बीकानेर । आचार्य भिक्षु द्वारा आज के दिन भाव दीक्षा ग्रहण करने से तेरापंथ की स्थापना हुई। आचार्य भिक्षु न तो कोई पंथ चलाना चाहते थे और न ही उनको ऐसा प्रयास था। परन्तु नियती को यह मंजूर था इस लिए एक नई धर्म क्रान्ति हुई जिसका नाम ‘तेरापंथ’ हुआ। ये उद्गार बहुश्रुत मुनिश्री राजकरणजी ने तेरापंथ स्थापना दिवस के वृहद कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए तेरापंथ भवन में कही। यह समारोह तेरापंथ महासभा के निर्देश से पूरे देशभर में मनाया गया। जिसकी पालना में तेरापंथ सभा, गंगाशहर ने यह कार्यक्रम आयोजित किया। मुनिश्री राजकरणजी ने कहा कि जीवन में संकल्प का बहुत महत्व है अतः सभा-संस्थाओं के पदाधिकारी एवं सदस्य व्यसन मुक्त जीवन जीने का संकल्प जीवन भर निभाएं।
मुनिश्री शांतिकुमार जी ने अपने उद्बोधन मे कहा कि तेरापंथ की स्थापना में आचार्य भिक्षु की सत्य शोधन, साधना व दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ ही थिरपालजी व फतेहचन्दजी जैसे साधुओं की बड़ी भूमिका रही है। मुनिश्री मुनिव्रतजी ने कहा कि तेरापंथ धर्मसंघ की जड़े बहुत गहरी है। उन्होंने कहा कि आज के दिन आचार्य भिक्षु व उनके सहवर्ती साधुओं के साथ दीक्षा ग्रहण की। इसी दिन साध्वी प्रमुखा कनकप्रभाजी की दीक्षा हुई है व आचार्य तुलसी ने इसी दिन मंत्र दीक्षा प्रारम्भ की थी।
गुरू पूर्णिमा के दिन तेरापंथ स्थापना दिवस को हर्षोल्लास एवं अध्यात्मिकता के साथ आयोजित किया गया। आषाढ़ शुक्ला पूर्णिमा तद्नुसार 9 जुलाई को प्रातः 7ः00 बजे अनुशासन रैली शान्ति निकेतन से रवाना हुई। अनुशसन रैली को नगर विकास न्यास अध्यक्ष महावीर रांका ने झण्डी दिखाकर रवाना किया। अनुशासन रैली शान्ति निकेतन से गंगाशहर के मुख्य मार्गों से होते हुए तेरापंथ भवन पहंुची। मनोज सेठिया ने बताया कि तेरापंथ संघ की विभिन्न संस्थाओं के सदस्यों के साथ ही अनुशासन रैली में गोपेश्वर विद्यापीठ के प्रधानाध्यापक गिरिराज खैरीवाल के नेतृत्व में शामिल हुए। तेरापंथ भवन में मुख्य कार्यक्रम आयोजित हुआ। जिसमें बहुश्रुत मुनिश्री राजकरण स्वामी ने नवकार मंत्र से कार्यक्रम की शुरूआत की। राजेन्द्र बोथरा ने ‘हमारे भाग्य बड़े बलवान, मिला यह तेरापंथ महान्’ गीत से मंगलाचरण किया। चैनरूप छाजेड़ ने ‘गण यह मन्दिर करता हूं आरती’ गीतिका का संगान किया। महिला मण्डल द्वारा ‘जागो बहिनों जाग उठो’ गीतिका का संगान किया। महिला मण्डल मंत्री संजू लालाणी ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि तेरापंथी होना गौरव की बात है। तेरापंथ धर्मसंघ आज विश्व विख्यात है। इसी दौरान मंत्री लालाणी ने महिला मण्डल का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। मुनिश्री श्रेयांसकुमारजी ने ‘विघ्नविनायक मंगलदायक स्वामीजी रो नाम’ गीतिका का संगान किया।
तेरापंथ सभा के पूर्व अध्यध्क्ष शुभकरण सामसुखा ने श्रावक निष्ठा पत्र का वाचन किया। तत्पश्चात् बीकानेर के महापौर नारायण चौपड़ा ने तेरापंथ महिला मण्डल, तेरापंथ युवक परिषद, तेरापंथ कन्या मण्डल एवं तेरापंथ किशोर मण्डल के नवनिर्वाचित पदाधिकारियों व कार्यकारिणी सदस्यों को शपथ ग्रहण करवाया। इस अवसर पर तेरापंथ समाज के 9 वर्ष तक के बच्चों को मंत्र दीक्षा देने के महत्व पर प्रकाश डाला तथा मुनिश्री राजकरणजी ने बच्चों के साथ सभी उपस्थित जनों को मंत्र दीक्षा प्रदान की।
कार्यक्रम के दौरान महापौर नारायण चौपड़ा ने कहा कि तेरापंथ की नींव आचार्य भिक्षु ने डाली जो विचारधाराओं से पूरिपूरित थी। तेरापंथ का प्रकाश आज पूरे विश्वभर में फैल रहा है। गांव-गांव से लेकर विश्व तक तेरापंथ ने डंका बजाया व अणुव्रत के सिद्धान्तों को फैलाया है। कार्यक्रम के दौरान युवक परिषद के मंत्री कन्हैयालाल बोथरा ने तेयुप का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।
