बीकानेर। उर्जा व जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री डॉ.बुलाकी दास कल्ला ने कहा है कि पुष्करणा समाज का 21 फरवरी 2019 को होने वाला सामूहिक सावा संस्कृतिक धरोहर व परम्परा का प्रतीक है। कम खर्च में समाज की परम्पराओं का निर्वहन करते हुए बिना किसी दिखावे के विवाह योग्य युवक-युवतियों का विवाह सावे में अधिकाधिक संख्या में करें, जिससे हमारी वर्षों पुरानी यह परम्परा भी जीवित रहेगी ।
डॉ.कल्ला मंगलवार को बारह गुवाड़ चैक में पुष्करणा समाज के सामूहिक सावे के दौरान वर-वधू पक्ष की निष्काम भाव से निशुल्क सेवा व सहयोग करने वाली संस्था रमक झमक कार्यालय के उद्घाटन अवसर पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि हमारे बुजुर्गों की ओर से स्थापित सामूहिक सावे के मूल उद्धेश्यों को समझें तथा उस पर मनन कर सादगी, संस्कृति व सहजता के साथ अपने पुत्र-पुत्रियों का विवाह करें। सावे में फिजूलखर्ची को रोककर आपसी एकता व भाईचारे को बढ़ावा दे और समाज की परम्पराओं को अक्षुण रखे।
उर्जा मंत्री डॉ.कल्ला ने कहा कि पुष्करणा समाज के विवाह में अनेक वैदिक परम्पराओं का निर्वहन की परम्परा आज भी प्रासंगिक है। वैदिक परम्पराओं व शास्त्रोक्त रीति होने वाले मांगलिक कार्यों को वर्तमान में कई लोग आधुनिकता के चक्कर में दर किनार नहीं करें। शास्त्रोक्त व वैदिक परम्परानुसार होने वाले विवाह व अन्य मांगलिक कार्य के दौरान वातावरण आनंद व उत्सव मय रहता है। सावे में महिलाओं की ओर से गाए जाने वाले गीतों से ही पता चलता है कि अभी यह रस्म हो रही है। सावे के गीतों को पाश्चात्य प्रभाव से बचाते हुए गीतों की मौलिकता को कायम रखने की दरकार है।
इस अवसर पर राजकुमार किराडू, सुशील ओझा, राम लाल ओझा, सूरजकरण ओझा, श्याम सुन्दर छंगाणी, ईश्वर महाराज छंगाणी, रत्ना महाराज ने पुष्करणा सावे की विशिष्टताओं से अवगत करवाया। रमक-झमक संस्था के संयोजक प्रहलाद ओझा भैंरू ने संस्थान के कार्यों की जानकारी दी और डॉ.कल्ला का साफा पहनाकर, डूंगर कॉलेज के प्राध्यापक डॉ.राजेन्द्र पुरोहित ने दुपट्टा भेंटकर व किराडू ने स्मृति चिन्ह से अभिनंदन किया ।
डॉ.कल्ला ने भैरव उपासक व पुष्करणा सावे के लिए समर्पित भाव से आजीवन कार्य करने वाले स्वर्गीय छोटूलाल ओझा की पत्नी श्रीमती रामकंवरी का शॉल ओढाकर और विद्युत एजेन्सी के सहायक अभियंता निमिष लखनपाल, नगर निगम के मुख्य स्वास्थ्य निरीक्षक मक्खन आचार्य, गायक आर.के.सूरदासाणी व रमक झमक डॉट कॉम वेव साइट का संचालन करने वाले राधे कृष्ण ओझा का दुपट्टा पहनाकर सम्मान किया।