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विनय गुण अपनाने वाला ही सच्चा साधक : विराग मुनि

बाड़मेर। संसार का वास्तविक स्वरूप यही है कि जो शत्रु है वो मित्र बन जायेगा और जो मित्र है वो शत्रु बन जायेगा। संसार में कोई भी संबंध चिरस्थाई नही…