आचार्य तुलसी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष जैन लूणकरण छाजेड़ ने कहा कि आचार्य भिक्षु ने तेरापंथ की स्थापना कर धर्मक्रान्ति की आधारशीला रखी। आचार्य भिक्षु को तेरापंथ और तेरापंथ को आचार्य भिक्षु कहा जाए तो गलत नहीं होगा। सभी तेरापंथी श्रावक-श्राविकाओं के लिए सौभाग्य की बात है कि हमें ऐसा धर्मसंघ मिला है जो अपने आप में गौरव की अनुभूति करने वाला है। उन्होंने नए पदाधिकारियों को बधाई देते हुए कहा कि नेता सहस्त्रपादी एवं सहस्त्रशीर्ष वाला होता है। नेता जैसा सोचता है वैसे ही सैकड़ों लोग सोचते हैं, नेता जिधर चलता है हजारों कदम उसका अनुसरण करते हैं। उन्होंने कहा कि नेतृत्व करने वाले लोग सकारात्मक सोचें व सद्मार्ग पर चलें।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए निवर्तमान तेमम अध्यक्ष रेणु बाफना ने कहा कि संघ साधना है आगम वाणी। प्रगति के महान पंथ पर निरंतर गतिमान है। सम्पूर्ण विश्व के समक्ष कीर्तिमान स्थापित किये है। तेरापंथ युवक परिषद के निवर्तमान अध्यक्ष मनीष बाफना ने तेयुप के त्रिआयामों को बताया। उन्होंने कहा कि तकदीर और तजबीज से ही सभी कार्य सम्पन्न होते है। उन्होंने कंकर से शंकर बनने की बात कही। इसी क्रम में तेयुप के नवनिर्वाचित अध्यक्ष आसकरण बोथरा व महिला मण्डल की नवनिर्वाचित अध्यक्षा मंजू आंचलिया ने आचार्य भिक्षु में गौरव, गरिमा व गुरूत्व के गुण बताये साथ ही सभी को बधाई व शुभकामनाएं प्रेषित की। इस अवसर पर कन्या मण्डल संयोजिका सुश्री कनकप्रभा गोलछा व किशोर मण्डल के संयोजक कौशल मालू ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुनिश्री विनीतकुमारजी ने ‘मंत्र’ शब्द को परिभाषित किया। मुनिश्री ने बताया कि मं का मतलब मन को झंकृत करने वाला व त्र का मतलब तन की जागृति है। मंत्र से सभी के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। मुनिश्री ने आषाढ़ पूर्णिमा व शनिवार के बारे में विस्तार से व्याख्या की।
तेरापंथ सभा अध्यक्ष डॉ. पी.सी. तातेड़ ने कहा कि राजनगर के श्रावकों की विशेषताओं के बारे में बताया साथ ही उस समय गोचरी, स्थानक सम्बन्धी होने वाली समस्याओं व भयंकर विरोध की परेशानियों का उल्लेख किया। डॉ. तातेड़ ने सभी सभा संस्थाओं के नवनिर्वाचित पदाधिकारियों को मंगलकामनाएं दी। आभार ज्ञापित करते हुए शान्ति प्रतिष्ठान के महामंत्री जतन लाल दूगड़ ने सभी चारित्रात्माओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की तथा नव निर्वाचित पदाधिकारियों को शुभकामनाएं प्रदान की व पूर्व अधिकारियों को अच्छे कार्यकाल के लिए बधाई दी।
तेरापंथ सभा के मंत्री अमरचन्द सोनी ने बताया कि तेरापंथ समाज गंगाशहर का सामूहिक सहभोज का भी आयोजन किया गया। सभा के कोषाध्यक्ष भैंरूदान सेठिया ने बताया कि इस सहभोज में कूपन व्यवस्था रखी गई थी। हजारों लोगों ने सादगीपूर्ण व प्रदर्शन रहित सहभोज करके बन्धुत्व भावना को पुष्ट किया। करूणा इन्टरनेशनल के ताराचन्द बोथरा ने बताया कि इस अवसर पर डिस्पोजल मुक्त अभियान के तहत यूज एण्ड थ्रो आईटम का उपयोग नहीं किया गया। अशोक चोरड़िया ने बताया कि इस अवसर पर दोपहर 2 बजे अखिल भारतीय स्तर की “भिक्षु प्रश्नोत्तरी” प्रतियोगिता तेरापंथ भवन में आयोजित की गई। जतन संचेती ने बताया कि इस अवसर पर रात्रि में धम्म जागरण का आयोजन किया गया। तेरापंथ युवक परिषद ने सम्मान समारोह आयोजित करके कार्यकर्ताओं को स्मृति चिन्ह प्रदान करके सम्मानित किया। कार्यक्रम के अन्त में भंवरलाल व कन्हैयालाल डाकलिया बन्धुओं ने संघगान ‘जय जय धर्मसंघ अविचल हो’ का संगान किया। समारोह का संचालन जैन लूणकरण छाजेड़ ने किया।