लेखक पडिहार हुए पाठकों से रूबरू - OmExpress

बीकानेर। मुक्ति संस्था बीकानेर के तत्वावधान में लेखक से मिलिये कार्यक्रम की तीसरी कड़ी रविवार को बीकानेर व्यापार उद्योग मण्डल के सभागार में आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में लेखक सरदार अली पडिहार पाठकों से रूबरू हुए। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार भवानीशंकर व्यास “विनोद ” ने की ।कार्यक्रम के प्रारंभ में साहित्यकार कवि- कथाकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि यह पहला अवसर है जब इस नगर के पाठक अपने ही लेखक से रूबरू हो रहे है। उन्होंने कहा कि लेखक की रचना प्रक्रिया को जानने और समझने का पूरा अधिकार उसके पाठकों के पास है जोशी ने कहा कि हम दुनिया भर के लेखकों को पढ़ते हुए उसकी रचना प्रक्रिया के बारे में विस्तार से नहीं जानतें ऐसे में हमारा प्रयास है कि समाज के बारे में लेखक क्या सोचते है उसके सोच के साथ पाठक की सोच कितनी मेल खाती है। जोशी ने बताया कि लेखक से रूबरू होने की इस तीसरी कड़ी में हमें खिलाड़ी से लेखक बनने वाले साहित्यकार की रचना प्रक्रिया को जानने और समझने का अवसर प्राप्त हुआ है।


कार्यक्रम में 78 वर्षीय लेखक सरदार अली पडिहार पाठकों से रूबरू हुए, अपनी रचना प्रक्रिया साझा करते हुए पडिहार ने कहा कि मुझे रचना समझ समाज से मिलती है उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं से रचना का जन्म होता है जो समय समय पर समाज में घटित होती है। पडिहार ने बताया कि रचनाकार को चरित्र के भीतर की यात्रा करनी पड़ती है, चरित्र को गहरे तक समझना पड़ता है उन्होंने कहा कि चरित्रों को साथ लेकर चलने वाले समर्पित भाई ही लेखक बनने की समझ विकसित कर सकते है। पडिहार ने बताया कि बार-बार सोचना , विचारना से ही रचना का जन्म होता ।उन्होंने कहा कि बातचीत से ही आदमी वर्तमान में आ जाता है। पडिहार ने कहा कि राजस्थानी संस्कृति से रूबरू होते हुए मेरी रचना अपने आप आगे बढ़ती गयी। उन्होंने बताया कि खेल की टीम और पहाड़ों के बीच मेरी रचना ने जन्म लिया।

इस अवसर पर उन्होंने अपनी चुनिन्दा रचनाओं का पाठ भी किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए भवानीशंकर व्यास विनोद ने कहा कि सरदार अली पडिहार यायावर ज्ञान पिपासु लेखक है इन्होंने अनुभव से लिखा है और अनुभूतियों में ढालने की कोशिश की है। व्यास ने कहा कि पडिहार ने अपने तरीके से नये छंद का अविष्कार किया है, इनके जीवनानुभवों से रचना उपजी है इनकी रचनाएँ विषयों को प्रमाणिक भी करते हैं। उन्होंने कहा कि प्रेम के कथाकार के भ्रमण से रचनाएँ ऊपजी है।
कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार मधु आचार्य “आशावादी “ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि सरदार अली पडिहार की रचनाएँ अध्धयन एवं शोध से निकली हुई है। इनका रचना कर्म और उनके रचना संसार से हमें सीख मिलती है। आचार्य ने कहा कि इस उम्र में भी सक्रिय रूप से सभी आयामों का भरपूर उपयोग करते हैं।
कार्यक्रम में मानमल तंवर, गिरिराज पारीक , राजाराम स्वर्णकार, चन्द्र शेखर जोशी, मोहन लाल जागिड़, प्रमोद कुमार शर्मा एवं जुगल पुरोहित ने अपनी जिज्ञासाएं रखी जिनका उत्तर लेखक सरदार अली पडिहार ने दिए ।
प्रारम्भ में शायर इरशाद अजीज ने सरदार अली पडिहार का परिचय देते हुए बताया कि पडिहार की सोलह पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है और अभी भी सक्रिय रूप से सभी आयामों पर लेखन कर रहे है।


कार्यक्रम में हरीश बी शर्मा, रवि पुरोहित, नवनीत पाण्डे,प्रेमनारायण व्यास, नगेन्द्र किराड़ू, आनंद वी आचार्य, कमल रंगा, सरोज भाटी , नरसिंह भाटी, डॉ नमामी शंकर आचार्य, पूर्णमल राखेचा, बृजगोपाल जोशी, बुलाकी हर्ष, आत्मा राम भाटी , जब्बार अली सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम में पहले आने वाले छ पाठकों को गायत्री प्रकाशन द्वारा निशुल्क पुस्तकें भेंट की गयी। कार्यक्रम का संचालन डॉ.संजू श्रीमाली ने किया तथा डॉ .नीरज दइया ने आभार व्यक्त किया।(PB)