाज सेवी साबिर हुसैन ने बताया कि सर्दी के मौसम विशेषकर इस बीमारी का असर होता है। जिससे बचाव कर लाभ लिया जा सकता है। इस दौरान स्कूल के निदेशक शैतानराम चांगल ने विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि इस वर्ष सैंकड़ों लोग राजस्थान में इस स्वाइन फ्लु के शिकार हुए है। आमजन में जागरूकता से ही इससे बचा जा सकता है। इस मौके पर सूफिया कॉलेज के निदेशक जावेद अख्तर, प्रधानाचार्य रामरतन मिर्धा, कैलाश भाम्बू, पुनमचन्द टाक, रणजीत कुमार मिश्रा, विकास शर्मा, कैलाश भाकल, विमल कुमार परिहार सहित स्कूल के शिक्षक मौजूद रहे। कार्यशाला का संचालन आर.के. राव ने किया।